राज्य कृषि समाचार (State News)

सरसों की खेती बनी रबी सीजन की नई पसंद, किसान बढ़ा रहे मुनाफा

15 जनवरी 2025, जबलपुर: सरसों की खेती बनी रबी सीजन की नई पसंद, किसान बढ़ा रहे मुनाफा – मध्यप्रदेश में तिलहन फसलों को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत, जबलपुर के मझौली विकासखंड के ग्राम सुहजनी में सरसों की फसल का निरीक्षण किया गया। यह फसल इस समय फूलों की अवस्था में है। निरीक्षण के दौरान कृषि अधिकारियों ने किसानों से चर्चा कर उनकी खेती के अनुभव साझा किए। इस मौके पर अनुविभागीय कृषि अधिकारी सिहोरा रवि आम्रवंशी और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जे.एस. राठौर मौजूद रहे।

कृषकों ने सरसों की खेती के अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे पहली बार इसे उगा रहे हैं। कृषक नरेश रजक और राजकुमार बर्मन ने जानकारी दी कि उनकी फसल से प्रति एकड़ 10-12 क्विंटल उत्पादन की उम्मीद है।

सरसों की खेती के फायदे

वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जे.एस. राठौर ने बताया कि यदि सरसों की बुवाई 15 सितंबर तक पूरी कर ली जाए, तो माहू जैसे कीटों का प्रकोप कम हो जाता है। किसान राजकुमार बर्मन ने कहा कि पहले वे गेहूं की फसल लेते थे, लेकिन अब सरसों उगाने से उनकी आय में वृद्धि की संभावना है।

नरेश रजक ने बताया कि गेहूं के मुकाबले सरसों की खेती अधिक लाभकारी साबित हो रही है। जहां गेहूं की बुवाई में प्रति एकड़ 40-50 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, वहीं सरसों के लिए मात्र 1 किलोग्राम बीज पर्याप्त है। उत्पादन की बात करें तो एक एकड़ में गेहूं का उत्पादन 20-22 क्विंटल होता है, जबकि सरसों से 10-12 क्विंटल तक उत्पादन होता है।

सरसों की फसल को सिर्फ 2 बार सिंचाई की जरूरत होती है, जबकि गेहूं में 5-6 सिंचाई करनी पड़ती है। इसके अलावा, तिलहनी फसलों की जड़ें गहराई तक जाती हैं, जिससे वे भूमि की निचली सतह से पोषक तत्व प्राप्त करती हैं।

अधिकारियों ने किसानों को सलाह दी कि यदि फसल पर माहू कीट का आक्रमण हो, तो उपयुक्त कीटनाशक का छिड़काव करें। इस तरह की जागरूकता किसानों की आय और उपज दोनों को बढ़ाने में सहायक हो सकती है।

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