राज्य कृषि समाचार (State News)

इंदौर-पीथमपुर इकॉनोमिक कॉरिडोर: किसानों को मिलेगा विकसित भूमि का 60% हिस्सा

20 मार्च 2025, भोपाल: इंदौर-पीथमपुर इकॉनोमिक कॉरिडोर: किसानों को मिलेगा विकसित भूमि का 60% हिस्सा – इंदौर-पीथमपुर इकॉनोमिक कॉरिडोर से जुड़े किसानों के लिए सरकार ने एक अहम निर्णय लिया है। अब जिन किसानों की भूमि इस परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई है, उन्हें मुआवजे के बदले विकसित भूमि का 60% हिस्सा मिलेगा। इस फैसले से आसपास के 17 गांवों के किसान प्रभावित होंगे।

बुधवार को कुछ किसानों ने इंदौर एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर इस निर्णय पर आभार जताया। इस दौरान जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। हालांकि, मुख्यमंत्री ने इंदौर गेर में हुए हादसे के कारण किसी भी प्रकार के सम्मान को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया।

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कौन-कौन से गांवों को मिलेगा लाभ?

इस इकॉनोमिक कॉरिडोर परियोजना के तहत 1290.74 हेक्टेयर भूमि का विकास किया जाएगा। जिन गांवों के किसानों को विकसित भूमि का हिस्सा मिलेगा, उनमें कोडियाबर्डी, नैनोद, रिंजलाय, बिसनावदा, नावदा पंथ, श्रीराम तलावली, सिन्दोड़ा, सिन्दोड़ी, शिवखेड़ा, नरलाय, मोकलाय, डेहरी, सोनवाय, भैंसलाय, बागोदा, टीही और धन्नड़ शामिल हैं।

राज्य सरकार के फैसले के तहत प्रभावित किसानों को उनकी अधिग्रहित जमीन के बदले विकसित भूखंडों का 60% हिस्सा मिलेगा। इस नीति के तहत किसानों को बेहतर मूल्य मिलने की उम्मीद है, जिससे वे अपनी जमीन का व्यावसायिक और अन्य उपयोग कर सकेंगे।

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इंदौर-पीथमपुर इकॉनोमिक कॉरिडोर के विकास से न केवल औद्योगिक विस्तार को गति मिलेगी, बल्कि नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे। अधोसंरचना निर्माण से इस क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ने की संभावना है।

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हालांकि, किसानों को उनकी भूमि के बदले भूखंड देने की यह योजना नई नहीं है, लेकिन इसका जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन महत्वपूर्ण रहेगा। यह देखना होगा कि किसानों को सही समय पर और उचित स्थान पर विकसित भूमि मिलती है या नहीं। इसके अलावा, क्या किसानों को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप भूमि आवंटित होगी, यह भी भविष्य में एक अहम सवाल बना रहेगा।

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