सहकारी समितियों का नया दौर: अब टिकट बुकिंग से लेकर पेट्रोल पंप तक, किसानों की आय बढ़ाने का दावा
14 अप्रैल 2025, भोपाल: सहकारी समितियों का नया दौर: अब टिकट बुकिंग से लेकर पेट्रोल पंप तक, किसानों की आय बढ़ाने का दावा – मध्यप्रदेश में सहकारी समितियों की भूमिका अब केवल कृषि ऋण तक सीमित नहीं रहने वाली है। ये समितियां अब टिकट बुकिंग, बिल जमा करने, पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी चलाने जैसी विविध गतिविधियों में कदम रख रही हैं। रविवार को भोपाल के रविन्द्र भवन में आयोजित राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “सहकारी समितियों से होने वाली आय सीधे किसानों के खातों में जाएगी, मुनाफा किसानों को मिलेगा, व्यापारियों को नहीं।”
सम्मेलन में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और मध्यप्रदेश डेयरी फेडरेशन के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इन समझौतों का मकसद दूध उत्पादन और उसकी प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना है, ताकि किसानों की आय में इजाफा हो सके। मध्यप्रदेश में प्रतिदिन 5.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है, जो देश के कुल दूध उत्पादन का 9% है। इस आंकड़े को और बढ़ाने के लिए सरकार और एनडीडीबी मिलकर काम करेंगे।
पैक्स का कंप्यूटरीकरण, मध्यप्रदेश अव्वल
अमित शाह ने बताया कि प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) के कंप्यूटरीकरण में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा, “पैक्स अब 30 से अधिक गतिविधियों में शामिल हैं, जिससे उनकी आय बढ़ रही है।” पहले पैक्स केवल अल्पकालिक कृषि ऋण देते थे, जिसमें उन्हें मामूली लाभ होता था। अब नई गतिविधियों के जरिए इन समितियों को मजबूत करने की कोशिश हो रही है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 2500 करोड़ रुपये की राशि से देशभर की पैक्स को डिजिटल करने का काम शुरू किया है।
सहकारिता मंत्रालय और नए कदम
केंद्र सरकार ने 2021 में सहकारिता मंत्रालय बनाया था, जिसके बाद से सहकारी समितियों के लिए कई बदलाव किए गए हैं। मॉडल बायलॉज लागू होने से पैक्स को नई गतिविधियों में शामिल होने का मौका मिला है। शाह ने कहा, “सहकारिता आंदोलन को नया जीवन मिला है।” इसके अलावा, किसानों के उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहुंचाने के लिए एक्सपोर्ट को-ऑपरेटिव और जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ऑर्गेनिक को-ऑपरेटिव बनाए गए हैं। साथ ही, बीज उत्पादन के लिए छोटे किसानों को भी सहकारी समितियों से जोड़ा गया है।
डेयरी क्षेत्र पर विशेष जोर
सम्मेलन में डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने पर खास चर्चा हुई। मध्यप्रदेश सरकार ने दूध उत्पादन को 9% से बढ़ाकर 20% करने का लक्ष्य रखा है। एनडीडीबी के निदेशक डॉ. निमेश शाह ने कहा, “हमारा लक्ष्य दूध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को प्रशिक्षण देना और उनके उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग करना है।” इसके लिए दूध से दही, पनीर, चीज जैसे उत्पाद बनाने पर जोर दिया जाएगा।
चुनौतियां और सवाल
हालांकि, सहकारी समितियों की नई भूमिका और डिजिटल बदलाव की बातें आशाजनक हैं, लेकिन कई सवाल भी उठ रहे हैं। क्या ये बदलाव ग्रामीण स्तर पर समान रूप से लागू हो पाएंगे? डिजिटल साक्षरता और बुनियादी ढांचे की कमी जैसे मुद्दों का समाधान कैसे होगा? साथ ही, इन योजनाओं का लाभ छोटे और सीमांत किसानों तक कितना पहुंचेगा, यह देखना बाकी है।
सहकारी समितियों को नए क्षेत्रों में ले जाने और डेयरी उत्पादन को बढ़ाने की यह पहल मध्यप्रदेश के लिए एक बड़ा कदम हो सकती है। लेकिन इसका असर तभी दिखेगा, जब ये योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू हों। किसानों की आय बढ़ाने का दावा कितना साकार होगा, यह समय बताएगा।
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