राज्य कृषि समाचार (State News)

क्षेत्रीय केंद्र इंदौर द्वारा गेहूं उत्पादक किसानों को सलाह

21 दिसंबर 2020, इंदौर l क्षेत्रीय केंद्र इंदौर द्वारा गेहूं उत्पादक किसानों को सलाह भा.कृ.अनु.परिषद ,भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान ,क्षेत्रीय केंद्र इंदौर द्वारा गेहूं उत्पादक किसानों को सिंचाई , खाद, खरपतवार नियंत्रण एवं कीट नियंत्रण के लिए उपयोगी सलाह दी गई है , जो निम्न है –

उर्वरक प्रयोग : गेहूं के लिए सामान्यतया नत्रजन , स्फुर और पोटाश 4 :2 :1 के अनुपात में देना चाहिए l असिंचित खेती में 40:20 :10 , सीमित सिंचाई में 60 :30 :15 या 80 :40 :20 , सिंचित खेती में 120 :60 :30 तथा देर से बुवाई में 100 :50 :25 किलोग्राम /हेक्टेयर के अनुपात में उर्वरक देना चाहिए l सिंचित खेती की मालवी किस्मों को नत्रजन, स्फुर और पोटाश 140:70 :35 कि.ग्रा./हेक्टेयर की दर से देना चाहिए l पूर्ण सिंचित खेती में नत्रजन की आधी मात्रा तथा स्फुर व पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले मिट्टी में ओरना (3 -4 इंच गहरा ) चाहिए l शेष नत्रजन पहली सिंचाई के साथ देना चाहिए l वर्षा आधारित या सीमित सिंचाई की खेती में सभी उर्वरक बुवाई से पहले मिट्टी में एक साथ देने चाहिए l किसानों को सलाह है कि खेत के उतने हिस्से में में ही यूरिया भुरकाव करें जितने में उसी दिन सिंचाई दे सकें l यूरिया को बराबर से फैलाएं l

सिंचाई : गेहूं की अगेती खेती में (मध्य क्षेत्र की काली मिट्टी तथा 3 सिंचाई की खेती में ) पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद ,दूसरी 35 – 40 दिन और तीसरी सिंचाई 70 – 80 दिन की अवस्था में करना पर्याप्त है l पूर्ण सिंचित समय से बुवाई में 20 -20 दिन के अंतराल पर 4 सिंचाई करें l ज़रूरत से ज़्यादा सिंचाई न करें , अन्यथा फसल गिर सकती है , साथ ही दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं और उपज कम हो जाती है l किसान , बालियां आने पर फव्वारा विधि से सिंचाई न करें , अन्यथा फूल खिरने ,दानों का मुंह काला पड़ने ,करनाल बंट या कंडुआ रोग के प्रकोप का डर रहता है l अधिक सर्दी वाले दिनों में फसलों में स्प्रिंकलर से हल्की सिंचाई करें l 500 ग्राम थायो यूरिया 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें या 8 -10 किलोग्राम सल्फर पाउडर /एकड़ का भुरकाव करें अथवा घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें l

खरपतवार : गेहूं फसल में मुख्यतः दो प्रकार के खरपतवार होते हैं l चौड़ी पत्ती वाले बथुआ ,सेंजी , दूधी ,कासनी, जंगली पालक ,जंगली मटर, कृष्ण नील ,हिरनखुरी तथा संकरी पत्ती वाले मोथा, जंगली जई और कांस l जो किसान खरपतवारनाशक का उपयोग नहीं करना चाहते हैं वे डोरा , कुल्पा या हाथ से निंदाई -गुड़ाई कर 40 दिन से पहले दो बार करके खरपतवार निकाल सकते हैं l मजदूर नहीं मिलने पर चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के लिए 2 ,4 डी की 0 .65 किग्रा. या मैटसल्फ्युरॉन मिथाइल की 4 ग्राम मात्रा /हे. की दर से बुवाई के 30 -35 दिन बाद, जब खरपतवार दो-चार पत्ती वाले हों , छिड़काव करें l संकरी पत्ती वाले खरपतवार के लिए क्लौडीनेफॉप प्रौपरजिल 60 ग्राम /हे. की दर से 25 -35 दिन की फसल में छिड़काव करने से दोनों तरह के खरपतवारों पर नियंत्रण किया जा सकता है ल

कीट नियंत्रण : इन दिनों फसल पर जड़ माहु कीटों का प्रकोप देखा जा सकता है l यह कीट गेहूं के पौधे को जड़ से काट देते हैं l इस कीट के नियंत्रण के उपाय करना ज़रूरी है l इसके लिए क्लोरोपाइरीफॉस 20 ई .सी .दवाई 5 लीटर /हेक्टेयर बालू रेत में मिलाकर खेत में नमी होने पर बुरकाव करें या बुरकने के बाद सिंचाई कर दें अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल.250 मिली लीटर या थाई मैथोकसैम की 200 ग्राम /हे. की दर से 300 -400 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें l यदि माहु का प्रकोप गेहूं फसल में ऊपरी भाग (तनों या पत्तों ) पर होने की दशा में इमिडाक्लोप्रिड 250 मिलीग्राम /हे. की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें l

देरी से बुवाई की अनुशंसित किस्में – एच .डी. 2932 ( पूसा 111 ), एच.आई .1634 (पूसा अहिल्या ),जे.डब्ल्यू .1202 -1203 ,एम.पी.3336 ,राज 4238 इत्यादि प्रजातियों की बुवाई 31 दिसंबर तक अवश्य कर दें l इसमें एनपीके खाद 100 :50 :25 की दर से दें l खेत में गेहूं के पौधे सूखने या पीले पड़ने पर तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेकर शीघ्र उपचार करें l

महत्वपूर्ण खबर : कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा का वेटिनरी काउंसिल में मनोनयन

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *