कृषि वानिकी के क्षेत्र में भारत-यूके ज्ञान विनिमय की कार्यशाला आयोजित
19 जुलाई 2025, भोपाल: कृषि वानिकी के क्षेत्र में भारत-यूके ज्ञान विनिमय की कार्यशाला आयोजित – भारतीय वन प्रबंध संस्थान (आईआईएफएम), भोपाल ने गत दिनों पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार और यूके सरकार के सहयोग से वन मानकों, प्रमाणन और उत्पाद अनुरेखणीयता पर भारत-यूके ज्ञान विनिमय की कार्यशाला का आयोजन किया गया । यह कार्यशाला, कृषि वानिकी क्षेत्र में लकड़ी अनुरेखणीयता और प्रमाणन पर यूके PACT (त्वरित जलवायु परिवर्तन के लिए साझेदारी) के माध्यम से प्रस्तावित व्यापक कार्य का एक हिस्सा है। कार्यशाला का उद्घाटन मध्य प्रदेश वन विभाग के पीसीसीएफ एवं हॉफ श्री असीम श्रीवास्तव, आईआईएफएम के निदेशक डॉ. के. रविचंद्रन, भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन उप महानिरीक्षक श्री अमित आनंद, ब्रिटिश उच्चायोग में जलवायु परिवर्तन नीति प्रमुख श्री ओवेन रॉबर्ट्स और सीआईएफओआर-आईसीआरएएफ के कंट्री डायरेक्टर श्री मनोज डबास की उपस्थिति में किया गया। इस मौके पर यूके के वन अनुसंधान के विशेषज्ञ सरकार, उद्योग, वित्तीय संस्थानों, शिक्षा जगत और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
ब्रिटिश उच्चायोग में जलवायु परिवर्तन नीति के प्रमुख ओवेन रॉबर्ट्स ने कहा: “मुझे भारत के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और यूके के वन अनुसंधान के साथ वन प्रबंधन संस्थान में आयोजित कार्यशाला में शामिल होकर खुशी हुई। 2021 से, हम भारत-यूके वन साझेदारी के माध्यम से वन संरक्षण पर सहयोग कर रहे हैं। यह कार्यशाला स्थायी कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के साथ-साथ वन उत्पाद ट्रेसिबिलिटी उपायों को बढ़ावा देने की दिशा में हमारे सहयोग में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे छोटे किसानों को लाभ होगा और स्थायी वन प्रबंधन को मजबूती मिलेगी। “
डॉ. के. रविचंद्रन ने 12 दिसंबर 2023 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा शुरू की गई भारतीय वन एवं काष्ठ प्रमाणन योजना (आईएफडब्ल्यूसीएस) “प्रमाण” का अवलोकन प्रस्तुत किया। वैश्विक स्तर पर उन्होंने वनों, वनों के बाहर के वृक्षों, साथ ही लकड़ी और गैर-लकड़ी वन उत्पादों के प्रमाणन में तृतीय-पक्ष सत्यापन तंत्र के महत्व पर भी ज़ोर दिया। विचार-विमर्श में विभिन्न हितधारकों के साथ वन प्रमाणन और उत्पाद प्रमाणन प्रणालियों के विकास और कार्यान्वयन में यूके की यात्रा और अनुभव पर ध्यान केंद्रित किया गया और इस बात पर भी चर्चा की गई कि भारत अपने ढांचों को मजबूत करने के लिए इन अनुभवों का लाभ कैसे उठा सकता है।
तकनीकी सत्रों में वन प्रमाणन का समर्थन करने वाले संस्थागत और प्रशासनिक तंत्र, तकनीकी मानक और जमीनी स्तर पर संचालन, प्रमाणन प्रणालियों में छोटे किसानों और स्थानीय समुदायों का समावेश, वैश्विक उचित परिश्रम और स्थिरता आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रमाणन की भूमिका जैसे कई विषयगत क्षेत्रों को शामिल किया गया। कार्यशाला का समापन ब्रेकआउट सत्रों और पैनल चर्चाओं के साथ हुआ, जिसमें यूके के अनुभव से प्राप्त अनुभवों को भारतीय संदर्भ की ज़रूरतों, परिस्थितियों और आवश्यकताओं के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया। पैनलिस्ट में MoEFCC, CIFOR, NABARD, FIPPI, ग्रीनलैम और इनक्यूब के प्रतिनिधि शामिल थे। कार्यशाला में दोनों देशों के बीच निरंतर तकनीकी सहयोग और हितधारकों की निरंतर भागीदारी की आवश्यकता पर आम सहमति बनी।
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