मध्य प्रदेश बजट 2025-26: विकास का दावा, लेकिन क्या हैं छिपी कमियां?
24 मार्च 2025, नई दिल्ली: मध्य प्रदेश बजट 2025-26: विकास का दावा, लेकिन क्या हैं छिपी कमियां? – 12 मार्च, 2025 को मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री ने विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया। ₹4,21,032 करोड़ के इस बजट को “विकसित मध्य प्रदेश” की नींव बताया गया है। सरकार ने इसे उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के सशक्तिकरण पर केंद्रित करते हुए कोई नया टैक्स न लगाने का ऐलान किया। लेकिन क्या यह बजट सचमुच हर वर्ग की उम्मीदों पर खरा उतरेगा? आइए, इसके फायदे और छिपी कमियों को समझें।
बजट की बड़ी बातें
- आकार में 15% की बढ़ोतरी: पिछले साल के ₹3,65,067 करोड़ की तुलना में इस बार बजट में 15% का इजाफा।
- चार मिशन का फोकस: गरीब कल्याण, युवा कल्याण, किसान कल्याण और नारी कल्याण पर जोर।
- क्षेत्रवार खर्च: स्वास्थ्य के लिए ₹23,535 करोड़, सड़कों और बुनियादी ढांचे के लिए ₹16,436 करोड़ और महिलाओं और बच्चों के लिए ₹26,797 करोड़।
- राजस्व और घाटा: ₹618 करोड़ का राजस्व अधिशेष, लेकिन 4.66% का बजट घाटा।
- लाड़ली बहना योजना को ₹18,669 करोड़, और नारी-बाल विकास के लिए ₹26,797 करोड़।
- सिंचाई के लिए ₹17,863 करोड़ और अटल कृषि ज्योति योजना के लिए ₹13,909 करोड़ का प्रावधान।
सरकार ने 2025-26 को “उद्योग और रोजगार वर्ष” घोषित किया है। सीएम किसान उन्नति योजना, सीएम केयर योजना और नर्मदा संरक्षण के लिए “शिवराल निर्मल नर्मदा योजना” जैसी नई स्कीमें शुरू की गई हैं। सबसे बड़ी राहत यह है कि कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया, जो आम जनता और व्यापारियों के लिए अच्छी खबर है।
लेकिन, कहानी में ट्विस्ट कहां है?
हर चमकती चीज सोना नहीं होती। बजट में कुछ कमियां ऐसी हैं, जो सवाल खड़े करती हैं:
- किसानों की अनदेखी?: पिछले साल कृषि के लिए ₹66,605 करोड़ दिए गए थे, लेकिन इस बार यह घटकर ₹58,257 करोड़ हो गया। मध्य प्रदेश जैसे किसान-प्रधान राज्य में यह 12.5% की कटौती चिंता की बात है। क्या यह किसान कल्याण मिशन को कमजोर नहीं करेगा?
- बढ़ता बजट घाटा: 4.66% का बजट घाटा (₹78,902 करोड़) FRBM के तय सीमा 3% से कहीं ज्यादा है। यह भविष्य में कर्ज का बोझ बढ़ा सकता है। क्या सरकार इसके लिए तैयार है?
- पूंजीगत खर्च का जोखिम: बुनियादी ढांचे के लिए ₹85,076 करोड़ का खर्च पिछले साल से 31% ज्यादा है। यह बढ़िया है, लेकिन अगर यह कर्ज से पूरा हुआ तो आने वाले सालों में दबाव बढ़ेगा।
- विवरण की कमी: बजट में बड़े-बड़े दावे हैं, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में पैसा कैसे बंटेगा, यह साफ नहीं। उदाहरण के लिए, कृषि के ₹58,257 करोड़ में कितना सिंचाई पर और कितना सब्सिडी पर खर्च होगा?
विपक्ष का हंगामा और प्रतिक्रियाएँ
बजट पेश होते ही विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा के अंदर और बाहर तीखा विरोध जताया। कांग्रेस विधायकों ने काले कपड़े में लिपटी “कर्ज की पोटली” सिर पर रखकर और जंजीरों से बंधे हुए प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि यह बजट विकास का नहीं, बल्कि कर्ज और भ्रष्टाचार का दस्तावेज है।
उमंग सिंघार (विपक्ष के नेता): “यह ‘कर्ज की पोटली’ है। हर व्यक्ति पर ₹50,000 का कर्ज है। यह जंजीर दिखाती है कि आम आदमी कर्ज की बेड़ियों में जकड़ा है। बीजेपी युवाओं की नौकरियों, किसानों की बिजली और खाद, ओबीसी-दलितों की स्कॉलरशिप की बात नहीं करती। यह सरकार सिर्फ कर्ज लेकर आराम कर रही है।”
“यह अब तक का ऐतिहासिक बजट है। विकसित भारत 2047 को ध्यान में रखकर इस बजट के विजन को रखा गया है। इसमें सभी वर्गों के लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान किया गया है। यह बजट प्रदेश के विकास के नये द्वार खोलेगा, साथ ही किसानों को भी राहत देगा।“ – डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री, म.प्र.
“यह बजट विकसित मध्य प्रदेश का है। बजट प्रदेश के विकास और जनकल्याण को नई गति और नई दिशा दे रहा है। कृषि क्षेत्र में सारे प्रयत्न इस बजट में किए गए हैं। ग्रामीण और शहरी विकास के लिए ऐतिहासिक प्रावधान बजट में है।“ – शिवराज सिंह चौहान केन्द्रीय कृषि मंत्री
तुलना में क्या कहते हैं आंकड़े?
आंकड़े इस बजट की सच्चाई को और गहराई से समझने में मदद करते हैं। पिछले साल 2024-25 में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को ₹66,605 करोड़ मिले थे, जो कुल बजट का 18.24% था, लेकिन इस बार यह घटकर ₹58,257 करोड़ हो गया, यानी अब सिर्फ 13.84%। वहीं, पूंजीगत खर्च में बड़ी छलांग देखी गई है – GSDP का 4% से बढ़कर 5.02% तक, जो बुनियादी ढांचे के लिए ₹85,076 करोड़ का खर्च दर्शाता है। स्वास्थ्य में मामूली बढ़ोतरी हुई है, जो ₹21,444 करोड़ से ₹23,535 करोड़ तक पहुंची, यानी 9.7% की वृद्धि। लेकिन बजट घाटा भी चिंता का सबब है, जो 4.1% से बढ़कर 4.66% हो गया। यह तुलना बताती है कि जहां सरकार विकास पर जोर दे रही है, वहीं कुछ क्षेत्रों में संतुलन बिगड़ता नजर आ रहा है।
जनता के लिए क्या मतलब?
इस बजट का जनता पर दोतरफा असर होगा। एक तरफ, कोई नया टैक्स न लगना और उद्योग व रोजगार पर फोकस शहरी मध्य वर्ग और व्यापारियों के लिए राहत की बात है। बुनियादी ढांचे में भारी निवेश से शहरों में सुविधाएं बढ़ेंगी और नौकरियां पैदा होंगी। लेकिन दूसरी तरफ, किसानों और ग्रामीण इलाकों के लिए यह बजट निराशाजनक हो सकता है। कृषि में पैसा कम होने से उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। साथ ही, बढ़ता कर्ज का बोझ भविष्य में टैक्स या कटौती के रूप में सामने आ सकता है, जो लंबे समय में आम लोगों पर दबाव डालेगा। कुल मिलाकर, यह बजट शहरों को चमकाने की कोशिश करता है, लेकिन गांवों की चमक फीकी पड़ सकती है।
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