प्रदेश में किसानों को भी ऊर्जा उत्पादक बनने का अवसर दिया जा रहा
22 नवंबर 2024, भोपाल: प्रदेश में किसानों को भी ऊर्जा उत्पादक बनने का अवसर दिया जा रहा – नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सौर ऊर्जा के विजन एवं मार्गदर्शन तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में प्रदेश अग्रणी राज्यों में शामिल होगा।
प्रदेश में वर्ष 2012 में नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों से स्थापित संयंत्रों की क्षमता 500 मेगावॉट से भी कम थी। पिछले 12 वर्षों में राज्य की कुल नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों से स्थापित क्षमता बढ़कर लगभग 7 हजार मेगावॉट हो गयी है। इस प्रकार राज्य की कुल ऊर्जा क्षमता में नवकरणीय ऊर्जा का अंश बढ़कर लगभग 21 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में नवकरणीय ऊर्जा से संयंत्रों की स्थापित क्षमता को 20 हजार मेगावॉट तक बढ़ायेंगे। मंत्री श्री शुक्ला ने कहा कि प्रदेश में किसानों को भी ऊर्जा उत्पादक बनने का अवसर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री कुसुम-‘अ’ एवं कुसुम-‘स’ के माध्यम से हम अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का कार्य भी पूर्ण तत्परता से कर रहे हैं।
कुसुम-‘अ’ के तहत 2 मेगावॉट तक की परियोजनाएँ किसानों द्वारा अपनी जमीन पर लगायी जा सकती हैं। परियोजनाएँ चिन्हित सब-स्टेशन के 5 किलोमीटर की परिधि में की जा सकती हैं। किसान अपनी भूमि को कुसुम-‘अ’ परियोजनाओं के लिये विकास को लीज पर भी दे सकते हैं। परियोजना से उत्पादित बिजली का क्रय पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी द्वारा 3.25 रुपये प्रति यूनिट दर से किया जा रहा है। कृषकों द्वारा कुसुम-‘अ’ के अंतर्गत अभी तक 30 मेगावॉट क्षमता के सौर संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है, लगभग 600 मेगावॉट की परियोजनाओं का चयन किया जा चुका है एवं एक हजार मेगावॉट की अतिरिक्त परियोजनाएँ लक्षित हैं।
कुसुम-‘स’ परियोजनाएँ कृषि के लिये दिन में बिजली प्रदाय के लिये उपयोगी है। कुसुम-‘स’ योजना के अंतर्गत 529 मेगावॉट की परियोजनाओं का चयन किया जा चुका है एवं कुल 3 हजार मेगावाट की परियोजनाएँ लक्षित हैं।
कुसुम-‘ब’ के अंतर्गत अभी तक प्रदेश में लगभग 21 हजार पम्प स्थापित किये गये हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश के किसानों के लिये सोलर पम्प की उपलब्धता के लिए एक लाख सोलर पम्पों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान में 52 हजार सौर पम्पों की स्थापना के लिये निविदा जारी की गयी है।
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