MP की सहकारी समितियां अब सिर्फ उधार नहीं देंगी, करेंगी बिजनेस भी! जानें कैसे
09 अप्रैल 2025, भोपाल: MP की सहकारी समितियां अब सिर्फ उधार नहीं देंगी, करेंगी बिजनेस भी! जानें कैसे – मध्यप्रदेश में सहकारी समितियों को आधुनिक बनाने और उनकी गतिविधियों का दायरा बढ़ाने की दिशा में नए कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, “सहकारी समितियों की साख और विश्वास बनाए रखने के लिए कार्यप्रणाली में पारदर्शिता जरूरी है।” उन्होंने जून 2025 तक सभी समितियों का ऑडिट पूरा करने और दिसंबर 2025 तक शत-प्रतिशत कम्प्यूटरीकरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। यह बातें उन्होंने मंगलवार को मंत्रालय में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में कहीं। बैठक में सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, मुख्य सचिव अनुराग जैन और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
समितियों में नए क्षेत्रों पर जोर
मुख्यमंत्री ने समितियों को पारंपरिक कार्यों से आगे बढ़कर एग्री-ड्रोन, जन औषधि केंद्र, कॉमन सर्विस सेंटर, जल कर वसूली केंद्र और प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र जैसी गतिविधियां शुरू करने की सलाह दी। साथ ही ड्रिप एरिगेशन, ग्रेडिंग-सॉर्टिंग, पैकेजिंग, जंगल सफारी, गेस्ट हाउस और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। उन्होंने को-ऑपरेटिव पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (सीपीपीपी) मॉडल के जरिए समितियों को नए व्यवसाय के अवसर देने की बात भी कही। इसके लिए अल्पसेवित पंचायतों में नई समितियों के गठन को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया।
कृषकों को मिला बड़ा आर्थिक सहारा
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2024-25 में 35 लाख 3 हजार किसानों को 21,232 करोड़ रुपये का फसल ऋण वितरित किया गया, जो पिछले साल की तुलना में 1286 करोड़ रुपये अधिक है। आठ आकांक्षी जिलों—खंडवा, बड़वानी, गुना, राजगढ़, विदिशा, दमोह, छतरपुर और सिंगरौली—में अगले पांच साल में 6710 करोड़ रुपये के ऋण वितरण का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, 13 आकांक्षी विकास खंडों में 26 नई सहकारी समितियां बनाई गई हैं।
सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक स्तर पर भी कदम उठाए जा रहे हैं। सभी समितियों के लेन-देन की जानकारी किसानों को एसएमएस के जरिए दी जाएगी। जिला बैंकों और प्राथमिक कृषि साख समितियों में 36 अधिकारियों और 1358 समिति प्रबंधकों की नियुक्ति पूरी हो चुकी है, जबकि अन्य पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है।
क्या होगा असर?
ये कदम सहकारी समितियों को आधुनिक और बहुआयामी बनाने की कोशिश का हिस्सा हैं। एग्री-ड्रोन और खाद्य प्रसंस्करण जैसे नए क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं, बशर्ते इन्हें जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। हालांकि, पारदर्शिता और कम्प्यूटरीकरण के लक्ष्य को समय पर पूरा करना एक बड़ी चुनौती होगी। किसानों को मिला फसल ऋण खेती में सहारा दे सकता है, लेकिन इसका लाभ तभी होगा जब इसका सही उपयोग सुनिश्चित हो।\
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