राज्य कृषि समाचार (State News)पशुपालन (Animal Husbandry)

रायपुर- राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान ने पशु स्वास्थ्य शिविर लगाया

14 नवंबर 2024, रायपुर: रायपुर- राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान ने पशु स्वास्थ्य शिविर लगाया – “मेरा गांव मेरा गौरव” (एमजीएमजी) पहल के हिस्से के रूप में, भा.कृ.अनु.प- राष्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान, बरोंडा, रायपुर ने छत्तीसगढ़ के पशु विकास विभाग के सहयोग से एक दिवसीय ” पौधा एवं पशु स्वास्थ्य शिविर” 12 नवंबर 2024 को छत्तीसगढ़ के तिल्दा ब्लॉक के केवतारा गांव में आयोजन किया है।

डॉ. पी.के. घोष, निदेशक और कुलपति, भा.कृ.अनु.प- राष्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान ,मुख्य अतिथि एवं समारोह की अध्यक्षता की। डॉ. डेज़ी बसंद्राई, संयुक्त निदेशक एवं समन्वयक (मेरा गांव मेरा गौरव) शामील हुए। अन्य उल्लेखनीय उपस्थित लोगों में डॉ. रामस्वरूप वर्मा, पशु चिकित्सक; डॉ. श्रीधर जे., (नोडल अधिकारी-मेरा गांव मेरा गौरव); डॉ. ललित खरबिकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक; डॉ. सौम्या दाश, वैज्ञानिक; डॉ. संदीप अदावी., वैज्ञानिक; गांव के सरपंच श्री. रजनी वर्मा; एवं सचिव श्री मिलन साहू।

किसानों के लाभ के लिए विशेषज्ञ वैज्ञानिकों द्वारा पौधों और पशु स्वास्थ्य पर व्याख्यानों की श्रृंखला दी गई है, डॉ. रामस्वरूप वर्मा ने पशुओं के टीकाकरण के महत्व पर जोर दिया, विशेष रूप से खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) जैसी बीमारियों के लिए उन्होंने पशुओं में मास्टिटिस जैसे संक्रमण को रोकने में स्वच्छता की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी चर्चा की। डॉ. सौम्या दाश ने जानवरों के आहार में खनिज मिश्रण शामिल करने के लाभों पर प्रकाश डाला और बताया कि यह हड्डियों की ताकत बढ़ाता है, दूध उत्पादन को बढ़ावा देता है और अंतः किसानों की आय बढ़ाता है।

डॉ. ललित खरबिकर ने किसानों को रबी फसल की सामान्य बीमारियों के बारे में जानकारी दी और प्रभावी प्रबंधन रणनीतियाँ प्रदान कीं, जबकि डॉ. श्रीधर जे. ने रबी फसलों के लिए कीट नियंत्रण उपायों पर चर्चा की। डॉ. डेज़ी बसंद्राई ने उच्च उत्पादकता के लिए उपयुक्त फसल किस्मों को चुनने के महत्व को रेखांकित किया और चना, अरहर और मसूर के लिए उपयुक्त किस्मों की सिफारिश की।

मुख्य अतिथि सम्बोधन में डॉ. पी.के. घोष ने किसानों को सरसों, मसूर और अरहर जैसी फसलों की खेती के लिए परती भूमि का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने पशुधन की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए नेपियर घास जैसी चारा फसलें उगाने का भी सुझाव दिया।

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