भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र इंदौर ने 74वाँ स्थापना दिवस मनाया
06 अक्टूबर 2025, इंदौर: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र इंदौर ने 74वाँ स्थापना दिवस मनाया – भा.कृ.अ.प.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), क्षेत्रीय केंद्र, इंदौर ने गत दिनों अपना 74वाँ स्थापना दिवस मनाया। मुख्य अतिथि डॉ. सीएच. श्रीनिवास राव, निदेशक एवं कुलपति, भा.कृ.अ.प.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. के. एच. सिंह, निदेशक, आईसीएआर – एनएसआरआई, इंदौर तथा डॉ. भरत सिंह, डीन, कृषि महाविद्यालय, आरवीएसकेवीवी, इंदौर शामिल हुए। समारोह में 100 से अधिक किसानों सहित वैज्ञानिकों, हितधारकों और पूर्व कर्मचारियों की उल्लेखनीय भागीदारी रही।
डॉ. राव ने किसानों, वैज्ञानिकों और उद्योगों के बीच सुदृढ़ सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि प्रौद्योगिकी का प्रभावी हस्तांतरण और कृषि में स्थिरता सुनिश्चित हो सके। अपने उद्बोधन में उन्होंने मृदा एवं जल संरक्षण को टिकाऊ कृषि की आधारशिला बताते हुए वैज्ञानिकों और किसानों से दीर्घकालिक उत्पादकता हेतु उन्नत तकनीकों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि मध्य क्षेत्र (Central Zone) में लगभग 100% मालवी/कठिया गेहूं आईएआरआई, क्षेत्रीय केंद्र, इंदौर द्वारा विकसित किस्मों जैसे – गेहूं 8777, मंगल, पोषण,अनुपम, तेजस से आच्छादित है, जो संस्थान और किसानों के लिए गर्व का विषय है। इसी प्रकार, देशभर में बोए जाने वाले 55–60% चपाती गेहूं की किस्में भी आईएआरआई द्वारा विकसित की गई हैं, जो खाद्य सुरक्षा में संस्थान की अग्रणी भूमिका को दर्शाती हैं। निदेशक ने विशेष रूप से इंदौर केंद्र से विकसित गेहूं की उन किस्मों की सराहना की जो भूरा, काला रतुआ रोग से अवरोधी हैं। इन किस्मों से फफूंदनाशी दवाओं का छिड़काव कम करना संभव हो पाता है, जिससे किसानों का लागत में बचाव होता है। उन्होंने यह भी बताया कि इंदौर केंद्र से लोकप्रिय बनाए गए शरबती गेहूं की किस्में अपनी उत्कृष्ट रोटी गुणवत्ता के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं। इनमें सुजाता, हर्षिता, अमृता, पूसा उजाला, पूसा हर्षा और पूसा गेहूं शरबती प्रमुख हैं। डॉ राव ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, इंदौर द्वारा विकसित गेहूं किस्मों पर आधारित प्रकाशन का विमोचन भी किया।
डॉ. के. एच. सिंह ने गेहूं –सोयाबीन प्रणाली पर दिए व्याख्यान में बताया कि यह पद्धति किसानों और उद्योगों दोनों के लिए लाभकारी है। वहीं, डॉ. भरत सिंह ने कहा कि अच्छी मिट्टी का सीधा संबंध मानव स्वास्थ्य से है, इसलिए हमें मिट्टी की गुणवत्ता और अखंडता बनाए रखना अति आवश्यक है। इसके पूर्व अपने स्वागत भाषण में अध्यक्ष डॉ. जे.बी. सिंह, क्षेत्रीय केंद्र , इंदौर ने केंद्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इंदौर से विकसित गेहूं किस्मों ने न केवल मध्यप्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन वृद्धि में उल्लेखनीय योगदान दिया है। आपने वैज्ञानिकों और तकनीकी स्टाफ के प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर किसानों को हाल ही में विकसित की गई किस्मों के “पूसा बीज” वितरित करने के साथ ही रुद्राक्ष का पौधा रोपित किया एवं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, इंदौर से सेवानिवृत्त कर्मचारियों का सम्मान किया गया। हितधारकों में से श्री पंकज गोयल, श्री मुकेश दाँगी , श्री देव नारायण पटेल और श्री प्रकाश जैन ने गेहूं की वर्तमान स्थिति पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्पादन और
गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिकों, उद्योगों और किसानों का करीबी सहयोग अनिवार्य है। किसानों में श्री योगेन्द्र सिंह, श्री दीपक पटेल, श्री गोपाल सिंह, श्री ईश्वर सिंह, श्री लाखन सिंह गहलोत, श्री योगेन्द्र कौशिक, श्री मोहन सिंह, श्री सुजीत पाटीदार, श्री विजय सिंह
पंवार, श्री दिलीप गुर्जर, श्री बन्ने सिंह चौहान और श्री प्रवीण सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि आईएआरआई, इंदौर से प्राप्त शुद्ध प्रजनक (ब्रीडर) बीज एवं पूसा बीज के उपयोग से उन्हें बम्पर उत्पादन प्राप्त हुआ और उनकी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
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