State News (राज्य कृषि समाचार)

खरगोन की लाल मिर्च यूरोप को हुई निर्यात

Share

26 दिसम्बर 2022, खरगोन: खरगोन की लाल मिर्च यूरोप को हुई निर्यात – मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की मिर्च फसल को विदेश में निर्यात करने में सफलता प्राप्त हो गई है। खरगोन में डालकी के किसान उत्पादक समूह टेराग्लेब को यह सफलता मिली है। इसके लिए किसानों ने शुरुआत से ही मिर्च को प्रमुखता देते हुए विदेशों में निर्यात करने का सपना संजोया था। आज वो ही दिन है जब पहली बार किसानों द्वारा उत्पादित मिर्च किसान ही विदेश निर्यात कर रहे हैं। मुम्बई पोर्ट से यूरोपीय देशों में निर्यात हुई है। टेराग्लेब एफपीओ के किसान और फाउंडर बालकृष्ण पाटीदार ने बताया कि आज से तीन वर्ष पूर्व बने इस समूह ने शुरुआत से ही यही कल्पना की थी कि उनकी मिर्च विदेशों में निर्यात हो इस लिहाज से यह उनकी कामयाबी का बहुत बड़ा दिन है। मुम्बई पोर्ट से डालकी के 8 किसानों की कुल 55 क्विंटल (5.50 टन) मिर्च का निर्यात हो गया है।

खरगोन की लाल मिर्च यूरोप को हुई निर्यात
खरगोन की लाल मिर्च यूरोप को हुई निर्यात
प्रतिबंधित रसायनों का उपयोग किये बिना लिया उत्पादन

समूह के फाउंडर श्री पाटीदार ने बताया कि यह सब इतना आसान नहीं था। समूह ने पहले स्टडी कर पता लगाया कि क्यों खरगोन की मिर्च लोकप्रिय होने के बावजूद विदेशों में निर्यात नहीं हो रही हैं? इसका एक कारण विदेशों में प्रतिबंधित रसायनों का उपयोग है। इन रसायनों का खरगोन के किसान बड़ी मात्रा में करते है। ऐसे रसायनों को अलग कर आईपीएम टेक्नोलॉजी के अनुसार 62 किसानों के साथ 500 एकड़ में मिर्च की खेती प्रारम्भ की। सबसे पहले मिट्टी परीक्षण कर पता लगाया कि मिट्टी में कौन से तत्वों की कमी है। इसके बाद एक जैसी तकनीक अपनाकर उत्पादन प्रारम्भ किया। 62 किसानों के 10 सेम्पल्स केरला की एविटी लेब में टेस्ट भेजे गए जिसमें 8 सेमपल्स पास हो गए। मतलब मिर्च में प्रतिबंधित रसायन जैसे- प्रोपिनोफॉस, ट्रेजोफॉस, क्लोरोपारीफॉस, और मोनोक्रोटफॉस के अलावा भी कई रसायनों से मुक्त पाया गया। ये रसायन अमेरिका सहित यूरोपीय देशों में प्रतिबंधित है और हमारे जिले की मिर्च में इनकी अत्यधिक मात्रा होने से निर्यात नहीं हो पा रही थी। इसी बात का फायदा अन्य व्यापारी उठाते थे ।

किसानों को तकनीक से बाजार तक कि सुविधा दे रहा है समूह

टेराग्लेब समूह किसानों को मिट्टी परीक्षण से लेकर बीजों के अलावा संबंधित फसल में उपयोग होने वाली तकनीक तथा अच्छे दाम दिलाने के लिए बाजार और व्यापारी तक उपलब्ध कराने की सुविधा दे रहा है। इसमें किसानों को कृषि उपकरण भी किराए पर उपलब्ध करा रहा है। साथ ही कीटनाशक छिड़काव के लिए समूह ने किसानों को ड्रोन भी उपलब्ध कराए है। समूह के माध्यम से कुछ किसान अरहर प्याज और मूंग जैसी फसलों के बीज भी तैयार कर रहे है।

ऐसे तैयार हुआ एफपीओ

आज से 5 वर्ष पूर्व उद्यानिकी और कृषि विभाग ने किसानों के एफपीओ बनाने के लिए प्रयास शुरू किए। वरिष्ठ उद्यान विस्तार अधिकारी श्री पीएस बड़ोले ने बताया कि किसानों के एफपीओ बनाने के लिए कई वर्षों से कार्य हो रहे हैं। इसके लिए अलग-अलग गतिविधियों के लिए पृथक-पृथक कार्यशालाएं आयोजित की गई। गुंटूर सहित अन्य स्थानों पर विजिट और प्रशिक्षण भी आयोजित किये गए। तकनीकी ज्ञान के लिए बाहर से विशेषज्ञों को आमंत्रित कर किसानों से खेतों में विजिट और चर्चाएं की गई। खरगोन में ऐसा प्रचलन नहीं होने से किसानों में झिझक थी। इसे दूर करने में बड़े प्रयास किये गए। शासन की पूरी गाइडलाइन का पालन करते हुए यह एफपीओ तैयार होकर। अब विदेश तक अपनी फसल निर्यात कर रहा है। यह उनकी और हमारे प्रयासों के लिए अच्छे संकेत है।

महत्वपूर्ण खबर: जैविक खाद के ढोल पीटने से कुछ नहीं होगा

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *