झारखंड: मनरेगा और आवास योजना की बाधाओं को दूर करने के लिए केंद्र से गुहार, ₹747 करोड़ की मांग
05 मई 2025, नई दिल्ली: झारखंड: मनरेगा और आवास योजना की बाधाओं को दूर करने के लिए केंद्र से गुहार, ₹747 करोड़ की मांग – झारखंड सरकार ने राज्य में केंद्र प्रायोजित योजनाओं की लंबित राशि और नीतिगत सुधारों को लेकर बीते 29 अप्रैल को केंद्र सरकार के सामने अपनी बात रखी। ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। इस बैठक में मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें लंबित भुगतान और संसाधन आवंटन प्रमुख रहे।
मनरेगा में लंबित भुगतान का मुद्दा
प्रतिनिधिमंडल ने मनरेगा के तहत सामग्री मद में ₹747 करोड़ और मजदूरी मद में ₹150 करोड़ की लंबित राशि को तुरंत जारी करने की मांग की। राज्य सरकार ने बताया कि मनरेगा पोर्टल पर कई बिलों के फंड ट्रांसफर ऑर्डर (FTO) पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं, लेकिन भुगतान प्रक्रिया में देरी हो रही है। इसके अलावा, पिछले तीन महीनों से प्रशासनिक मद में कोई राशि नहीं मिली, जिससे 5400 से अधिक कर्मियों के वेतन और योजना के संचालन पर असर पड़ा है।
राज्य ने यह भी मांग की कि 25,000 अतिरिक्त राजमिस्त्रियों के प्रशिक्षण के लिए स्वीकृत राशि, जो अभी तक प्राप्त नहीं हुई, जल्द जारी की जाए। साथ ही, मनरेगा की मजदूरी दर को ₹255 प्रतिदिन से बढ़ाकर ₹405 करने का प्रस्ताव रखा गया, ताकि श्रमिकों को उचित पारिश्रमिक मिले।
भौगोलिक चुनौतियों का हवाला
झारखंड के पठारी इलाकों और कठोर मिट्टी वाले क्षेत्रों में कुएं खोदने जैसे कार्यों की कठिनाई का जिक्र करते हुए, राज्य ने शेड्यूल ऑफ रेट्स (SDR) में संशोधन की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मौजूदा दरें इन कार्यों के लिए अपर्याप्त हैं। इसके अलावा, सामग्री और श्रम से जुड़े ₹7.06 करोड़ और ₹43 लाख के लंबित FTO भुगतान को जल्द पूरा करने का अनुरोध किया गया।
मनरेगा के कम्युनिटी फॉरेस्ट प्रोग्राम (CFP) में कार्यरत श्रमिकों के ₹2.86 करोड़ के मानदेय के भुगतान में भी तीन महीने की देरी का मुद्दा उठाया गया।
प्रधानमंत्री आवास योजना में बदलाव की मांग
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत प्रति इकाई राशि को ₹1.20 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख करने की मांग भी बैठक में प्रमुखता से उठी। झारखंड सरकार ने तर्क दिया कि उनकी अबुआ आवास योजना में प्रति लाभार्थी ₹2 लाख दिए जाते हैं, और केंद्र की योजना को भी इसके अनुरूप करना चाहिए। इससे ग्रामीण परिवारों को बेहतर और सुरक्षित आवास मिल सकेंगे।
केंद्र से त्वरित कार्रवाई की अपील
झारखंड सरकार ने इन सभी मुद्दों पर केंद्र से जल्द निर्णय और वित्तीय सहायता की अपील की। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इन योजनाओं का प्रभावी संचालन ग्रामीण विकास और श्रमिकों के कल्याण के लिए जरूरी है। हालांकि, केंद्र की ओर से इस मुलाकात पर कोई तत्काल प्रतिक्रिया या आश्वासन की जानकारी नहीं दी गई।
यह मुलाकात झारखंड में केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राह में आ रही बाधाओं को दूर करने की दिशा में एक कदम है, लेकिन इसका परिणाम भविष्य में ही स्पष्ट होगा।
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