मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र की प्रगति: चुनौतियों के बीच नई पहल
10 मई 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र की प्रगति: चुनौतियों के बीच नई पहल – मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिले हैं. किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने शुक्रवार को बताया कि प्रदेश दालों के उत्पादन में देश में पहले, खाद्यान्न उत्पादन में दूसरे और तिलहन उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. इसके अलावा, तृतीय फसली क्षेत्र में भी वृद्धि दर्ज की गई है.
मध्यप्रदेश ने कृषि क्षेत्र में लगातार सात बार कृषि कर्मण अवार्ड हासिल किया है. मंत्री कंषाना ने कहा, “प्रदेश ने फसलों के उत्पादन में रिकॉर्ड बनाया है.” हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि उत्पादन वृद्धि के बावजूद, छोटे और मझोले किसानों को अभी भी उचित मूल्य और संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
नरवाई जलाने पर सख्ती
फसल अवशेष (नरवाई) जलाने की समस्या को रोकने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं. नरवाई जलाने वाले किसानों को एक साल के लिए मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि की 6,000 रुपये की राशि से वंचित किया जाएगा. साथ ही, उनकी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नहीं खरीदा जाएगा. इसके बजाय, नरवाई प्रबंधन के लिए 46,800 से अधिक कृषि यंत्र अनुदान पर वितरित किए गए हैं, जिसके लिए 412 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है.
किसानों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं
खरीफ 2024 के धान उत्पादक किसानों को 4,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, जिसमें अधिकतम 10,000 रुपये तक की राशि प्रदान की जाएगी. वहीं, रबी 2024-25 में उपार्जित गेहूं पर 175 रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 24 फरवरी 2025 को 83.50 लाख से अधिक किसानों के खातों में 1,770 करोड़ रुपये और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 10 फरवरी 2025 को 81 लाख से अधिक किसानों के खातों में 1,624 करोड़ रुपये जमा किए गए.
प्रदेश में पहली बार भारत सरकार की समर्थन मूल्य योजना के तहत सोयाबीन का उपार्जन किया गया. 2,12,568 किसानों से 6.22 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद की गई, जिसके लिए 3,043.04 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. इसके साथ ही, रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना के तहत मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 3,900 रुपये प्रति हेक्टेयर की राशि दी जा रही है.
तकनीकी और कौशल विकास
कृषि में तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत 89 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया, जिन्होंने 4,200 हेक्टेयर में तरल उर्वरक का छिड़काव कर 21.22 लाख रुपये की आय अर्जित की. इस वर्ष 1,066 और महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जा रहा है. साथ ही, कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से 7,361 युवाओं को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें से 1,939 को रोजगार मिला. ड्रोन पायलट और ड्रोन तकनीशियन प्रशिक्षण भी शुरू किया गया है, जिसमें 50% शुल्क सरकार वहन कर रही है.
किसानों को सस्ते कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए हर साल 1,000 कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं. अब तक 4,730 केंद्र स्थापित हो चुके हैं, जिनमें 25 लाख रुपये तक की परियोजना लागत पर 40% (अधिकतम 10 लाख रुपये) अनुदान दिया जा रहा है. इसके अलावा, APEDA के तहत 20.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के लिए पंजीकृत किया गया है.
फार्म गेट ऐप: किसानों के लिए नया मंच
फार्म गेट ऐप के जरिए किसान अपनी उपज का विवरण और फोटो अपलोड कर मंडी के व्यापारियों के साथ सीधे सौदा कर सकते हैं. इससे छोटे और मझोले किसानों को परिवहन लागत और मंडी में उचित मूल्य न मिलने की समस्या से राहत मिली है.
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि सरकार की योजनाओं से किसानों को लाभ मिल रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सिंचाई सुविधाओं, फसल बीमा के दावों में देरी और बाजार में उतार-चढ़ाव जैसी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं. मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र की प्रगति निर्विवाद है, लेकिन इन चुनौतियों को दूर करने के लिए और अधिक ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
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