नर्मदापुरम में जलवायु परिवर्तन पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
26 दिसम्बर 2022, नर्मदापुरम: नर्मदापुरम में जलवायु परिवर्तन पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित – संभागायुक्त नर्मदापुरम श्री श्रीमन् शुक्ला के निर्देशानुसार नर्मदापुरम जिले का चयन जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना तैयार करने हेतु किया गया। जिला कलेक्टर श्री नीरज कुमार सिंह द्वारा कार्ययोजना तैयार करने के संबंध में नर्मदापुरम की जलवायु संबंधी चिंताओं पर अपने सुझाव साझा किये गये तथा जिला प्रशासन के वरिष्ठ एवं अनुभवी विभागीय अधिकारियों के साथ कार्यशाला आयोजित करने का महत्वपूर्ण सुझाव दिया गया | इसी अनुक्रम में गत दिनों नर्मदापुरम में एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में स्थानीय जिला प्रशासन के लगभग 35 वरिष्ठ अधिकारीगण एवं राज्य में कार्यरत अनुभवी विषय विशेषज्ञों तथा वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (WRI ) की क्लाइमेट रेसिलिएस प्रेक्टिस प्रोग्राम की 6 सदस्यीय टीम द्वारा नर्मदापुरम जिले की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना तैयार करने हेतु प्रत्येक विषयों पर ब्लाकवार चर्चा की गई । कार्यशाला में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, आपदा प्रबंधन, ऊर्जा, शहरी एवं ग्रामीण व्यवस्था आदि प्रमुख विषयों की महत्वपूर्ण क्लाइमेट रेसिलिएंट गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा कर कार्ययोजना में उनके महत्त्व एवं ब्लाकवार आवश्यकता को ध्यान में रखते प्राथमिकता से समाहित करने का निर्धारण किया गया ।
जिलों में अधिकारियों के प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास हेतु WRI द्वारा तैयार ट्रेनिंग मोड्यूल का विमोचन संभागायुक्त श्री श्रीमन शुक्ला, सेवानिवृत प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री रमेश श्रीवास्तव,पर्यावरण विभाग के अधिकारी श्री लोकेन्द्र ठक्कर, WRI इण्डिया के निदेशक डॉ नाम्बी अप्पादुरई, मुख्य वैज्ञानिक कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के सेवानिवृत्त डॉ. एस डी उपाध्याय द्वारा किया गया । कार्यशाला में राज्य शासन, WRI, पर्यावरण विभाग की संस्था एप्को एवं विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भाग लिया गया।
उल्लेखनीय है कि यह देश की पहली कार्यशाला है, जिसको आयोजित करने का उत्पन्न कार्बन फूट- प्रिंट प्रतिभागियों द्वारा देश में प्रगतिरत अन्य परियोजनाओं में पौधरोपण द्वारा कम किया गया। इसका आशय यह हुआ कि नर्मदापुरम जिले में आयोजित कार्यशाला में परिवहन, बिजली एवं अन्य व्ययवस्था में जितना कार्बन उत्सर्जन हुआ उसे कम करने के लिए प्रतिभागियों की संख्या के अनुसार एक निश्चित राशि वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट द्वारा निर्धारित की गई थी। कार्यशाला में पंजीयन के दौरान प्रतिभागियों द्वारा वानिकी, कृषिवानिकी, जैव अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन एवं भूमिसुधार की परियोजनाएँ जो महाराष्ट्र, कर्नाटक, आँध्रप्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा में प्रगतिरत है उनमे क्रियान्वयन के लिए वह राशि हस्तांतरित कर वृक्षारोपण के माध्यम से कार्यशाला का कार्बन फुटप्रिंट कम किया गया। इस प्रकार यह कार्यशाला कार्बन न्यूट्रल के रूप में संपन्न हुई।
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