आक्रामक खरपतवारों से वनीय पारिस्थितिकी को बचाना आवश्यक – डॉ.जे.एस.मिश्र
28 सितम्बर 2022, इंदौर: आक्रामक खरपतवारों से वनीय पारिस्थितिकी को बचाना आवश्यक – डॉ.जे.एस.मिश्र – भा.कृ.अनु.प.- खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर में कल आक्रामक खरपतवार (इनवैसिव वीड्स) प्रबंधन पर पाँच दिवसीय प्रशिक्षण आरंभ हुआ, जो 30 सितंबर तक चलेगा। इस प्रशिक्षण में देश के विभिन्न वन शोध संस्थानों के 15 वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। इसमें संस्थान के सभी वैज्ञानिक, कर्मचारी, आर. ए. एस.आर.एफ. एवं छात्र भी शामिल हुए । पाँच दिनों में होने वाले विभिन्न व्याख्यानों तथा प्रक्षेत्र भ्रमणों के बारे में जानकारी दी गई।
निदेशक डॉ. जे. एस. मिश्र ने वनीय पारिस्थितिकी पर आक्रामक खरपतवारों से होने वाले नुकसान के बारे में विस्तृत जानकारी साझा करते हुए कहा कि 10 प्रमुख फसलों से 70 हजार रुपये का वार्षिक नुकसान होता है तथा अन्य खरपतवार जैसे कि गाजरघास एवं अमरबेल जो कि वन पारिस्थितिकी तंत्र को तेजी से प्रभावित करती है। डॉ. सुशील कुमार ,प्रधान कीट वैज्ञानिक ने प्रशिक्षकों को वन में पाई जाने वाली जैव-विविधता एवं खरपतवारों के बारे में बताया साथ ही साथ विदेशी आक्रामक खरपतवार जरायन, जो कि भारतीय वन जैव-विविधता को तेजी से प्रभावित करता है, इनका नियंत्रण जैविक कीटों अथवा अन्य विधियों द्वारा किया जाना अति आवश्यक है। डॉ सुशील कुमार ने अन्य जलीय खरपतवारों के द्वारा होने वाले नुकसान के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। आक्रामक खरपतवार नए परिवेश में फलते -फूलते हैं तथा स्वयं को स्थापित करके वहां की जैव-विविधता के लिए खतरा बन जाते हैं । कार्यक्रम का संचालन डॉ. हिमांशु महावर ने किया। धन्यवाद एवं आभार प्रदर्शन डॉ वी. के. चौधरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सस्यविज्ञान ने किया।
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