नरवाई जलाने के मामले में मध्य प्रदेश आगे
23 अप्रैल 2025, भोपाल: नरवाई जलाने के मामले में मध्य प्रदेश आगे –
केन्द्रीय कृषि मंत्री का संसदीय क्षेत्र – आग ही आग
केन्द्र सरकार के कृषि मंत्रालय की सारी योजनाएं मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में चल रही होंगी। पर नरवाई जलाने से रोकने के लिए यहां के किसान सारे प्रलोभनों, सजा की चेतावनियां, दंड भुगतने की आशंकाओं के बावजूद प्रदेश में नरवाई जलाने में आगे चल रहे हैं। विदिशा का गेहूं भले ही देश में मशहूर हो परन्तु नरवाई जलाकर प्रदूषण फैलाने में भी आगे रहकर अपना नाम कर रहा है।
गेहूं कटाई के बाद खेतों में नरवाई (पराली) जलाने के मामलों में मध्य प्रदेश पूरे देश में सबसे आगे निकल गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की रिपोर्ट से पता चला है कि पंजाब दूसरे, उत्तर प्रदेश तीसरे और हरियाणा चौथे नंबर पर है. पराली जलाने की घटनाएं, अब वायु गुणवत्ता के लिए गहरी चिंता का विषय बनती जा रही हैं.गेहूं पराली जलाने के सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। इस दौरान राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना और एफआईआर दर्ज की है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 1 से 21 अप्रैल 2025 के बीच प्रदेश में 20422 से अधिक बार खेतों में पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. वहीं, पंजाब में इन मामलों की संख्या 87 हरियाणा में 87 और उत्तर प्रदेश में 4494 है। पराली जलाने के मामलों पर नियंत्रण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्यों के जिला प्रशासन की निषेधाज्ञाएं और कृषि अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध आग की लपेट में है।
मध्य प्रदेश में पराली का प्रकोप
विदिशा जिला इस बार मध्य प्रदेश में सबसे आगे है, जहां 3,181 घटनाएं दर्ज की गई हैं. यह पहली बार है जब विदिशा पराली जलाने में टॉप पर आया है. पिछले वर्षों में यह दूसरे या तीसरे स्थान पर रहा था, लेकिन इस साल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं जबकि यह केन्द्रीय कृषि मंत्री का संसदीय क्षेत्र है वहीं इंदौर में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है. यहां 1 से 21 अप्रैल के बीच 1281 बार पराली जलाई गई, इंदौर इस साल पांचवें स्थान पर है।
उज्जैन जिला भी, पराली जलाने के मामलों में तीसरे नंबर पर आ गया है. 21 अप्रैल तक यहां 1,606 घटनाएं सामने आ चुकी हैं. यहां रोजाना के आंकड़ों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो जिले की पर्यावरणीय स्थिति को और खराब कर रही है.
इंदौर कलेक्टर ने नरवाई जलाने वालों के खिलाफ सख्त निर्देश जारी किए हैं. पराली जलाने के मामले में भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिह के निर्देश पर गत दिनों राजधानी के निकटतम गांव में कार्रवाई की गई।
कृषि विभाग द्वारा किसानों को सभी मंचो, माध्यमों से सलाह दी जाती है कि नरवाई जलाने से अनेक खतरे हैं। जन-धन- संपत्ति- फसल- जगत नष्ट होने की आशंका रहती है। कटाई के समय हार्वेस्टर के साथ भूसा मशीन रोटावेटर, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर मशीन का उपयोग करें। किराएं पर भी ये यंत्र उपलब्ध है। इन यंत्रों को खरीदने पर कृषि विभाग द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है।
इन सारी कवायदों के बावजूद पराली जलाने की समस्या देश में सबसे अधिक पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में है।
पराली जलाने पर जुर्माना
पराली जलाने पर 2 एकड़ वाले छोटे किसानों को 2,500 रुपये का जुर्माना देना होगा। वहीं, 2 से 5 एकड़ के बीच वाले भूमिधारकों को 5 हजार का भुगतान करना होगा। इसी तरह 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को 15,000 रुपये का भुगतान करना होता है।
क्या है क्रीम (CREAM)
द कंसार्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनीटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (CREAM) लेबॉरेटरी, आईएआरआई- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली की एक अनुसंधान पहल है और इसका समन्वय संस्थान के फिजिक्स डिवीजन द्वारा किया जाता है। ये भारत में खेतों से लेकर क्षेत्रीय स्तर तक फसलों और फसल पर्यावरण के गुणात्मक और मात्रात्मक मूल्यांकन के लिए रिमोट सेंसिंग कृषि, मौसम विज्ञान और एग्रो-मॉडल के उपयोग में क्षमता निर्माण और अनुसंधान करता है।
क्रीम (CREAM) लेबॉरेटरी के अध्ययन दल में आईसीएआर के उप महानिदेशक एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग डॉ. एच.एन.झा और डॉ. राजवीर सिंह है। साथ ही आईएआरआई के प्रिंसिपल साइंटिस्ट एवं नोडल ऑफीसर डॉ. वी.के. सहगल हैं।
1 से 21 अप्रैल 2025 तक मध्य प्रदेश के मुख्य जिलों की स्थिति | |
विदिशा – | 3181 |
उज्जैन – | 1606 |
रायसेन – | 1829 |
होशंगाबाद – | 1574 |
इंदौर – | 1281 |
भोपाल – | 778 |
गुना – | 650 |
मुख्य राज्यों की स्थिति | |
पंजाब – | 87 |
हरियाणा – | 87 |
उत्तर प्रदेश – | 4494 |
मध्य प्रदेश – | 20922 |
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