State News (राज्य कृषि समाचार)

इफको नैनो यूरिया : नाइट्रोजन का उत्तम स्रोत

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  • डॉ. दिनेश कुमार सोलंकी
    मुख्य प्रबंधक (कृषि सेवाएं) इफको, भोपाल
  • सुनील सक्सेना, राज्य विपणन प्रबंधक, इफको भोपाल

26 जून 2021, भोपाल ।  इफको नैनो यूरिया : नाइट्रोजन  का उत्तम स्रोत – पौधों की अच्छी बढ़वार एवं विकास में नाइट्रोजन अहम भूमिका निभाता है। नैनो यूरिया (तरल) पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने का उत्तम स्रोत है। पौधों की अच्छी बढ़वार एवं विकास में नाइट्रोजन अहम भूमिका निभाता है। उल्लेखनीय है कि नैनो यूरिया (तरल) विश्व में विकसित पहला पेटेंटेड नैनो उर्वरक है जिसे इफको नैनो बायो टेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) कलोल गुजरात द्वारा स्वदेशी तकनीकी द्वारा विकसित किया गया हैं। सामान्यत: खेत में डाली गई यूरिया का मात्र 30-50 प्रतिशत भाग ही नाइट्रोजन रूप में फसलों द्वारा उपयोग में आ पाता है। शेष बची हुई यूरिया नाइट्रोजन गैस (अमोनिया, नाइट्रस ऑक्साइड) या नाइट्रेट के रूप में मिट्टी, वायु और जल को प्रदूषित करती है।

नैनो यूरिया में मौजूद नाइट्रोजन के कणों का आकार 20-50 नैनोमीटर है। जिसे हम नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं। इसे किसान भाई ऐसे समझ सकते हंै कि एक मीटर का एक अरबवां भाग या दूसरे शब्दों में ऐसे समझ सकते है कि यूरिया के एक दाने को अगर हम 55000 टुकड़ों में बांटें तो उसका एक टुकड़ा नैनो यूरिया में उपलब्ध एक कण के आकार का होगा। नैनो यूरिया में भार के आधार पर नाइट्रोजन की कुल मात्रा 4.0 प्रतिशत है। नैनो यूरिया में मौजूद नाइट्रोजन पौधों को सुलभ रूप में मिलती है जिससे नाइट्रोजन की सक्षम पूर्ति हो पाती है।

एक स्वस्थ पौधे में भौतिक क्रियाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए फसल की पत्तियों में लगभग 4 प्रतिशत नाइट्रोजन होना चाहिए। नैनो यूरिया का पौधों की क्रांतिक वृद्धि की अवस्थाओं पर पर्णीय छिड़काव करने से नाइट्रोजन की समय से पूर्ति होने से उपज में बढ़ोतरी होती है।

नैनो यूरिया के साइज़, आकार, रूप, सांद्रता और सतही क्षेत्रफल के विशेष लाभ है। यह कम मात्रा में पर्णीय छिड़काव में प्रयोग किया जाता है जिसका पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ता है। नैनो यूरिया के प्रयोग से पर्यावरण शुद्ध रहता है और नाइट्रोजन उपयोग क्षमता बढऩे से फसल की उपज, गुणवत्ता और किसानों के लाभ में भी सार्थक वृद्धि होती है।

नैनो यूरिया के लाभ
  • यह उन सभी फसलों के लिये उपयोगी जिनके लिये नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। चूंकि नाइट्रोजन सभी फसलों के लिये आवश्यक है अत: यह भी सभी फसलों के लिये उपयोगी है।
  • नाइट्रोजन उपयोग क्षमता बढ़ाता है।
  • फसल की पैदावार को प्रभावित किए बिना यूरिया व अन्य नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की बचत।
  • नैनो यूरिया की एक बोतल (500 मिलीलीटर) एक बैग यूरिया (45 किलोग्राम) के बराबर है।
  • फसल उत्पादकता में वृद्धि।
  • किसानों को अधिक आर्थिक लाभ।
  • कृषि उत्पाद की गुणवत्ता व पोषकता में वृद्धि।
  • पर्यावरण को यूरिया उर्वरक के अंधाधुन्ध प्रयोग से होने वाले कुप्रभाव से बचाता है जिससे मृदा, वायु और जल प्रदूषित होने से बच सकें। इससे संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ कृषि के लक्ष्य को भी पूरा करने में मदद मिलेगी।
  • कम पानी की दशा में भी यह अच्छा कार्य करता है। अत: जमीन में अगर कम पानी भी है तो फसल पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रयोग विधि
  • नैनो यूरिया की 2-4 मिली मात्रा एक लीटर पानी में घोलकर फसल की प्रारम्भिक वृद्धि की अवस्थाओं पर नाइट्रोजन की आवश्यकतानुसार छिड़काव करें। एक एकड़ जमीन के लिये 125 लीटर पानी की मात्रा पर्याप्त होती है।
  • अच्छे परिणाम के लिए दो छिड़काव आवश्यक होते हैं (पहला छिड़काव कल्ले) शाखाएं निकलने के समय (अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद) तथा दूसरा छिड़काव फूल आने के 7-10 दिन पहले करें।
सुरक्षाए सावधानियाँ एवं प्रयोग के लिए समान्य सुझाव
  • उपयोग से पहले अच्छी तरह से बोतल को हिलाएं।
  • फ़्लैट फैन या कट नोजल का उपयोग करें।
  • सुबह या शाम के समय छिड़काव करें जब तेज धूप, तेज हवा तथा ओस न हो।
  • यदि नैनो यूरिया के छिड़काव के 12 घंटे के अंदर बारिस हो जाती है तो छिड़काव को दोहरायें।
  • नैनो यूरिया की उपयोग विधि सरल है। यह प्रयोग करने वाले व्यक्ति, पर्यावरण, वनस्पति एवं मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्म एवं अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी सुरक्षित है।
  • यद्यपि नैनो यूरिया पूर्णत: सुरक्षित है, फिर भी सावधानी के लिए फसल पर छिड़काव करते समय मास्क और दस्ताने का प्रयोग अवश्य करें।
  • इसका भंडारण नमी रहित ठंडे स्थान पर करें और बच्चों एवं पालतू जानवरों की पहुंच से दूर रखें।
  • बेहतर परिणाम के लिये नैनो यूरिया का उपयोग इसके निर्माण की तारीख से 2 वर्ष के अन्दर किया जाये।

 

 

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