मध्यप्रदेश में निरंतर बढ़ रहा है सिंचाई का रकबा
22 नवंबर 2024, भोपाल: मध्यप्रदेश में निरंतर बढ़ रहा है सिंचाई का रकबा – मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार किसान हितैषी सरकार है, जो सबसे ज्यादा फिक्र अपने अन्नदाता की करती है। सरकार निरंतर हर खेत तक पानी पहुंचाने के कार्य कर रही है। जल संसाधन विभाग की विभिन्न वृहद, मध्यम एवं सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं से मध्यप्रदेश में निरंतर सिंचाई का रकबा बढ़ रहा है। सिंचाई की समुचित व्यवस्था हो जाने से अब किसान 2 फसलों के स्थान पर 3 फसल लेने लगे है। इससे उत्पादन में भी वृद्धि हुई है और किसान समृद्ध भी हो रहे है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में सिंचाई के रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। वर्ष 2003 में जहां प्रदेश का सिंचाई रकबा लगभग 3 लाख हेक्टेयर था, आज बढ़कर लगभग 50 लाख हेक्टेयर हो गया है। प्रदेश की निर्मित और निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं से प्रदेश में वर्ष 2025-26 तक सिंचाई का रकबा लगभग 65 लाख हेक्टेयर होने की संभावना है। सरकार ने वर्ष 2028-29 तक प्रदेश की सिंचाई क्षमता 1 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए प्रदेश में तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है। सरकार ने विभाग के लिए बजट में भी पर्याप्त राशि का प्रावधान किया है। वर्ष 2024-25 के बजट में सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण एवं संधारण के लिए 13 हजार 596 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं में केन-बेतवा लिंक परियोजना एक महत्वाकांक्षी नदी जोड़ों राष्ट्रीय परियोजना है। इसमें केन नदी पर दौधन बांध, आनुषंगिक कार्य एवं लिंक नहर का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। इस परियोजना के अंतर्गत बेतवा कछार में बीना काम्पलेक्स, कोटा बैराज तथा लोअरओर परियोजनाओं का निर्माण किया जाना सम्मिलित है। परियोजना से मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी एवं दमोह जिलों में माइक्रो इरिगेशन से केन कछार में 4.5 लाख हेक्टेयर, बेतवा कछार के विदिशा, रायसेन, सागर, शिवपुरी एवं दतिया जिलों में 2.06 लाख हेक्टेयर तथा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के बांदा, महोबा और झांसी जिलों में 2.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के साथ पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। परियोजना से उत्पन्न होने वाली 103 मेगावाट जल विद्युत तथा 27 मेगावाट सौर ऊर्जा पर पूरा अधिकार मध्यप्रदेश का होगा।
परियोजना के द्वितीय चरण की डीपीआर राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण द्वारा वर्ष 2014 में तैयार की गई। इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश द्वारा बेतवा कछार में अंतिम रूप से प्रस्तावित 3 परियोजनाएं: बीना परिसर से 96 हजार हेक्टेयर, कोटा बैराज से 20 हजार हेक्टेयर तथा लोअर ओर परियोजना से 90 हजार हैक्टेयर सिंचाई प्रस्तावित है। साथ ही परियोजनाओं से 66.7 मिलियन घन मीटर पेयजल एवं मांग आधार पर उद्योगों हेतु जल का प्रावधान रखा गया है। परियोजना की सभी वैधानिक स्वीकृति प्राप्त हो चुकी हैं। मध्यप्रदेश में द्वितीय चरण की परियोजना का कार्य प्रगति पर है। परियोजना के कार्यान्वयन के लिए मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय के बीच एक त्रिपक्षीय सहमति ज्ञापन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किया गया। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए केंद्रीय मंत्रि-परिषद द्वारा 44 करोड़ 605 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है। परियोजना को 8 वर्षों में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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