राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्यप्रदेश में होगा मिलेट्स का विस्तार, नई नीति पर काम शुरू

23 दिसंबर 2024, भोपाल: मध्यप्रदेश में होगा मिलेट्स का विस्तार, नई नीति पर काम शुरू – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में मोटे अनाज यानी मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने की नई कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। यह निर्णय रविवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में आयोजित कृषि विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्ययोजना में कृषि विशेषज्ञों के साथ-साथ किसानों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए, ताकि योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी हो सकें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने की पहल को देखते हुए, मध्यप्रदेश में इसे व्यापक स्तर पर लागू करने की जरूरत महसूस की जा रही है। मोटे अनाज, जैसे ज्वार, बाजरा और रागी, न केवल पोषण का अच्छा स्रोत हैं बल्कि खेती में लागत कम करने और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक साबित हो सकते हैं।

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने से किसानों की लागत घटेगी और उनकी आय में वृद्धि होगी। यह कदम किसानों के सामाजिक-आर्थिक स्तर को सुधारने और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। उन्होंने तिलहन और दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को नवीनतम कृषि तकनीक, उन्नत किस्म के बीज, उपयुक्त उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग के लिए प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि खेती को अधिक लाभदायक बनाने के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक प्रभावी रूप से पहुंचना चाहिए।

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प्रदेश में धान की खेती का मौजूदा परिदृश्य

बैठक में अधिकारियों ने जानकारी दी कि वर्तमान में प्रदेश में धान की खेती 36 लाख 33 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही है। उपार्जन के लिए अब तक 7 लाख 76 हजार किसानों ने पंजीकरण कराया है। यह आंकड़ा प्रदेश में चावल उत्पादन की व्यापकता को दर्शाता है, लेकिन इसके साथ ही मिलेट्स और तिलहन जैसे वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा देने की जरूरत महसूस की जा रही है।

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नई कार्ययोजना: किसानों के प्रतिनिधित्व पर जोर

मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि मिलेट्स को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई जाने वाली समिति में किसानों के प्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि योजनाएं न केवल कागजों पर बल्कि जमीन पर भी सफल हों।

मोटे अनाज पोषण और पर्यावरण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन्हें उगाने में पानी और उर्वरकों की कम जरूरत होती है, जिससे पर्यावरण पर कम दबाव पड़ता है। इसके अलावा, ये जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सहने में सक्षम फसलें हैं। विश्व स्तर पर बढ़ती मांग को देखते हुए, मिलेट्स की खेती किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बन सकती है।

बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन और अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। अधिकारियों ने कृषि क्षेत्र में नई पहल और किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के तरीकों पर चर्चा की।

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