सफेद सोने पर कुदरत का साया कम कीमत पर कपास बेचने को मजबूर किसान
23 नवंबर 2024, (विशेष प्रतिनिधि) इंदौर: सफेद सोने पर कुदरत का सायाकम कीमत पर कपास बेचने को मजबूर किसान – वस्त्र निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले कपास का बड़ी मात्रा में उत्पादन कर कपास का कटोरा कहे जाने वाले निमाड़ क्षेत्र खरगोन जिले के कपास उत्पादक किसानों के हालात ठीक नहीं है। लागत बढ़ने, उत्पादन घटने और कपास का वाज़िब दाम नहीं मिलने से कपास का उत्पादन घाटे का सौदा होता जा रहा है। सफ़ेद सोने पर कुदरत का ऐसा साया पड़ा है, कि किसानों को कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है। दशहरे तक क्षेत्र में वर्षा होने से कपास की गुणवत्ता पर असर पड़ा, जिससे किसानों का कपास खरीदी के मानकों पर खरा नहीं उतरा, नतीजा कपास की कीमत में गिरावट देखी गई। यह बात कृषक जगत द्वारा किए गए सर्वे में किसानों, किसान संघ ,भारतीय कपास निगम (सीसीआई ) और मंडी प्रभारी से की गई चर्चा में सामने आई है ।
किसानों के कथन – भीलगांव तहसील कसरावद के श्री जितेंद्र सिंह मंडलोई ने 20 बीघा में कपास लगाया था, लेकिन उपज को अभी बेचा नहीं है। सीसीआई के कसरावद केंद्र में बेचने की तैयारी है । श्री पाटीदार ने किसानों की तकलीफ बताते हुए कहा कि क्षेत्र के किसान आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है और न ही घरों में कपास की उपज को रखने की जगह है , इसलिए फसल आते ही उसे बेच दिया जाता है। इस साल हुई अधिक वर्षा ने भी कपास फसल की गुणवत्ता को प्रभावित किया। सरकार ने मध्यम रेशे वाले कपास का एमएसपी 7121 और लम्बे रेशे वाले कपास का 7521 रु /क्विंटल निर्धारित किया है , लेकिन क्षेत्र में लम्बे रेशे वाले कपास का उत्पादन कम ही होता है। ऐसे में किसानों को मंडी में कम भाव पर ही कपास बेचना पड़ रहा है। वहीं छोटी कसरावद के श्री प्रवीण राठौर ने 9 बीघे में 14 मई को कपास लगाया था। करीब 15 क्विंटल मंडी में से 5 क्विंटल 5300 और 10 क्विंटल 6300 रु क्विंटल के भाव बिका। बचा 40 क्विंटल कपास सीसीआई में पंजीयन कर बेचना चाहा, लेकिन राजस्व विभाग के आउट सोर्स कर्मचारी की त्रुटि से सर्वे में इनकी फसल को कपास के बजाय मक्का दर्शा दी। पोर्टल पर मक्का दर्ज़ होने से सीसीआई को कपास बेचने में दिक्कत आ रही है।कुछ अन्य किसानों ने भी ऐसी ही शिकायत की है। श्री प्रवीण ने कहा कि सीसीआई देर से खरीदी शुरू करती है और किसानों के पास स्टोरेज की समस्या होने से फसल को तुरंत बेचना मज़बूरी हो जाता है। ऐसी दशा में किसानों को कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता है। सोमाखेड़ी के किसान श्री बालकृष्ण पाटीदार ने 10 एकड़ में कपास लगाया है। फसल की चुनाई चल रही है। पूरी फसल एक साथ सीसीआई केंद्र महेश्वर में बेचेंगे।
इटावदी ( महेश्वर ) के श्री हेमेंद्र पाटीदार ने बताया कि उनके काका श्री भगवान पाटीदार ने 4 बीघा में कपास लगाया था । मौसम की मार और गुलाबी इल्ली के कारण करीब साढ़े पांच क्विंटल / बीघा का उत्पादन मिला। किसानों को फसल बीमा का भी कोई लाभ नहीं मिलता। सीसीआई की खरीदी तो मुंह दिखाई है। कपास खरीदी के कठोर मापदंडों के कारण सीसीआई हल्का माल नहीं खरीदती है। इसलिए अधिकांश किसानों ने अपना कपास मंडी में व्यापारियों को एमएसपी से कम पर बेचा। घोसला ( सनावद ) के श्री झबरसिंह पंवार एकमात्र ऐसे किसान हैं, जो फसल और उसके दाम से संतुष्ट दिखे। इन्होंने 7 एकड़ में कपास लगाया था। तीन बार में पूरा निकाल लिया है , इसमें से 12 क्विंटल कपास सीसीआई ने मध्यम रेशे वाली श्रेणी में 7421 रु के भाव से खरीदा। बाकी कपास को बाद में बेचेंगे। श्री पंवार का कहना था कि माल अच्छा हो तो दाम की कोई दिक्कत नहीं होती है। सिराली ( भीकनगांव ) के श्री आशीष मालवीया ने 14 एकड़ में कपास लगाया था। करीब 70 क्विंटल कपास एकत्रित किया है। कीमत कम होने से अभी बेचा नहीं है। सीसीआई में पंजीयन कराया है। देखते हैं कितना माल उनके मानकों पर खरा उतरता है। कुछ कपास भीकनगांव मंडी में 6300 रु /क्विंटल के भाव बेचा। उधर ,रणगांव ( बड़वानी ) के श्री पंकज यादव ने भी 12 एकड़ में कपास लगाया था। कपास की कीमत कम होने से अभी नहीं बेचा है । क्षेत्र के कपास का रेशा सीसीआई के मानक अनुसार नहीं होता और प्राकृतिक आपदा से आई नमी वाला कपास सीसीआई नहीं खरीदती है, इसलिए किसान मंडी में व्यापारियों को कम कीमत पर बेचते हैं। कपास की एमएसपी तो दिखावा है।
भारतीय किसान संघ का पक्ष – भारतीय किसान संघ मालवा प्रान्त युवा वाहिनी संयोजक श्री श्याम पंवार ( खरगोन ) ने कहा कि इस वर्ष कपास की लागत बढ़ गई , बारिश से उत्पादन घट गया और कम कीमत मिलने से किसानों को तिहरा नुकसान हुआ। न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सरकार की नीति भ्रमित करने वाली है। सोयाबीन में भी ऐसा ही हुआ। कपास में भी सीसीआई के नियम कठोर होने से सीसीआई सिर्फ 5 -10 % ही कपास खरीदती है, इससे किसानों को कोई लाभ नहीं होता है। 90 % कपास मंडी में व्यापारी अपने हिसाब से खरीदते हैं। एक तरफ कपास की चुनाई 10 -12 रु किलो हो गई , वहीं मीडियम कपास 6500 में बिक रहा है। किसानों का कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कम ही बिकता है। वहीं भारतीय किसान संघ , तहसील कसरावद के अध्यक्ष श्री बाबूलाल तिरोले ने कहा कि कसरावद के सीसीआई केंद्र में प्रति दिन 50 गाड़ी से अधिक कपास की खरीदी नहीं की जा रही है। इससे किसान उलझन में हैं। फसल सर्वे में गिरदावरी में हुई गलतियों से पोर्टल पर सही फसल दर्ज नहीं होने से भी किसान परेशान हैं। क्षेत्र में लम्बे रेशे वाला कपास कम बोया जाता है , ऐसे में किसानों को कपास का अधिकतम मूल्य 7521 नहीं मिल पाता है। सीसीआई की खरीदी में सख्ती होने से भी किसान अपना कपास मंडी में व्यापारियों को समर्थन मूल्य से नीचे बेचने को तैयार हो जाते हैं। सीसीआई द्वारा 50 गाड़ी कपास खरीदी का नियम नहीं बदला गया तो भारतीय किसान संघ द्वारा आंदोलन किया जाएगा।
सीसीआई का बयान – सीसीआई केंद्र बड़वाह और करही के प्रभारी श्री गजानन बाजारे ने कृषक जगत को बताया कि बड़वाह और करही दोनों केंद्रों पर कपास की खरीदी मानक अनुसार की जा रही है। कपास में नमी 8 -12 % तक मान्य है। इससे अधिक होने पर खरीदी सम्भव नहीं है। फिलहाल यहाँ गाड़ियों की संख्या निर्धारित नहीं है, लेकिन आवक अधिक होने पर कोई निर्णय लिया जाएगा। हमें शाम 6 बजे के पहले सभी इनवाइस बनाने और वाहन तुलवाने के निर्देश है , इसके बाद सॉफ्टवेयर स्वतः डाउन हो जाता है। ऐसे में अन्य गाड़ियों की खरीदी नहीं की जाती है, क्योंकि सॉफ्टवेयर नहीं चलता और रात में कपास की गुणवत्ता जांचना सम्भव नहीं है।
कसरावद मंडी में कपास की खरीदी नहीं – कसरावद के मंडी सचिव श्री किराड़े ने कहा कि कसरावद में सीसीआई वाले ही कपास की खरीदी कर रहे हैं , क्योंकि यहाँ ऐसे बड़े व्यापारी नहीं हैं ,जो सभी किसानों को भुगतान कर सके। सर्वे में फसल की गलत इंट्री से पोर्टल पर अन्य फसल दिखने की शिकायत कुछ किसानों ने यहां भी की है। उन्हें तहसीलदार अथवा पटवारी से सम्पर्क करने को कहा गया है। यह मामला मंडी के क्षेत्राधिकार का नहीं है।
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