बारिश की खेंच से सोयाबीन की दुबारा बोवनी
पौधे छोटे रहने से पैदावार घटेगी
विशेष प्रतिनिधि )
24 जुलाई 2021, इंदौर । बारिश की खेंच से सोयाबीन की दुबारा बोवनी – इस साल मध्यप्रदेश में जून में हुई बारिश के बाद वर्षा की खेंच करीब एक माह रही। जिन किसानों ने पहली बारिश के बाद ही खरीफ की बोवनी कर दी थी , उनमें से कई किसानों को दुबारा बोवनी करनी पड़ी। जहाँ छिटपुट बारिश होती रही, वहां की फसल बच गई। कुछ स्थानों पर देरी से बोवनी की गई , वहां फसल अच्छी है। सोयाबीन फसल को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है। किसानों का कहना है कि वर्षा की लम्बी खेंच का सोयाबीन की फसल पर असर पड़ा है। वृद्धि रुकने से पौधे छोटे रह गए , ऐसे में पैदावार कम होने की आशंका है। पेश है कृषक जगत द्वारा मालवा -निमाड़ के किसानों से की गई चर्चा की यह विशेष रिपोर्ट।
खरगोन जिले के ग्राम ढकलगांव के श्री नानकराम पटेल ने साढ़े चार एकड़ में देरी से सोयाबीन बोई इसलिए उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ। फसल बहुत अच्छी है , जबकि खंडवा जिले के मोहना के श्री हुकुम मंडले ने कहा कि पहली बारिश के बाद ढाई एकड़ में सोयाबीन किस्म 9560 लगाई थी । फिर पानी नहीं गिरा , इससे अंकुरण ठीक से नहीं हुआ। पौधों के बीच करीब एक-एक फ़ीट की दूरी रह गई। दूसरे खेत में बोई मक्का की फसल में भी अंकुरण की समस्या आई। दूसरी तरफ धार जिले के पिंजराया श्री प्रह्लाद सिंह गोहिल की 60 बीघा में लगी सोयाबीन की फसल अच्छी है। वहीं इंदौर जिले के धनखेड़ी (सांवेर ) के श्री महेश राठौड़ ने पहले 5 बीघा में सोयाबीन 9505 लगाई थी , फिर बारिश की बेरुखी हो गई। बारिश के लम्बे इंतज़ार के बाद 3 दिन पहले दुबारा बोवनी की। प्रमाणित बीज नहीं मिल पाया तो जो बीज मिला वह बो दिया। माताबरोड़ी (सांवेर ) के श्री सुभाष सिसोदिया को 5 बीघे में दुबारा बोवनी करनी पड़ी। पहले 9560 किस्म लगाई थी, फिर 3 बीघे में घर का सोयाबीन बीज लगाया और 2 बीघे में धनिया लगा दिया। बघाना (हातोद ) के श्री जीवन सिंह परिहार खुशकिस्मत रहे कि इनकी 40 बीघा में लगी सोयाबीन की फसल इसलिए बच गई, क्योंकि बीच -बीच में पानी बरसता रहा। श्री परिहार के अनुसार धरमपुरी क्षेत्र के कई किसानों को दुबारा बोवनी करनी पड़ी।
खरसौदकला (उज्जैन ) के श्री हरीश चंद्र पटेल ने 100 बीघा में 10 -12 दिन पहले ही सोयाबीन किस्म 9560 की बोवनी की है। फसल अच्छी है। इसी तरह अमलाफोड़ (बड़नगर ) के श्री बालाराम गौड़ की 40 बीघा में लगी सोयाबीन की फसल यथा समय पानी गिरने से बच गई , हालाँकि बड़ी खरसोद,चिपेला और उन्हेल में सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई। कालापीपल (शाजापुर ) के श्री विनोद परमार ने कहा के जिले में 5 % किसानों को सोयाबीन की दुबारा बोवनी करनी पड़ी , जिसमें बीज की गुणवत्ता और अन्य कारण भी रहे , हालाँकि बारिश कम हुई फिर भी कालापीपल, उमरिया और शुजालपुर ब्लॉक में दुबारा बोवनी नहीं हुई। आम्बा (रतलाम ) के श्री अभिषेक पाटीदार को 20 बीघा में सोयाबीन की दुबारा बोवनी करनी पड़ी , क्योंकि वर्षा नहीं होने से अंकुरण कम हुआ। बछोड़िया (पिपलौदा ) के श्री रामप्रसाद कुमावत ने 10 बीघा में लगाई 9560 किस्म में वर्षा की खेंच के बावजूद भी सिंचाई नहीं की। उनका कहना था कि सिंचाई के बाद भी बठराये बीजसे उत्पादन अच्छा नहीं होता है। अंकुरण देर से हुआ। फसल कमज़ोर है। जो उत्पादन मिलेगा उसी में संतोष करेंगे। करीबी गांव पटेल , लिम्बोद आदि में सोयाबीन की दुबारा बोवनी की गई।
धनोरिया (नीमच) के श्री श्यामलाल धाकड़ को देरी से सोयाबीन बोने का फायदा मिला। उन्होंने 15 एकड़ में 15 दिन पहले ही सोयाबीन किस्म आरवीएस -2018 की बुआई की थी। अब वर्षा हो रही है। फसल अच्छी है। रामनगर सुठौली (नीमच ) के श्री अभिषेक पाटीदार को 22 बीघा में से 15 बीघा वाले खेत में बौछारें पड़ने से फसल बच गई , जबकि 7 बीघा वाले हिस्से में दुबारा बोवनी करनी पड़ी ,क्योंकि यहां पहली बारिश के बाद पानी नहीं गिरा तो अंकुरण ठीक से नहीं हुआ। उपरेड़ा (नीमच ) के श्री किशोर मालवीय ने 6 बीघे में सोयाबीन किस्म 2034 और 1025 पहले लगाई थी , जो उगने के बाद सूख गई। फिर से बोवनी करनी पड़ी। सेमली क्षेत्र के किसानों की भी यही शिकायत है। साबाखेड़ा (मंदसौर ) के श्री लक्ष्मीनारायण पाटीदार को 25 बीघा में से 8 बीघे में अंकुरण ठीक से नहीं होने के कारण फिर से बोवनी करनी पड़ी। पिण्डा (मंदसौर ) के जगदीश पाटीदार की 30 बीघा की सोयाबीन फसल वर्षा की खेंच से प्रभावित हुई है। पौधे छोटे रह गए हैं। बारिश अब हो रही है। पैदावार घटेगी। बिसलाखेड़ी (देवास ) के श्री केशर सिंह ठाकुर ने 100 बीघा में सोयाबीन किस्म 9560 ,2034 और एनआरसी 37 लगाई है। अंकुरण ठीक नहीं हुआ। फसल छोटी रह गई , इससे पैदावार कम होगी। गोरवा (देवास ) के श्री जितेन्द्र पटेल के यहाँ भी यही हालात है।20 बीघे की फसल के पौधे छोटे रह गए हैं। जबकि इनके दो भाइयों के यहां 10 बीघे में दोबारा बोवनी करनी पड़ी। ऐसी ही शिकायत बामनिया (झाबुआ ) के श्री मंगलेश राठौर ने की भी की। इनके यहां भी करीब डेढ़ हेक्टेयर में बोई सोयाबीन किस्म 2069 के पौधे वृद्धि नहीं होने से छोटे रह गए। इसी तरह उदयगढ़ (झाबुआ ) के श्री धन्नालाल राठौड़ ने 7 एकड़ में जे एस- 335 लगाई थी , लेकिन अंकुरण अच्छा नहीं होने से 10 जून को फिर बोवनी की ह। आसपास के गांवों खुशालबेड़ी धरमंदा , जम्बूखेड़ा में भी दुबारा बोवनी किए जाने का समाचार है।