बिजली के बिल में छूट को खत्म करने का प्रस्ताव
06 जनवरी 2025, उज्जैन: बिजली के बिल में छूट को खत्म करने का प्रस्ताव – प्रदेश के साथ ही जिले में संचालित होने वाले उद्योगों को बिजली के बिल में मिलने वाली सुविधा को खत्म करने की तैयारी है। दरअसल उद्योगों को रात दस से सुबह 6 बजे के बीच उपयोग होने वाली बिजली के आने वाले बिल में दस प्रतिशत छूट दी जाती है लेकिन इस छूट को खत्म करने का प्रस्ताव है और यदि इस पर हरी झंडी मिल जाती है तो उद्योग संचालकों के सामने नया संकट खड़ा हो जाएगा।
मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने लगातार घाटा होने का हवाला देते हुए बिजली की दर में वृद्धि का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेजा है। इस प्रस्ताव में होने वाले घाटे का उल्लेख करते हुए उद्योगों को रात में दी जाने वाली रियायती बिजली की व्यवस्था को समाप्त करने का आग्रह आयोग सेे किया गया है। आयोग द्वारा याचिका स्वीकार कर अब आपत्ति मांगी गई है। कंपनी ने प्रदेश में चार हजार 107 करोड़ रुपये के नुकसान का हवाला दिया है। इसके साथ ही आम आदमी के बिजली बिलों की दर में भी साढ़े सात फीसदी की दर से अधिक की वृद्धि करने भी मांग की गई है। दरअसल प्रदेश में उच्च दाब कनेक्शन वाले उद्योगों को रात 10 बजे से सुबह छह बजे के बीच बिजली के उपयोग पर बिल में दस प्रतिशत की रियायत दी जाती है। इसे अब वापस लेने का प्रस्ताव रखा दिया गया है। अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो प्रदेश के 15 हजार बड़े और 10 हजार छोटे यानी कुल 25 पर आर्थिक भार आना तय है। इस प्रस्ताव को लेकर कंपनी का तर्क है कि रात के समय बिजली महंगी खरीदने के बाद उद्योगों को 10 प्रतिशत की छूट रात के समय उपयोग करने पर दी जाती है। इससे होने वाले घाटे की भरपाई आम आदमी के बिल में बढ़ोत्तरी कर की जाती है, जिससे आम उपभोक्ता पर बिजली बिल का भार पढ़ता है। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2023-24 में उद्योगों को रात के समय बिजली उपयोग करने पर 20 प्रतिशत तक बिलिंग में रियायत मिलती थी। इसे वर्ष 2024-25 के टैरिफ आदेश में कम कर 10 प्रतिशत तक कर दिया गया था। बिजली कंपनियों ने साल 2023-24 में बिजली का टैरिफ बढ़ाए जाने के लिए विद्युत विनियामक आयोग में याचिका दायर की थी। इस याचिका में बिजली कंपनियों ने 1537 करोड़ का घाटा बताया था। इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली कंपनियों ने आयोग से 3.20 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की मांग की थी। उधर, विद्युत विनियामक आयोग ने जब बिजली कंपनियों के घाटे की जांच की तो, यह घाटा 795 करोड़ रह गया था, तब आयोग ने 1.65 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की मंजूरी दी थी। इसी तरह से इसके पहले वर्ष 2022-23 में बिजली कंपनियों ने 3916 करोड़ का घाटा बताया था। इस घाटे की पूर्ति के लिए बिजली कंपनियों ने आयोग से 8.71 फीसदी बिजली का टैरिफ बढ़ाने की मांग थी। तब आयोग ने बिजली कंपनियों द्वारा दायर याचिकाओं की जांच क की। आयोग ने जांच के बाद साफ लिखा कि गहन जांच के बाद 1181 करोड़ का घाटा आ रहा है। यानी आयोग की जांच के बाद बिजली कंपनियों का घाटा से आधे से भी कम रह गया था। तब आयोग ने बिजली के टैरिफ में 2.64 फीसदी का इजाफा किया था।
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