राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

जैविक खेती से 15 लाख की नौकरी छोड़ बने करोड़पति किसान: छिंदवाड़ा के राहुल कुमार की प्रेरक कहानी

05 दिसंबर 2024, भोपाल: जैविक खेती से 15 लाख की नौकरी छोड़ बने करोड़पति किसान: छिंदवाड़ा के राहुल कुमार की प्रेरक कहानी –  मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के खजरी गांव के श्री राहुल कुमार वसूले ने अपनी ज़िंदगी में ऐसा बदलाव किया, जो न सिर्फ उनके लिए, बल्कि आसपास के किसानों के लिए भी एक प्रेरणा बन गया। कभी 15 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर नौकरी करने वाले राहुल ने अपने परिवार पर रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव देखे और इस दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए नौकरी छोड़कर जैविक खेती की राह चुनी।

पारिवारिक संकट से मिली नई दिशा

बी.टेक और एम.बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने के बाद राहुल ने लगभग 15 वर्षों तक पावर प्लांट में काम किया। लेकिन जब उन्होंने अपने पिता और पुत्र को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में खो दिया, तो उन्होंने महसूस किया कि इन बीमारियों की जड़ रसायन आधारित खेती से पैदा होने वाला भोजन है। इस गहरी समझ के बाद, उन्होंने 2018 में नौकरी छोड़कर पूरी तरह जैविक खेती अपनाने का निर्णय लिया।

जैविक खेती को गहराई से समझने के लिए राहुल ने देश के विभिन्न संस्थानों और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लिया। उन्होंने जीवामृत, घनजीवामृत, केंचुआ खाद और नीमास्त्र जैसे जैविक उत्पाद बनाना सीखा। साथ ही इज़राइली तकनीक से संरक्षित खेती और मशरूम उत्पादन जैसे आधुनिक तरीकों को अपनाया। उनकी मेहनत और दृष्टिकोण ने उन्हें जैविक खेती का सफल मॉडल तैयार करने में मदद की।

राहुल की मेहनत और सफलता का नतीजा यह है कि उन्हें 1 से 3 दिसंबर 2024 तक पूसा, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में ‘मिलेनियर फॉर्मर ऑफ इंडिया 2024’ का प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला। इससे पहले, 2022 में उन्हें आगरा में ‘जैविक इंडिया अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। 2023 में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उन्हें गौ आधारित जैविक कृषि अवार्ड भी मिला।

10 एकड़ की भूमि पर जैविक खेती का अनूठा मॉडल

राहुल 10 एकड़ की अपनी भूमि पर गेहूं, ज्वार, बाजरा, रागी, मूंग, चना और सब्जियों की खेती करते हैं। प्राकृतिक खाद और जैविक तकनीकों के इस्तेमाल से उनकी उपज की गुणवत्ता बेहद ऊंची है। इसके साथ ही वे दुग्ध उत्पादन और मशरूम उत्पादन में भी सक्रिय हैं।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि “रसायनमुक्त नवरत्न आटा” है, जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी, मूंग, काला गेहूं और अन्य अनाज शामिल हैं। यह आटा उनके द्वारा स्थापित जैविक प्रसंस्करण यूनिट में तैयार होता है और ग्राहकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। इस यूनिट से 50 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।

जहां राहुल पहले 15 लाख रुपये के पैकेज पर नौकरी करते थे, अब उनकी खेती से सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। उनके उत्पाद गुरुग्राम, नोएडा, पुणे और मुंबई जैसे बड़े शहरों तक पहुंच रहे हैं।

राहुल ने “श्रीराम जैविक कृषक समूह” की स्थापना की, जिसमें 600 से अधिक किसान जुड़े हैं। वे किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं और उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित कर रहे हैं। उनके प्रयासों से कई किसान रासायनिक खेती छोड़कर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं।

राहुल का संदेश

राहुल मानते हैं कि सही सोच और मेहनत से न केवल व्यक्ति अपने जीवन को बदल सकता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उनकी कहानी यह दिखाती है कि जैविक खेती न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि आर्थिक रूप से भी एक बेहतर विकल्प है।

“रासायनिक खेती से जीवन बर्बाद होता है, लेकिन जैविक खेती से जीवन संवरता है।” – राहुल कुमार वसूले

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