State News (राज्य कृषि समाचार)

सदाबहार खेती के लिए मिट्टी की संरचना सुधारना जरुरी : डॉ. रांका

Share

(विशेष प्रतिनिधि)

इंदौर। बड़ौदा की जॉयडेक्स इंडस्ट्रीज प्रा. लि. पर्यावरण हितैषी उत्पाद और नवोन्मेषी तकनीक के लिए जानी जाती है। इसकी स्थापना 1997 में हुई। इंदौर प्रवास पर आए इस कम्पनी के एमडी सीईओ डॉ. अजय रांका और सीनियर वाइस प्रेसीडेंट (सेल्स एंड मार्केटिंग) श्री धनंजय एडाखे से कृषक जगत के निदेशक श्री सचिन बोन्द्रिया ने विशेष बातचीत की।

आर्गेनिक कार्बन घटा

श्री रांका ने कहा कि भारतीय कृषि में मिट्टी को लेकर किसी ने ध्यान नहीं दिया। रही-सही कसर खेतों में भारी मात्रा में रसायनिक उर्वरकों के बेतहाशा उपयोग ने पूरी कर दी। जैविकीय शर्तों के अनुसार मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या प्रति ग्राम दस करोड़ होना चाहिए जो अब घटकर 1 से 5 लाख प्रति ग्राम रह गई है। आर्गेनिक कार्बन की मात्रा एक प्रतिशत से भी कम रह गई है। पौधों की उत्पादन क्षमता लगातार घट रही है। मौसम के उतार-चढ़ाव का बहुत असर पड़ रहा है। मिट्टी की संरचना बिगडऩे से मिट्टी का उपजाऊपन कम हो गया है। मृदा में कार्बनिक जैव पदार्थों की आपूर्ति की प्रमुख भूमिका रहती है। ज्यादा जुताई से भी जीवाणुओं को नुकसान पहुंचता है। इस कारण मिट्टी का नर्मपन कम होने से वह पानी कम सोखती है। मिट्टी कड़क होने से भुरभुरी नहीं रह पाती है।

मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरुरी

श्री रांका ने कहा कि जायडेक्स के उत्पाद जायटॉनिक में पॉलीमर, माइकोराइजा और अन्य घटकों का उपयोग कर नई तकनीक विकसित की है। इससे मिट्टी हवादार होने से जड़ों का विस्तार आरम्भ हो जाता है। सहजीवी जीवाणुओं से संबंध स्थापित हो जाता है। राइजोबिया से पौध प्रबंधन क्रियाशील हो जाता है और वह पौधों को पोषक तत्व पहुंचाने लगता है। ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड के गैस विनिमय से सूक्ष्म जीवी गतिविधियां शुरू हो जाती है। माइक्रोबियल की गतिविधियां कम होने से रसायनिक उर्वरकों का 20-30 प्रतिशत ही पौधा ले पाता है एबाकी उर्वरक वैसा ही पड़ा रहता है, जो मृदा के स्वास्थ्य को खऱाब करने के साथ ही आर्थिक नुकसानी का कारण बनता है। किसानों की आय दुगुनी करने के लिए मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरुरी है। इससे गुणवत्ता वाली उपज का मूल्य और उत्पादन दोनों बढ़ जाएगा। जायटॉनिक्स पौधों को क्षमतावान बनाता है। पहले साल में ही 50 प्रतिशत तक जड़ क्षेत्र का विकास कर देता है। जैविक खेती में पहले साल उत्पादन में 30-40 प्रतिशत की कमी आती है, जबकि जायटॉनिक से अंकुरण क्षमता 90 प्रतिशत तक हो जाती है, जो अमूमन 70 प्रतिशत रहती है। पौधों की संख्या में भी वृद्धि होती है। पोषण प्रबंधन से उत्पादन 15-20 प्रतिशत बढ़ जाएगा।

मिट्टी की सरंध्रता में कमी

डॉ. रांका ने 2015 की संसद की एक रिपोर्ट का जिक्र कर कहा कि इस रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में पौधों की पोषक तत्वों की घनत्वता (न्यूट्रिएंट डेंसिटी) 48 प्रतिशत घट गई है। यह चिंताजनक है । इसका मुख्य कारण मिट्टी की सरंध्रता में कमी होना है। मिट्टी भुरभुरी नहीं होने से दो -तीन बारिश के बाद पानी खेत से बहने लगता है। मिट्टी की अवशोषण क्षमता कम होने से वह पानी नहीं सोख पाती है। इसी कारण जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। हालांकि मिट्टी के स्वास्थ्य की समस्या वैश्विक है। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी एक वर्षाकाल में वर्षा की अधिकतम तीव्रता के आधार पर एक घंटे में हुई वर्षा की जल अवशोषण क्षमता और परकोलेशन रेट को ध्यान में रखकर पूरे खेत को रिचार्ज करना पड़ेगा, तभी मिट्टी की परत के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जॉयडेक्स कम्पनी का लक्ष्य चार आयामों-मृदा के स्वास्थ्य में सुधार, किसानों का उत्पादन बढ़ाना एजल संधारण और पौधों में पोषण घनत्वता बढ़ाने पर केंद्रित है। जायटॉनिक पर्यावरण हितैषी और कृषि के लिए लाभदायी है। इससे सदाबहार (सस्टेनेबल) खेती की जा सकती है। जैविक खेती को ख़ारिज करते हुए आपने कहा कि औसत किसान जैविक खेती के नियमों का पालन कर ही नहीं सकता। मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार से ही खेती में तरक्की की जा सकती है।

बंजर भूमि के उपयोग की योजना

डॉ. रांका ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश में 90 मिलियन हेक्टर जमीन बंजर पड़ी है, जिसका उपयोग कर देश की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। इस पड़त बंजर भूमि को किसानों को चारा उगाने के लिए निर्धारित समय के लिए दिया जा सकता है। आपने दावा किया कि 20 हजार रुपए की लागत से इसमें सुधार किया जा सकता है। यूँ भी तो सरकार सब्सिडी के रूप में हर साल करोड़ों रुपए बांटती है। ऐसे में यह प्रयोग करके देखना बुरा नहीं है। म.प्र. प्रवास पर आए श्री रांका ने इंदौर, खंडवा, उज्जैन और धार जिले के किसानों के यहां लगाए कम्पनी के प्रदर्शन प्लाटों का निरीक्षण किया और उनसे चर्चा की। जिसमें उन्हें अच्छा प्रतिसाद मिला।

जीवन में शामिल जायडेक्स

जायडेक्स ने जीवन की बुनियादी जरूरतों में रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा सड़क को भी शामिल किया है। रसायन उद्योग आधारित यह कम्पनी टेक्सटाइल्स, वाटरप्रूफिंग और पैंट्स के व्यवसाय के अलावा कषि क्षेत्र में भी अपने कदम रख चुकी है। कम्पनी ने 200 से अधिक उत्पाद बाजार को दिए हैं। इस कम्पनी को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। जायडेक्स का व्यवसाय देश के अधिकांश राज्यों के अलावा 40 देशों में है। अभी मिडिल ईस्ट में भी ट्रायल चल रहा है।

जॉयटॉनिक विलेज मिशन रूजॉयडेक्स कम्पनी के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट (सेल्स एन्ड मार्केटिंग) श्री धनंजय एडाखे ने जायडेक्स के जॉयटॉनिक विलेज मिशन की जानकारी देते हुए बताया कि इसे हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्र के 15 किसानों के बीच चलाया जा रहा है, जहां 15 एकड़ में बंजर भूमि को उपज योग्य बनाया जा रहा है। जॉयटॉनिक एम। गन्ना, प्याज, लहसुन और अरबी सहित सभी फसलों के लिए बहुत उपयोगी है। इसके उपयोग से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में भी सुधार होता है। सिंचाई कम लगने से पानी की बचत होती है। मिट्टी भुरभुरी होने से जैविक शक्ति में भी इजाफ होता है। शीघ्र बेहतर अंकुरण एसघन जड़ों से कार्बनिक पदार्थ में वृद्धि से जमीन का उपजाऊपन भी बढ़ता है।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *