राज्य कृषि समाचार (State News)

जबलपुर जिले में किसानों ने सौदा-पत्रक से सीधे व्यापारियों को अब तक डेढ़ लाख क्विंटल गेहूं बेंचा ।

जबलपुर जिले में किसानों ने सौदा-पत्रक से सीधे व्यापारियों को अब तक डेढ़ लाख क्विंटल गेहूं बेंचा ।

जबलपुर| राज्य सरकार ने किसानों को उपज की अच्छी कीमत दिलाने के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी व्यवस्था बनाकर किसान हित में सौदा-पत्रक व्यवस्था शुरू की है । इसके तहत जबलपुर जिले 1692 किसानों ने व्यापारियों को 1724 सौदा पत्रकों के माध्यम से अब तक एक लाख 40 हजार 988 क्विंटल गेहूं की बिक्री कर चुके हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक मूल्य दिलाने के उद्देश्य से किसान हित में मंडी अधिनियम में संशोधन कर रबी उपार्जन में सौदा-पत्रक व्यवस्था शुरू किया है। जबलपुर जिले के किसानों ने इस व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री की सराहना की है। किसानों को सौदा-पत्रक व्यवस्था काफी पसंद भी आ रही है । इस व्यवस्था के तहत व्यापारी किसान के घर, खेत और खलिहान पर जाकर उनकी फसल खरीद रहे हैं ।

उप संचालक मंडी आनंद मोहन शर्मा ने बताया कि सौदा पत्रक से बिक्री किए गए कुल गेहूं में जबलपुर कृषि उपज मंडी के अंतर्गत 34 हजार 324 क्विंटल गेहूं, शहपुरा कृषि उपज मंडी के अंतर्गत 12 हजार 499 क्विंटल गेहूं, सिहोरा कृषि उपज मंडी के अंतर्गत 32 हजार 138 क्विंटल गेहूं और पाटन कृषि उपज मंडी के अंतर्गत 62 हजार 27 क्विंटल गेहूं की बिक्री शामिल हैं। 235 बोरा गेहूं सौदा पत्रक से बेच चुके ग्राम सोनतलाई के किसान रमाकांत पुरी और 231 बोरा गेहूं की बिक्री करने वाले ग्राम हड़ा के किसान विनय पुरी कहते हैं कि सौदा पत्रक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में सोशल डिस्टेंसिंग का अच्छे से पालन हो जाता है । किसान अपनी उपज का नमूना कृषि उपज मंडी में व्यापारियों को दिखाकर सौदा-पत्रक से उपज बेच रहे हैं। इससे उन्हें उपज की मनचाही कीमत भी मिल रही है ।

वहीं सौदा पत्रक से व्यापारी को 241 बोरा गेहूं बेंच चुके ग्राम सकरा के राम बिहारी, ग्राम लुहारी के विजय पटेल ने 225 बोरा और अनूप पटेल ने 234 बोरा गेहूं व्यापारी को सीधे बेंचा है। वे कहते हैं कि सौदा-पत्रक व्यवस्था में व्यापारी किसान के घर व खेत से ही उपज की खरीदी कर रहे हैं, इससे किसानों को शासन द्वारा बनाये गये सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्र तक अपनी उपज को लाने का परिवहन, हम्माली और फसल की सुरक्षा आदि का खर्च बच जाता है । साथ ही किसान अपनी उपज की अच्छी कीमत पाने के लिए व्यापारी से खुलकर मोलभाव भी कर पा रहे हैं ।

Advertisements