केवीके खरगोन के वैज्ञानिकों/ कर्मचारियों ने की ‘कलम बंद हड़ताल
24 सितम्बर 2025, (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर): केवीके खरगोन के वैज्ञानिकों/ कर्मचारियों ने की ‘कलम बंद हड़ताल – फोरम ऑफ केवीके एंड एआईसीआरपी के राष्ट्रव्यापी आह्वान के अनुरूप, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), खरगोन के वैज्ञानिकों/ कर्मचारियों ने मंगलवार को ‘कलम बंद हड़ताल ‘ कर प्रदर्शन किया। यह आंदोलन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की भेदभावपूर्ण नीतियों के विरोध में और “वन नेशन, वन केवीके, वन पॉलिसी” की माँग को लेकर हड़ताल कर प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान प्रातः 10 से शाम 6 बजे तक केंद्र पर बैनर और प्लेकार्ड्स के माध्यम से अपनी माँगों को रखा और “हमें चाहिए न्याय”, “वन नेशन-वन केवीके-वन पॉलिसी” जैसे नारों के साथ आईसीएआर की भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ आवाज़ बुलंद की।
केवीके खरगोन के प्रतिनिधि ने बताया कि यह विरोध केवल वेतन की बात नहीं, बल्कि सम्मान और समान अधिकारों की लड़ाई है। “हम आईसीएआर के अधीन काम करने वाले अपने सहयोगियों के समान ही जिम्मेदारी निभाते हैं, लेकिन वेतन, पदोन्नति, भत्तों और सेवानिवृत्ति लाभों में हमें लगातार दोयम दर्जे का व्यवहार झेलना पड़ रहा है। यह अन्यायपूर्ण है और इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।” इसके पहले 2 अगस्त 2025 को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा पीएम किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त जब जारी की गई थी, उस समय भी केवीके फोरम एवं एआईसीआरपी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने के लिए आईसीएआर को पत्र लिखा था। जिस पर आईसीएआर ने आश्वासन दिया था कि आप लोग इस कार्यक्रम का बहिष्कार न करें। हम अगले 100 दिन में आपकी सभी समस्याओं को दूर कर देंगे लेकिन आज तक हमारी समस्याएं जस की तस बनी हुई है। इसलिए अब हमें पुणे हड़ताल की दिशा में कदम बढ़ाना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि देश के 91% केवीके आईसीएआर के अलावा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, एनजीओ और राज्य सरकारों द्वारा संचालित हैं। फोरम का आरोप है कि आईसीएआर द्वारा गैर-आईसीएआर केवीके के कर्मचारियों के साथ व्यवस्थित भेदभाव किया जा रहा है, जो संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। केवीके खरगोन के कर्मचारियों ने फोरम के निर्णय का पूर्ण समर्थन करते हुए चेतावनी दी है कि यदि उनकी माँगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आगामी VKSA (रबी) अभियान (3-18 अक्टूबर 2025) का पूर्ण बहिष्कार करेंगे। उन्होंने आईसीएआर और केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करके परोदा समिति की सिफारिशों को लागू करने और सभी केवीके कर्मचारियों के लिए एक समान नीति सुनिश्चित करने की मांग की है। इस आंदोलन का उद्देश्य केवल कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना ही नहीं, बल्कि केवीके प्रणाली की दक्षता बनाए रखना भी है, ताकि किसानों को निर्बाध रूप से बेहतर सेवाएं मिलती रहें।
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