मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा, पंजाब-हरियाणा को भी छोड़ा पीछे
10 मई 2025, भोपाल: मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा, पंजाब-हरियाणा को भी छोड़ा पीछे – मध्य प्रदेश ने इस सीजन में पराली जलाने के मामले में देश में पहला स्थान हासिल कर लिया है। 1 अप्रैल से 7 मई के बीच राज्य में 31,413 ऐसी घटनाएं दर्ज की गईं, जो पंजाब (2,238), हरियाणा (950), उत्तर प्रदेश (11,408) और दिल्ली (33) के कुल मामलों से कहीं अधिक हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) के तहत कॉन्सोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (CREAMS) लैबोरेटरी द्वारा सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग के आधार पर यह डेटा सामने आया है।
पिछले चार सालों में मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी गई है। खासकर, मुख्यमंत्री मोहन यादव के 24 अप्रैल को दिए गए निर्देश के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। यादव ने कहा था, “मध्य प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है। अगर कोई किसान ‘नरवाई’ जलाते पाया गया, तो उसे मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा। अगले साल उनकी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदी जाएगी।” उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, मिट्टी संरक्षण और भूमि की उत्पादकता बनाए रखने के लिए 1 मई से इस निर्णय को लागू करने की बात कही थी।
सैटेलाइट निगरानी से खुलासा
CREAMS लैबोरेटरी के अनुसार, 25 अप्रैल से 7 मई के बीच मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ी हैं। 2022 में इस अवधि में 25,385, 2023 में 17,142, 2024 में 12,345 और 2025 में 31,413 घटनाएं दर्ज की गईं। जिला-वार आंकड़ों में विदिशा 4,410 मामलों के साथ देश में शीर्ष पर है। गौरतलब है कि विदिशा से केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान लोकसभा सांसद हैं।
CREAMS ने ” पराली जलाने की घटनाओं के आकलन के लिए सैटेलाइट डेटा का उपयोग करने वाला मानक प्रोटोकॉल” अपनाते हुए सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग के जरिए इन घटनाओं की निगरानी की। आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
सरकार के दावे और जमीनी हकीकत
20 नवंबर 2024 को मुख्य सचिव अनुराग जैन ने शहरों के आसपास के क्षेत्रों में नरवाई जलाने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार दंडात्मक उपाय लागू करने के निर्देश दिए थे। वहीं, 21 फरवरी को राज्य के कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना ने दावा किया था कि नरवाई जलाने की प्रवृत्ति को कम करने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि 42,500 से अधिक कृषि उपकरण किसानों को अवशेष प्रबंधन के लिए वितरित किए गए हैं।
हालांकि, भोपाल और इंदौर सहित कुछ हिस्सों में नरवाई जलाने के खिलाफ कार्रवाई की गई, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि ये प्रयास समस्या के समाधान के लिए नाकाफी हैं।
चुनौती बरकरार
मध्य प्रदेश में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं पर्यावरण, मिट्टी की उर्वरता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता, वैकल्पिक प्रबंधन तकनीकों और सख्त निगरानी के बिना इस समस्या पर काबू पाना मुश्किल होगा।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: