मध्यप्रदेश में ई-मंडी योजना का विस्तार: 1 जनवरी से 41 नई मंडियों में शुरू होगी डिजिटल प्रक्रिया
28 दिसंबर 2024, भोपाल: मध्यप्रदेश में ई-मंडी योजना का विस्तार: 1 जनवरी से 41 नई मंडियों में शुरू होगी डिजिटल प्रक्रिया – मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों के लिए मंडियों को डिजिटल और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि ई-मंडी योजना का विस्तार करते हुए इसे 1 जनवरी 2025 से राज्य की बी-श्रेणी की 41 मंडियों में शुरू किया जाएगा। यह योजना पहले से ही 42 मंडियों में संचालित है।
राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मंडी बोर्ड) के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य किसानों को पारंपरिक और समय लेने वाली प्रक्रियाओं से मुक्ति दिलाना है। योजना के तहत मंडियों में प्रवेश, नीलामी, तौल और भुगतान की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाएगा।
ई-मंडी योजना: किसानों के लिए क्या बदलेगा?
ई-मंडी योजना के माध्यम से किसान अपने मोबाइल का उपयोग करके मंडी में प्रवेश पर्ची बना सकेंगे। इसके लिए मंडी बोर्ड ने एक विशेष मोबाइल ऐप विकसित किया है। किसानों को अब प्रवेश पर्ची के लिए लाइन में लगने की आवश्यकता नहीं होगी। यह डिजिटल प्रक्रिया मंडी में भीड़ को कम करेगी और समय की बचत करेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा, “ई-मंडी योजना से किसानों को उनकी उपज के विक्रय में सरलता और पारदर्शिता मिलेगी। हमारा लक्ष्य है कि 1 अप्रैल 2025 तक राज्य की सभी 259 मंडियां ई-मंडी के रूप में कार्य करें।”
कैसे काम करेगा मंडी ऐप?
मंडी ऐप किसानों के लिए एक उपयोगी उपकरण साबित होगा। किसान मंडी आने से पहले अपने मोबाइल से प्रवेश पर्ची बना सकेंगे। एक बार पर्ची बनने के बाद, किसानों को बार-बार अपना डाटा दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे वे सीधे नीलामी स्थलों पर जाकर अपनी उपज की नीलामी करा सकेंगे। नीलामी प्रक्रिया की जानकारी भी किसानों को मोबाइल पर उपलब्ध होगी। इससे किसानों को पता चल सकेगा कि उनकी उपज किस व्यापारी ने कितने दाम में खरीदी है।
डिजिटल प्रक्रिया के अन्य लाभ
ई-मंडी योजना के तहत मंडी प्रांगण में सभी गतिविधियां—नीलामी, तौल और भुगतान—कंप्यूटराइज्ड होंगी। तुलावटी और व्यापारी भाइयों को भी प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे डिजिटल प्रक्रिया को सहजता से अपना सकें।
तौल का फाइनल वजन अब एंड्रॉयड मोबाइल पर दर्ज किया जाएगा, जिससे पारंपरिक लिखित प्रक्रियाओं की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। व्यापारी भी अपने भुगतान पत्रक डिजिटल आईडी पर देख सकेंगे और केवल भुगतान की एंट्री करनी होगी।
ई-मंडी योजना से किसानों द्वारा मंडी में विक्रय की गई उपज का रियल-टाइम ऑनलाइन रिकॉर्ड संधारण होगा। किसानों को उनके मोबाइल पर एसएमएस और व्हाट्सएप के माध्यम से जानकारी प्राप्त होगी, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। किसानों को यह भी पता चलेगा कि उनकी उपज किस व्यापारी ने कितने दाम पर खरीदी है।
मौजूदा ई-मंडी की स्थिति और अनुभव
वर्तमान में ई-मंडी योजना 42 मंडियों में संचालित है। अब तक के अनुभव बताते हैं कि यह प्रक्रिया किसानों के लिए सुविधाजनक रही है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी साक्षरता की कमी जैसी चुनौतियां सामने आई हैं। इन चुनौतियों को दूर करने के लिए मंडी बोर्ड ने प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं।
डिजिटल प्रक्रिया को अपनाने में किसानों और व्यापारियों को परेशानी न हो, इसके लिए सरकार ने व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं। मंडी बोर्ड ने किसानों को मोबाइल ऐप के उपयोग और डिजिटल प्रक्रिया की जानकारी देने के लिए विशेष शिविरों का आयोजन किया है।
बी-श्रेणी की 41 मंडियां शामिल
इस विस्तार में राज्य की 41 बी-श्रेणी की मंडियों को शामिल किया गया है। इनमें बैरसिया, भैरूंदा, औबेदुल्लागंज, रायसेन, सिरोंज, ब्यावरा, पचौर, नरसिंहगढ़, कुरावर, खिरकिया, नर्मदापुरम, सांवेर, महू, मनावर, कुक्षी, धामनोद, सनावद, भीकनगांव, बुरहानपुर, महिदपुर, तराना, पिपल्या, सैलाना, शाजापुर, दतिया, कुम्भराज, मुंगावली, कोलारस, श्योपुरकलां, बीना, खुरई, हरपालपुर, निवाड़ी, शहपुरा (भिटोनी), सौंसर, गाडरवाड़ा, करेली, नरसिंहपुर, गोटेगांव, सिवनी और नागोद मंडियां शामिल हैं।
सरकार ने 1 अप्रैल 2025 तक राज्य की सभी मंडियों को ई-मंडी के रूप में बदलने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए तकनीकी उन्नयन, बुनियादी ढांचे में सुधार और कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
डिजिटल प्रक्रिया में इंटरनेट कनेक्टिविटी, तकनीकी साक्षरता की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियां आ सकती हैं। सरकार ने इन समस्याओं से निपटने के लिए मंडियों में वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाने और किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करने की योजना बनाई है।
ई-मंडी योजना के विस्तार से किसानों को मंडियों में पारदर्शी और डिजिटल सेवाएं मिलेंगी। हालांकि, योजना का प्रभाव और सफलता वास्तविक क्रियान्वयन पर निर्भर करेगी। सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि सभी किसान इस तकनीक का लाभ उठा सकें और डिजिटल परिवर्तन को सहजता से अपनाएं।
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