अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय होने जा रही मोहन सरकार की कृषक व श्री अन्न आधारित योजना
04 सितम्बर 2024, भोपाल: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय होने जा रही मोहन सरकार की कृषक व श्री अन्न आधारित योजना – मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के किसानों हेतु रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना लागू की है। कृषक जगत हेतु महत्वपूर्ण इस योजना में श्री अन्न जैसे कोदो, कुटकी, रागी, ज्वार, बाजरा, कंगनी, सांवा आदि को उपजाने वाले कृषक बंधुओं को प्रति किलो 10 रुपये दिए जाएंगे। कृषकों को दस रू. प्रति किलोग्राम दस रुपये देने की योजना जहां देश के लिए बड़ी मात्रा में श्री अन्न उपजाने हेतु प्रेरणा व आर्थिक संबल देगी वहीं कृषकों, विशेषतः जनजातीय कृषकों हेतु वरदान सिद्ध हो सकती है।
जनजातीय कृषक लाभान्वित होंगे
हमारे प्रदेश के जनजातीय पूर्व से ही इन मोटे अनाजों को उपजाते व खाते रहें हैं किंतु अब इस योजना से वे श्री अन्न का उत्पादन बढ़ायेंगे। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत की पहल पर वर्ष 2023 को श्रीअन्न वर्ष घोषित किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी श्रीअन्न को अपने भाषणों व कथनों में स्थान देते रहते हैं जिससे देश में मोटा अनाज खाने का एक सुदृढ़ वातावरण बन गया है। इस स्थिति में इन अनाजों हेतु बाजार बढ़ना ही है। अब इस योजना से मप्र के कृषक विशेषतः जनजातीय कृषक लाभान्वित होंगे। कृषकों को उनकी प्रोत्साहन राशि सीधे उनके खाते में अंतरित की जाएगी। ये अनाज प्रमुख रूप से मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, शहडोल, अनूपपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा, सीधी और सिंगरौली जैसे जनजातीय बहुल जिलों में उगाए जाते हैं। प्रदेश में मोटे अनाजों के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन पर केंद्रित एक सम्मेलन का आयोजन भी पूर्व में हो चुका है।
अनुसंधान संस्थान केंद्र के निर्माण की भी घोषणा
प्रदेश के डिंडोरी जिले में श्री अन्न अनुसंधान संस्थान केंद्र के निर्माण की भी घोषणा हो चुकी है। यद्यपि वर्तमान में मप्र, देश के मोटे अनाज के उत्पादन में केवल 3.5 प्रतिशत का योगदान देता है वहीं राजस्थान में देश का 33 प्रतिशत व कर्नाटक में 23 प्रतिशत रकबे में इसकी कृषि की जाती है। मोटे अनाज स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक उपयोगी व लाभप्रद होते हैं। इनमें खनिज, मिनरल्स व प्रोटीन की मात्रा अत्यधिक होती है। इन सभी गुणों के कारण श्रीअन्न को कई बीमारियों के निदान हेतु भी उपयोग किया जाने लगा है I
मप्र देश में मोटे अनाजों के उत्पादन में पांचवें न. पर
वर्तमान समय में मप्र में छः लाख बीस हजार हेक्टेयर भूमि पर मोटा अनाज उत्पादित किया जा रहा है जबकि वर्ष 2021-22 में यह पांच लाख पचपन हजार हेक्टेयर पर ही श्रीअन्न उपजाया जाता था। मप्र देश में मोटे अनाजों के उत्पादन में पांचवें न. पर है। वर्ष 2023-24 में प्रदेश में 12.68 लाख टन मोटे अनाजों का उत्पादन हुआ, जो 2019-20 में 8.96 लाख टन था। प्रदेश में सबसे अधिक लगभग 60 प्रतिशत बाजरा उगाया जा रहा है। प्रदेश के कृषकों को दस रुपये प्रति किलोग्राम की प्रोत्साहन राशि देने की योजना से निश्चित ही मप्र की मोहन सरकार देश भर में अग्रणी होने जा रही है।
खास जानकारी
मप्र के महाकोशल के मंडला, डिंडोरी, बालाघाट आदि जिलों में श्रीअन्न का ज्यादा उत्पादन होता है। उत्पादन क्षेत्र नहीं बढ़ने की बड़ी वजह यह भी है कि प्रदेश में इसकी बड़ी खाद्य प्रसंस्करण इकाई नहीं हैं। देशभर में कुल खाद्यान्न उत्पादन के 10 प्रतिशत हिस्से में मोटा अनाज उगाया जा रहा है। राजस्थान में सर्वाधिक 33 और कर्नाटक में कुल खाद्यान्न 23 प्रतिशत क्षेत्र में श्री अन्न का उत्पादन किया मप्र के महाकौशल के मंडला, डिंडोरी, बालाघाट आदि जिलों में श्रीअन्न का ज्यादा उत्पादन होता है। देशभर में कुल खाद्यान्न उत्पादन के 10 प्रतिशत हिस्से में मोटा अनाज उगाया जा रहा है। राजस्थान में सर्वाधिक 33 और कर्नाटक में कुल खाद्यान्न 23 प्रतिशत क्षेत्र में श्री अन्न का उत्पादन किया जा रहा है।
ऐसी ही प्रोत्साहन योजनाओं व कृषकों को मिल रही नियोजित मार्केटिंग की योजनाओं व अच्छे मूल्यों के प्राप्त होने के चलते ही मप्र में जहां वर्ष 2019-20 में आठ लाख छियानवे हज़ार मीट्रिक टन का उत्पादन होता था वहीं 2023-24 में मोटे अनाज का यह उत्पादन बारह लाख अड़सठ हज़ार टन का हो गया है।
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