राज्य कृषि समाचार (State News)

कीटनाशकों का फसलों पर दुरुपयोग एवं दुष्परिणाम

लेखक: डॉ. एस. बी. सिंह, डॉ. राजेश आर्वे, कीट विज्ञान विभाग, डॉ. आर.पी. पटेल, पादप रोग विज्ञान विभाग, के. एन. के. उद्यानिकी महाविद्यालय, मंदसौर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर

16 सितम्बर 2024, भोपाल: कीटनाशकों का फसलों पर दुरुपयोग एवं दुष्परिणाम – सैद्धांतिक रूप से समन्वित कीट प्रबंधन में कीटनाशकों का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में किया जाता है। कीट प्रबंधन का अर्थ यह माना गया है कि किसी भी कीटनाशक की निर्धारित मात्रा का प्रयोग करने से कोई भी कीट शत-प्रतिशत नहीं मरता है बल्कि कीट कुछ प्रतिशत में जि़ंदा रहते हैं जो कि पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है। पृथ्वी पर जितने भी जीव हैं उन सबका पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान है। इस दृष्टि से भी कीटों की सभी प्रजातियों का संतुलित स्तर पर जि़ंदा रहना आवश्यक है। यह भी समझना आवश्यक है, कि फसलों में परागण की क्रिया हानिकारक और लाभदायक दोनों प्रकार के कीटों से होती है। अत: यदि हानिकारक कीटों को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो फसलों में परागण प्रभावित होने के कारण फ़सल उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है, जो कि आजकल दिखने भी लगा है। किसानों में जागरूकता की कमी के कारण कीटनाशकों का बेहिसाब दुरुपयोग हो रहा है, जो अत्यंत चिंताजनक है।

Advertisement
Advertisement

कीटनाशकों की व्यावहारिक स्थिति

पुराने कीटनाशक: पूर्व में आर्गनोफॉस्फेट एवं कार्बामेट समूह के कीटनाशक प्रचलन में रहे हैं, जो कि छिड़काव के बाद लंबी अवधि तक फ़सल पर ज़हरीला असर छोड़ते थे एवं नुकसानदायक कीटों के साथ-साथ लाभदायक कीटों को मार देते थे। पाइरेथ्राइड समूह के कीटनाशक तत्काल असरकारक हंै लेकिन लंबे समय तक फ़सल पर ज़हर का असर नहीं रहता है। इनमें से अधिकतर कीटनाशक प्रतिबंधित हो चुके हैं।

आदर्श कीटनाशक: वर्तमान समय में आदर्श कीटनाशकों (इमिडाक्लोप्रिड, एसिटामिप्रिड, थायोमेथोक्जाम इत्यादि) के प्रयोग का प्रचलन है। आदर्श कीटनाशकों की निम्न विशेषता हैं।

Advertisement8
Advertisement
  • छिड़काव के लिए अत्यंत कम मात्रा लगती है।
  • पौधों पर इनका प्रभाव कम समय के लिए रहता है।
  • लाभदायक कीटों के लिए ज़हरीले नहीं है।
  • पौधे के पूरे तंत्र में फैलने की जगह, सिफऱ् पत्तियों के आरपार (ट्रान्सलेमिनर) पहुँचकर दोनों तरफ़ कीटों को मारते हैं।

मिश्रित कीटनाशक: मिश्रित कीटनाशक का अर्थ है कि दो समूह के कीटनाशकों का निर्माण करने वाली कंपनियों द्वारा एक निश्चित अनुपात में मिलाया जाना है, जिससे कि दोनों के गुण प्रभावित न हो एवं कीड़ों को मारने की क्षमता बढ़ जाए एवं लाभदायक कीटों पर बुरा प्रभाव न पड़े। एक उत्पाद को बनाने के बाद प्रयोगशाला के स्तर पर एवं विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा फसलों पर परिणाम सही पाये जाने के बाद ही केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड उस उत्पाद को बाज़ार में बेचने की अनुमति देता है।

Advertisement8
Advertisement

उदाहरण:

  • क्लोरपायरीफॉस 50 प्रतिशत (आर्गनोफॉस्फेट) + सायपरमेथ्रिन 5 प्रतिशत (सिन्थेटिक पायरेथ्रायड)
  • इमिडाक्लोप्रिड 19.81 प्रतिशत (नियोनिकोटिनाइड) + बेटासिफ्लूथ्रिन 8.48 प्रतिशत (सिन्थेटिक पायरेथ्राइड)
    ऐसे कई कीटनाशक बाज़ार में उपलब्ध हंै।
  • नये कीटनाशकों के निर्माण की आवश्यकता एवं कीट प्रतिरोधिता: किसी भी नये कीटनाशक को निर्धारित मात्रा में प्रयोग से विभिन्न कीटों में मृत्यु दर अधिकतम 80-90 प्रतिशत तक होती है। शेष बचे कीट प्राकृतिक रूप से प्रतिरोधी होते हैं। यदि किसी कीटनाशक का बार-बार प्रयोग किया जाय तो कीट प्रतिरोधिता बढ़ती जाती है।इसी कीट प्रतिरोधिता को कम करने एवं फसलों को सुरक्षित रखने के लिए नये कीटनाशकों का निर्माण किया जाता है। पूर्व में प्रचलित कीटनाशक एक रसायन पर आधारित थे, लेकिन वर्तमान समय में बढ़ती कीट प्रतिरोधिता कम से कम करने के लिए विभिन्न मिश्रित कीटनाशकों का निर्माण एवं बाज़ार में उपलब्धता बढ़ायी गई।
    विभिन्न फ़सलें एवं कीटनाशक प्रयोग: मध्य प्रदेश प्रमुख सोयाबीन उत्पादक प्रदेश है अत: खरीब में इसी फ़सल पर एवं रबी में चने एवं सरसों पर कीटनाशकों का प्रयोग सर्वाधिक होता है। इसके अतिरिक्त सब्जी वाली फसलों पर वर्ष भर कीटनाशकों का प्रयोग होता है।
    कीटनाशकों का दुरुपयोग: किसानों द्वारा विभिन्न फसलों में कीटनाशकों के दुरुपयोग की, भ्रमण के दौरान एवं स्वयं किसानों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर निम्न तथ्य मिले हैं-
  • प्रति लीटर पानी में निर्धारित मात्रा से दो गुना या उससे भी ज़्यादा कीटनाशक का प्रयोग करना बताया गया जो कि अत्यंत नुक़सानदायक है।
  • सामान्यत: एक एकड़ खेत में छिड़काव के लिए 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ किसान प्रति एकड़ कम मात्रा में घोल का छिड़काव करते हंै। जिससे दवा का प्रभाव कम हो जाता है।
  • कीटनाशक के साथ रोगनाशी एवं खरपतवारनाशी दवाओं को मिलाकर छिड़काव किया जाता है, जो कि अत्यंत आपत्तिजनक एवं नुक़सानदायक है।

कीटनाशकों के दुरुपयोग के दुष्परिणाम

  • विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों को ज़्यादा मात्रा में मनमाने तरीक़े से मिलाकर छिड़काव करने से एक तरफ़ पौध विषाक्तता बढ़ती है, जिससे कई बार फसलों के सूख जाने की शिकायत मिलती है, वहीं दूसरी तरफ़ फसलों के फूल की अवस्था में छिड़काव से फूल सूखने से उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होता है।
  • कीटनाशकों को औसतन 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव की सलाह दी जाती है। प्राय: यह देखा गया है कि बहुत कम अंतराल में छिड़काव कर दिया जाता है, जो कि पौध विषाक्तता को और बढ़ाता है।
  • सब्जिय़ों में इसी प्रकार से कीटनाशकों के दुरूपयोग का परिणाम मानव स्वास्थ्य पर बुरी तरह का पड़ रहा है, जिसकी तमाम जानकारियां कई बार प्रकाशित हो चुकी हैं।
  • ऐसा लगता है कि यदि इसी तरह से कीटनाशकों एवं अन्य पीड़कनाशकों का प्रयोग होता रहा, तो भविष्य में फसलों को कीड़ों एवं पीड़कों से सुरक्षित रख पाना अत्यंत कठिन हो सकता है।
    आवश्यकता इस बात की है कि कीटनाशकों की सही मात्रा का प्रयोग हो, कीटनाशकों को स्वयं आपस में न मिलाया जाए, एवं समुचित मात्रा में सही अंतराल पर छिड़काव किया जाये, तथा अनावश्यक छिड़काव न किया जाये।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisement8
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement