राज्य कृषि समाचार (State News)

दुबारा बोनी की लागत भी एमएसपी में जुड़ना चाहिए

भोपाल में हुई खरीफ फसलों के एमएसपी निर्धारण के लिये सीएसीपी की बैठक

06 फरवरी 2024, भोपाल: दुबारा बोनी की लागत भी एमएसपी में जुड़ना चाहिए – प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से किसान को दुबारा बोनी करनी पड़ती है तो उसकी लागत दोगुनी बढ़ जाती है, जबकि समर्थन मूल्य काफी कम होता है इसलिए दुबारा बोनी की स्थिति में किसान को राहत मिले इसका प्रावधान करके एमएसपी तय करना चाहिए।  यह सुझाव कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा पश्चिमी राज्यों की भोपाल में हुई बैठक में किसानों ने दिए। बैठक में म.प्र., राजस्थान, गुजरात, गोवा, दादर नगर हवेली के आला कृषि अधिकारियों एवं प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया। यह बैठक वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारण की अनुशंसा के लिए आयोजित की गई थी।

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के ग्राम फ़तहपुर (किलेरामा) में स्थापित कस्टम हायरिंग केंद्र का अवलोकन करते हुए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यगण |

बैठक में कृषि लागत और मूल्य आयोग के अध्यक्ष श्री विजयपाल शर्मा ने आयोग के सभी स्टेक होल्डर, किसान, सरकार, व्यापारी और अन्य प्रतिभागियों से आपसी व्यापक चर्चा कर आयोग को अनुशंसाएं देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि स्टेक होल्डर की चर्चाओं में खरीफ फसलों, दलहन-तिलहन के आयात-निर्यात, उपभोक्ताओं की माँग, उपार्जन, उत्पादन की लागत, अनुसंधान एवं समर्थन मूल्य के आकलन के आधार पर अनुशंसाएं की जायें।

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श्री शर्मा ने कहा कि देश का 65 फीसदी दलहन उत्पादन पश्चिमी राज्यों में होता है इसमें आत्मनिर्भरता के लिए उत्पादन बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि सोयाबीन उत्पादन में सोया राज्य पिछड़ रहा है उस पर ध्यान देना होगा। उन्होंने लागत कम करने के लिए कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

प्रारंभ में म.प्र. के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एस.एन. मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि जो भी उपयोगी सुझाव आएंगे उन पर विचार करने का आग्रह किया जाएगा।

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सदस्य सचिव कृषि लागत एवं मूल्य आयोग श्री अनुपम मित्रा ने समर्थन मूल्य के लिये राज्यों से धान, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, मूँगफली, ज्वार, दलहन-तिलहन, मसाला फसलों के लिए राज्य सरकारों से सुझाव शीघ्र भेजने का अनुरोध किया। आयोग के सदस्य श्री रतनलाल डागा ने लागत मूल्यों को कम करने के लिये उपार्जन व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण, सिंचाई की उचित व्यवस्था के साथ ही विपणन के समुचित प्रबंधों की आवश्यकता जताई।

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अध्यक्ष कृषि लागत एवं मूल्य आयोग महाराष्ट्र श्री पाशा पटेल ने विभिन्न राज्यों द्वारा विभिन्न खरीफ फसलें मुख्यत: सोयाबीन, कपास के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रस्तावित दरों की अनुशंसाएं आयोग से की। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग, वर्षा की स्थिति अनुसार फसलों का निर्धारण किया जाना चाहिये। क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के चलते वर्ष 2030 के बाद तापमान में बढ़ोत्तरी होने के कारण 40 फीसदी उत्पादन घटेगा।

महाराष्ट्र के अपर मुख्य सचिव श्री अनूप कुमार ने कहा कि पोस्ट हार्वेस्टिंग लागत को एमएसपी में समाहित करने की आवश्यकता है।

बैठक में प्रदेश के अपर मुख्य सचिव कृषि श्री अशोक बर्णवाल ने आयोग के समक्ष मध्यप्रदेश की सिंचाई, सिंचाई पम्प, कृषि यंत्रीकरण, ट्रैक्टर, विभिन्न फसलों के उत्पादन में देश में विशिष्ट स्थान संबंधी वस्तु-स्थिति रखी। उन्होंने उपार्जन में विभिन्न कृषि उपजों पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित लिमिट को बढ़ाने का अनुरोध किया। बैठक में अन्य सदस्यों ने भी अपने विचार रखे। बैठक में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की रूपरेखा, गतिविधियों, कार्य-प्रणाली और उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। बैठक में कृषक समितियों को सुदृढ़ बनाने, कस्टम हायरिंग सेंटर को लोकप्रिय बनाने, राजस्थान-महाराष्ट्र में मिलेट्स के क्षेत्र को विस्तृत करने पर जोर दिया गया।

किसानों के प्रमुख सुझाव:-

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की बैठक में म.प्र. नर्मदापुरम के कृषक श्री विनोद कुमार चौरे, गुजरात के कृषक श्री हितेन्द्र पटेल, राजस्थान के कृषक श्री गंगाराम सीपट सहित अन्य किसानों ने सुझाव दिये-

  • एक बेल्ट में फसल बीमा का दावा भुगतान एक समान होना चाहिए।
  • अलग-अलग राज्यों में फसलों की लागत अलग-अलग आती है इसलिए एमएसपी पर परिस्थिति अनुसार बोनस देना चाहिए।
  • कीटनाशकों पर भी अनुदान मिले।
  • पॉली हाऊस में जीएसटी नहीं लगाएं।
  • सरकार किसानों से जैविक खाद खरीदे।
  • एफपीओ भी एमएसपी पर फसल खरीदे।
  • किसानों से ग्रुप चर्चा कर एमएसपी तय करें।
  • कृषि यंत्र सभी आवेदक किसानों को उपलब्ध करना चाहिए।

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