राज्य कृषि समाचार (State News)

अब नहीं होगी तौल में हेरफेर! 144 मंडियों में लगे इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे

08 फ़रवरी 2025, भोपाल: अब नहीं होगी तौल में हेरफेर! 144 मंडियों में लगे इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे – मध्यप्रदेश के किसानों को अब उपज बेचने और बाजार से जुड़ने के लिए नई डिजिटल सुविधाएं मिल रही हैं। राज्य सरकार के कृषि विपणन बोर्ड के तहत एमपी फार्मगेट ऐप, ई-नाम और इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज जैसी योजनाओं से किसानों को मंडी जाने की जरूरत कम होगी और वे सीधे खरीदारों से जुड़ सकेंगे।

डिजिटल प्लेटफॉर्म से किसानों को सीधा लाभ

प्रदेश में एमपी फार्मगेट ऐप की शुरुआत की गई है, जिसके जरिए किसान अपनी उपज को घर बैठे ही बेच सकते हैं। वहीं, ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना) मंडी समितियों को डिजिटल रूप से जोड़ती है, जिससे किसानों को बाज़ार की जानकारी और बेहतर दाम मिल सकते हैं।

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अवैध व्यापार पर लगाम लगाने के लिए फ्लाइंग स्कॉट ऐप के जरिए गोदामों की निगरानी और निरीक्षण की सुविधा दी गई है। वहीं, इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज के जरिए व्यापारी और किसान सीधे डिजिटल माध्यम से स्पॉट ट्रेडिंग कर सकते हैं। कृषि विपणन बोर्ड के मुताबिक, इन उपायों से किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य मिलने में मदद मिलेगी।

राज्य सरकार ने फल-सब्जी बेचने के लिए किसानों को मंडी प्रांगण के बाहर वैकल्पिक सुविधा भी दी है। प्रदेश की 259 कृषि मंडियों में से 144 में इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे लगाए गए हैं, जिससे तौल प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी।

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किसानों को मिलेगा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ

प्रदेश में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 81 लाख से अधिक किसानों को लाभ दिया जा रहा है। इस योजना में किसानों को हर साल तीन किश्तों में 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक किसानों के खातों में 14,254 करोड़ रुपये अंतरित किए जा चुके हैं, और इस साल के लिए 4,900 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। इस योजना की 11वीं किश्त 10 फरवरी को किसानों के बैंक खातों में जारी की जाएगी।

इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को डिजिटल सुविधाओं से जोड़ना और व्यापार को पारदर्शी बनाना है। हालांकि, यह देखना होगा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किसानों को कितना लाभ मिल रहा है और वे कितनी आसानी से इनका उपयोग कर पा रहे हैं। एमपी फार्मगेट और ई-नाम का व्यापक प्रचार और प्रशिक्षण जरूरी होगा ताकि अधिक किसान इस प्रणाली से जुड़ सकें।

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