केवीके देवास द्वारा एकदिवसीय अंतः सेवाकालीन प्रशिक्षण आयोजित
19 मई 2023, देवास: केवीके देवास द्वारा एकदिवसीय अंतः सेवाकालीन प्रशिक्षण आयोजित – कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास द्वारा गत दिनों एक दिवसीय अंतःसेवाकालीन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें देवास के विभिन्न विकासखण्डों के लगभग 20 कृषि विस्तार अधिकारियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण में प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. ए.के.बड़ाया, श्री आरपी.कनेरिया,उप-संचालक, कृषि,शस्य वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.एस.भार्गव,उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. निशीथ गुप्ता,मत्स्य वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मी और प्रसार वैज्ञानिक श्रीमती अंकिता पाण्डेय ने सम्बोधित किया।
आरम्भ में डॉ. बड़ाया ने कहा कि जिले के कृषकों को खरीफ मौसम के लिए अपनी तैयारियां अभी से शुरू कर देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि देवास जिला सोयाबीन प्रधान क्षेत्र है, इसलिए सोयाबीन की उन्नत किस्म, उर्वरक आदि का प्रबंधन अभी से कर के रखें।साथ ही उन्होंने समन्वित कीट एवं व्याधि प्रबंधन प्राकृतिक खेती आदि के बारे में भी विस्तृत चर्चा की। श्री कनेरिया ने जिले में फसल विवधिकरण अपनाने पर जोर दिया और मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास करने के बारे में बताया। उन्होंने फसलों में रसायनों के प्रयोग को कम कर के प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर दिया।
डॉ. सिंह ने खरीफ फसल अंतर्गत सोयाबीन, मक्का, ज्वार की उन्नत उत्पादन तकनीक के बारे में विस्तारपूर्वक कृषि विस्तार अधिकारियों को बताया। उन्होंने सोयाबीन की फसल में कम लागत में अधिक उत्पादन करने हेतु बीजोपचार, उन्नत प्रजातियों का चुनाव, उर्वरक प्रबंधन आदि करने पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने फसलों में बढ़ती खरपतवारों की समस्या हेतु किसानों को समन्वित खरपतवार प्रबंधन अंतर्गत यांत्रिक, भौतिक, रासायनिक, जैविक एवं खरपतवार नियंत्रण पर चर्चा की।उन्होंने सोयाबीन में खरपतवार प्रबंधन हेतु समय-समय पर बदल-बदल कर खरपतवारनाशी का प्रयोग करने की सलाह दी। साथ ही खरपतवारनाशियों के प्रयोग में आने वाली सावधानियों की विस्तृत चर्चा की।
डॉ. भार्गव ने सिंचाई जल प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा करते हुए खेती में उन्नत कृषि यंत्रों के उपयोग पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से कृषि यंत्रों को अपनाने के बारे में जानकारी दी। डॉ. गुप्ता ने खेती में आमदनी बढ़ाने हेतु फल एवं सब्जी की खेती करने पर जोर दिया। केन्द्र की मत्स्य वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मी ने जैव विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य पालन पर जोर देते हुए कहा कि अनउपजाऊ जमीन पर तालाब बनाकर अतिरिक्त आमदनी हेतु मत्स्य पालन कर आय अर्जित कर सकते हैं। श्रीमती पाण्डेय ने केन्द्र की प्रसार गतिविधियों के बारे में अवगत कराते हुए सूचना एवं संचार तकनीकी का उपयोग कर अपने उत्पादन की मार्केटिंग कर उचित मूल्य अर्जित करने के बारे में बताया।
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