राज्य कृषि समाचार (State News)

जानिए उत्तरप्रदेश में गेहूं की असिंचित दशा में बोई जाने वाली किस्में एंव विशेषतांए

21 अक्टूबर 2023, लखनऊ: जानिए उत्तरप्रदेश में गेहूं की असिंचित दशा में बोई जाने वाली किस्में एंव विशेषतांए – देश के कई हिस्सों में खरीफ फसल की कटाई चल रही हैं। इसके बाद रबी सीजन की प्रमुख फसल गेंहू की शुरूआत हो जायेगी। गेंहू उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए एक अहम फसल हैं। इसका कुल क्षेत्र पूरे भारत में पहले स्थान पर हैं। देश में गेहूं का सबसे अधिक उत्पादन 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में होता है। देश के कुल खाद्यान उत्पादन में गेहूं का योगदान लगभग 37 प्रतिशत है |

गेंहू की खेती सिंचित व असिंचित दोनों क्षेत्रों में की जाती हैं। इसलिए भारतीय कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा अलग-अलग मिट्टी एवं जलवायु क्षेत्रों के अनुसार कई किस्में विकसित की गई है। ताकि किसान गेंहू की अच्छी उपज ले सके। नीचे कुछ विकसित किस्में एवं उनकी विशेषताएं हैं। किसान अपने क्षेत्र के अनुसार इन किस्मों का चयन कर सकते हैं।

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किस्मों की विशेषतांए

मगहर (के०-8027): गेंहू की किस्म मगहर (के0-8027) को 31-07-89 में जारी किया गया था। यह किस्म असिंचित दशा की स्थिति में उपयोग की जाती हैं। मगहर (के0-8027) से 30-35 प्रति क्विंटल उपज प्राप्त होती हैं। यह 140-145 दिन की अवधि में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 105-110 सेमी. होती हैं। यह कण्डुवा एवं झुलसा रोग अवरोधी किस्म हैं।

इन्द्रा (के०-8962): गेंहू की किस्म इंद्रा (के0-8926) को 01-01-96 में जारी किया गया था। यह किस्म असिंचित दशा की स्थिति में उपयोग की जाती हैं। इंद्रा (के0-8926) से 25-35 प्रति क्विंटल उपज प्राप्त होती हैं। यह 90-110 दिन की अवधि में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 110-120 सेमी. होती हैं।

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गोमती (के०-9465): गेंहू की किस्म गोमती (के०-9465) को 15-05-98 में जारी किया गया था। यह किस्म असिंचित दशा की स्थिति में उपयोग की जाती हैं। गोमती (के०-9465) से 28-35 प्रति क्विंटल उपज प्राप्त होती हैं। यह 90-110 दिन की अवधि में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 90-100 सेमी. होती हैं।

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के०-9644: गेंहू की किस्म के०-9644 को वर्ष 2000 में जारी किया गया था। यह किस्म असिंचित दशा की स्थिति में उपयोग की जाती हैं। के०-9644 से 35-40 प्रति क्विंटल उपज प्राप्त होती हैं। यह 105-110 दिन की अवधि में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 95-110 सेमी. होती हैं।

मंदाकिनी (के०-9351): गेंहू की किस्म मंदाकिनी (के०-9351)          को वर्ष 2004 में जारी किया गया था। यह किस्म असिंचित दशा की स्थिति में उपयोग की जाती हैं। मंदाकिनी (के०-9351) से 30-35 प्रति क्विंटल उपज प्राप्त होती हैं। यह 115-120 दिन की अवधि में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 95-110 सेमी. होती हैं।

एच०डी०आर०-77: गेंहू की किस्म एच०डी०आर०-77 को वर्ष 15-05-90 में जारी किया गया था। यह किस्म असिंचित दशा की स्थिति में उपयोग की जाती हैं। एच०डी०आर०-77 से 25-35 प्रति क्विंटल उपज प्राप्त होती हैं। यह 105-115 दिन की अवधि में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 90-95 सेमी. होती हैं।

एच०डी०-2888: गेंहू की किस्म एच०डी०-2888 को वर्ष 2005 में जारी किया गया था। यह किस्म असिंचित दशा की स्थिति में उपयोग की जाती हैं। मगहर (के0-8027) से 30-35 प्रति क्विंटल उपज प्राप्त होती हैं। यह 120-125 दिन की अवधि में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 100-110 सेमी. होती हैं। यह रतुआ रोग के प्रति अवरोधी किस्म हैं।

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