राज्य कृषि समाचार (State News)

MP की राजेश्वरी पटेल ने लाड़ली बहना के पैसे से खरीदी गाय, अब दूध बेचकर कमा रही ₹15 हजार हर महीने

25 जुलाई 2025, भोपाल: MP की राजेश्वरी पटेल ने लाड़ली बहना के पैसे से खरीदी गाय, अब दूध बेचकर कमा रही ₹15 हजार हर महीने – लाड़ली बहना योजना ने मध्यप्रदेश की कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई है। जबलपुर नगर निगम सीमा के अंतर्गत आने वाले ग्राम कुगवां की निवासी राजेश्वरी पटेल भी इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं। करीब 50 वर्षीय राजेश्वरी ने योजना से मिलने वाली मासिक राशि को बचाकर एक गाय खरीदी और आज उसी से दूध बेचकर हर महीने करीब 10 से 15 हजार रुपए कमा रही हैं।

एक गाय से शुरू हुआ सफर, अब हैं चार गायें

राजेश्वरी के पति पहले भेड़ाघाट बायपास रोड पर पान का ठेला लगाते थे। परिवार की जरूरतें पूरी कर पाना मुश्किल हो गया था। खुद राजेश्वरी पास के सरकारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने लगीं। बाद में जब कुगवां गांव नगर निगम सीमा में शामिल हो गया और सेंट्रलाइज्ड किचन से खाना आने लगा, तो उन्हें बच्चों को भोजन परोसने का काम मिलने लगा।

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इस बीच नगर निगम की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में उनके पति को ठेला बंद करना पड़ा। अब मजदूरी ही एकमात्र सहारा बचा, वो भी नियमित नहीं थी। तब राजेश्वरी ने परिवार के साथ विचार करके दूध का व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया।

उनके पास पहले से एक गाय थी, लेकिन उससे सिर्फ घर की जरूरत भर दूध निकलता था। उन्होंने लाड़ली बहना योजना से हर महीने मिलने वाली राशि को कुछ महीनों तक बचाया और फिर दूसरी गाय खरीद ली। धीरे-धीरे मुनाफा बढ़ता गया और उन्होंने दो और गायें खरीद लीं। अब उनके पास कुल चार गायें हैं।

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दूध, घी और गोबर से हो रही है तिहरी कमाई

अब राजेश्वरी रोजाना लगभग 10-12 लीटर दूध बेच रही हैं। गांव के ही कई परिवार उनसे ₹50 प्रति लीटर की दर से दूध ले रहे हैं। इसके अलावा, बचे हुए दूध से वह घी भी बनाती हैं, जिसकी मांग इतनी ज्यादा है कि वह ₹900 प्रति किलो की दर से बाजार में बिकता है।

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घी के साथ-साथ राजेश्वरी गोबर से उपले भी बनाती हैं और उन्हें बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी कर रही हैं। उनके बेटे और बेटी भी इस काम में उनका सहयोग करते हैं। अब पूरा परिवार आत्मनिर्भर है और एक सम्मानजनक जीवन जी रहा है।

लाड़ली बहना योजना बनी जीवन बदलने वाली स्कीम

राजेश्वरी मानती हैं कि अगर लाड़ली बहना योजना से उन्हें आर्थिक सहयोग नहीं मिला होता, तो वह कभी भी इस व्यवसाय की शुरुआत नहीं कर पातीं। यह योजना न सिर्फ उनके लिए बल्कि प्रदेश की हजारों महिलाओं के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह बन चुकी है।

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