राजस्थान में पीएम फसल बीमा योजना में ₹122 करोड़ का बड़ा घोटाला, 2.5 लाख संदिग्ध मामले दर्ज; कृषि विभाग ने जांच की शुरू
18 अक्टूबर 2025, जयपुर: राजस्थान में पीएम फसल बीमा योजना में ₹122 करोड़ का बड़ा घोटाला, 2.5 लाख संदिग्ध मामले दर्ज; कृषि विभाग ने जांच की शुरू – राजस्थान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में व्यापक पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ है। राज्य के कृषि विभाग ने जांच में करीब 122 करोड़ रुपये के अनियमित भुगतान और 2.5 लाख संदिग्ध मामलों का पता लगाया है। जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर जिलों में इस घोटाले की सबसे अधिक शिकायतें सामने आई हैं। कृषि विभाग ने इन शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए पूरे राज्य में विशेष जांच टीमें गठित की हैं, जो संदिग्ध लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन कर रही हैं।
घोटाले के तहत कई ऐसे लाभार्थी योजना का लाभ उठा रहे थे, जो वास्तविक किसान नहीं थे या जिनका किसान पंजीकरण गलत था। इससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। कृषि विभाग ने कहा है कि गलत लाभार्थियों से फंड की वसूली की जाएगी और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। इस संदर्भ में ई-केवाईसी प्रक्रिया को पूरी तरह से अपडेट करना अनिवार्य कर दिया गया है ताकि योजना का लाभ केवल योग्य और वास्तविक किसानों को ही मिल सके।
जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर में सबसे अधिक मामले
राजस्थान के लगभग 1.2 करोड़ पंजीकृत किसानों में से 2.5 लाख संदिग्ध लाभार्थियों की सूची कृषि विभाग के सामने आई है। सबसे अधिक शिकायतें जोधपुर (45,000), बीकानेर (38,000) और जैसलमेर (32,000) जिलों से मिली हैं। विभाग ने पूरे राज्य में जांच का दायरा बढ़ाते हुए सख्त निगरानी शुरू कर दी है। जांच में विशेष तौर पर फर्जी दस्तावेज, गलत बैंक खातों और मृतकों के नाम पर भुगतान की पुष्टि की जा रही है।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में स्पष्ट किया है कि पीएम फसल बीमा योजना का लाभ केवल वास्तविक किसानों को ही मिलेगा और किसी भी प्रकार की धांधली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2025 से फार्मर आईडी को पंजीकरण में अनिवार्य कर दिया है और राज्यों को कड़े निर्देश जारी किए हैं कि वे संदिग्ध नामों को पोर्टल से हटाएं और फंड रिकवरी की कार्रवाई करें। राजस्थान सहित सभी राज्यों को 21वीं किस्त (दिसंबर 2025) जारी होने से पहले सभी लाभार्थियों का सत्यापन और ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
पुराने पंजीकरणों का होगा पुनः सत्यापन
कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वे समय सीमा के भीतर सभी संदिग्ध लाभार्थियों का डेटा जांचें और आवश्यक कानूनी कार्रवाई शुरू करें। केंद्र ने योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए विशेष एसओपी जारी किए हैं। इसके तहत सभी नए और पुराने पंजीकरणों का पुनः सत्यापन आवश्यक कर दिया गया है ताकि केवल योग्य किसानों को ही योजना के तहत वित्तीय सहायता मिल सके।
इस पूरे मामले से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और धांधली को रोकने के लिए तकनीकी सुधार और कड़े नियम कितने जरूरी हैं। राजस्थान के कृषि विभाग की यह पहल एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, जिससे योजना की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता दोनों बढ़ेंगी।
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