छत्तीसगढ़ में नैनो यूरिया उपयोग आधारित फसल संगोष्ठी
18 फरवरी 2023, सक्ती । छत्तीसगढ़ में नैनो यूरिया उपयोग आधारित फसल संगोष्ठी – श्री लाल बहादुर सिंह (क्षेत्रीय अधिकारी इफको) द्वारा गत दिनों नैनो यूरिया उपयोग आधारित फसल संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन सिंघरा जिला सक्ती में किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री आर.एस. तिवारी (राज्य विपणन प्रबंधक इफको), डॉ. एस.के.सिंह (मुख्य प्रबंधक कृषि सेवा इफको), श्री जयनारायण पाटेल (सीएससी प्रबंधक) रहे व जिला के डीडीए व एसएडीओ भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। आयोजित संगोष्ठी में इफको के राज्य विपणन प्रबंधक श्री आर.एस.तिवारी ने बताया कि फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए किसान यूरिया का प्रयोग करते हैं। सफेद दाने के रूप में उपलब्ध यूरिया का आधे से कम हिस्सा पौधों को मिलता है। बाकी हिस्सा मिट्टी और हवा में चला जाता है। नैनो यूरिया को विभिन्न प्रकार के परीक्षण के बाद किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। धान, गेहूं, गन्ना, मक्का, सब्जी, मिलेट्स, चारे वाली फसल, दलहन-तिलहन सहित सभी फसलों पर अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं इसलिए यह सभी प्रकार कि फसल के लिए उपयुक्त है। आधा लीटर तरल यूरिया की बोतल एक एकड़ खेत के लिए काफी है। इसके प्रयोग से पर्यावरण, जल व मिट्टी का प्रदूषण नहीं होता। इसका अविष्कार दानेदार यूरिया की खामियों से जनमानस, फसल, मिट्टी व पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए किया गया है।
डॉ. एस.के.सिंह (मुख्य प्रबंधक कृषि सेवा इफको) दानेदार यूरिया पर निर्भर किसानों को नैनो यूरिया (तरल) के रूप में बेहतर विकल्प मिला है। इसके उपयोग से न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि, फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होगी। दानेदार यूरिया से काफी सस्ती है एवं आय में भी वृद्धि होगी। नैनो यूरिया की ये खूबियों के बारे में किसानों को बताया गया। क्षेत्रीय प्रबंधक श्री लाल बहादुर सिंह ने बताया कि 125 लीटर पानी में 1 बोतल नैनो यूरिया मिलाकर घोल बना कर एक फसल पर दो बार छिडक़ाव करते हैं। पत्तियों के माध्यम से यह पौधों में प्रवेश कर उत्पादन व उत्पादकता दोनों बढ़ाता है। इस कार्यक्रम में लगभग 200 किसानों ने भाग लिया व नैनो यूरिया पर अपने शंका को दूर किया। संगोष्ठी में आए सभी अधिकारीगणों व किसान साथियों का धन्यवाद कर सभा का समापन किया गया।
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