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असम में पाम तेल खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला: स्थिरता और प्रगति के लिए नए रास्ते तलाशे गए

03 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: असम में पाम तेल खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला: स्थिरता और प्रगति के लिए नए रास्ते तलाशे गए – गुवाहाटी में असम के कृषि विभाग और भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला और समीक्षा बैठक में देशभर के तेल पाम किसानों, सरकारी अधिकारियों, निजी कंपनियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने सतत तेल पाम खेती पर गहन चर्चा की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में तेल पाम उत्पादन को बढ़ावा देना और इसे अधिक टिकाऊ बनाने के उपायों पर विचार करना था।

किसानों और उद्योग के बीच संवाद

कार्यशाला की शुरुआत किसानों और तेल पाम उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ संवाद सत्र से हुई, जिसमें तेल पाम खेती से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार-विमर्श किया गया। इस सत्र में देश के विभिन्न हिस्सों से आए तेल पाम किसानों और उद्योग जगत के नेताओं ने हिस्सा लिया, जहां उन्होंने अपनी समस्याओं और सुझावों को साझा किया। इसके बाद, असम सरकार के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ-ओपी) के कार्यान्वयन की समीक्षा की, जिससे भविष्य में नीतिगत निर्णयों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए नए उपायों पर सहमति बनी।

असम की भूमिका पर विशेष जोर

कार्यशाला को संबोधित करते हुए असम के कृषि मंत्री श्री अतुल बोरा ने तेल पाम खेती के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि असम न केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र बल्कि पूरे देश में तेल पाम खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने किसानों को सरकार के निरंतर समर्थन का आश्वासन भी दिया।

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने घरेलू खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत में तेल पाम उत्पादन को अगले 5-6 वर्षों में 2% से बढ़ाकर 20% करने का लक्ष्य है, जो देश की खाद्य सुरक्षा के लिए अत्यधिक आवश्यक है।

तकनीकी और आर्थिक दृष्टिकोण

कार्यशाला में कई तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ, जिनमें शेल जीन तकनीक जैसी नई तकनीकों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री की उपलब्धता, पौधों की गुणवत्ता और तेल की पैदावार में सुधार के उपायों पर भी जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने पाम ऑयल के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी लाभों पर भी प्रकाश डाला और इसके प्रति फैली गलतफहमियों को दूर किया।

इस कार्यशाला में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने पाम ऑयल उत्पादन में वैश्विक रुझानों और विनियामक विकास पर जानकारी साझा की। पाम ऑयल उत्पादक देशों की परिषद (सीपीओपीसी), राउंड टेबल सस्टेनेबल पाम ऑयल (आरएसपीओ) और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के प्रतिनिधियों ने भी टिकाऊ खेती और जलवायु लचीलेपन पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने भारत में पर्यावरणीय नुकसान से बचने के लिए आवश्यक रणनीतियों पर जोर दिया।

निजी क्षेत्र की भूमिका

कार्यशाला में गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड, 3एफ ऑयल पाम प्राइवेट लिमिटेड और पतंजलि फूड्स लिमिटेड जैसी प्रमुख कंपनियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने भारत में तेल पाम उत्पादन में निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और इस क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया।

कार्यक्रम के अंत में चर्चा का फोकस भारत में तेल पाम खेती के उज्ज्वल भविष्य पर था। असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र की संभावनाओं को लेकर विशेष रूप से चर्चा हुई, जहां पाम ऑयल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी और निजी सहयोग की भूमिका पर विचार किया गया। इस कार्यशाला में हुई चर्चाओं से तेल पाम उत्पादन में स्थिरता, लाभप्रदता और आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद है।

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