सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में राष्ट्रीय वेबिनार
किसान स्वयं की विकसित किस्में पंजीकृत कर सकते हैं
03 सितम्बर 2022, इंदौर: सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में राष्ट्रीय वेबिनार – भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर की प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई (आई.टी.एम.यू) ने कृषि विज्ञान केंद्र, कस्तूरबाग्राम, इंदौर के सहयोग से पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार और संरक्षण अधिनियम 2001 के तहत जागरूकता फैलाने के लिए ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया। जिसमें देश भर के कई किसानों ने इस कार्यक्रम से जुड़ कर इसका लाभ उठाया। अतिथि वक्ता डॉ दिनेश कुमार अग्रवाल, रजिस्ट्रार जनरल, पीपीवी और एफआर, थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान की निदेशक डॉ नीता खांडेकर ने की।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि किसान पारंपरिक किस्मों के साथ-साथ उनके द्वारा विकसित की गई किस्मों को भी पंजीकृत कर सकते हैं ताकि उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके । इस सुविधा का लाभ पूरे देश के किसानों उपलब्ध कराने के लिए पीपीवी और एफआरए किसानों को अपनी किस्मों को शून्य लागत पर पंजीकृत करने का अधिकार प्रदान करता है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्राप्त 17000 से अधिक आवेदनों मेंसे, 11000 विकसित किस्में किसानों द्वारा प्रस्तावित की गई है, जो कि हमारे देश के लिए स्वर्ण कुंजी के सामान है। जिसमें से 200 किसानों की किस्मों को पीपीवी और एफआरए द्वारा संरक्षित किया गया है । डॉ अग्रवाल ने किसानों की सभी शंकाओं एवं सवालों का जवाब भी दिया। डॉ एम.पी. शर्मा संयोजक, डॉ मृणाल कुचलन, वैज्ञानिक,सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर और डॉ आलोक देशवाल, केवीके,कस्तूरबाग्राम सह-संयोजक की भूमिका में उपस्थित थे ।
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