राज्य कृषि समाचार (State News)

आईसीएआर-आरसीईआर पटना ने ‘मल्टीपल यूज ऑफ वॉटर’ मॉडल विकसित किया

07 जनवरी 2025, भोपाल: आईसीएआर-आरसीईआर पटना ने ‘मल्टीपल यूज ऑफ वॉटर’ मॉडल विकसित किया – आईसीएआर रिसर्च कॉम्प्लेक्स फॉर ईस्टर्न रीजन (आईसीएआर-आरसीईआर), पटना ने अपने सबजपुरा फार्म में ‘मल्टीपल यूज ऑफ वॉटर’ (एमयूडब्ल्यू) मॉडल का उद्घाटन किया। यह मॉडल पूर्वी भारत में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए जल प्रबंधन को अधिक कुशल और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक अभिनव प्रयास है।

इस मॉडल का औपचारिक उद्घाटन आईसीएआर के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट) डॉ. एस.के. चौधरी ने विशेष समारोह में किया। कार्यक्रम के दौरान, डॉ. चौधरी ने एमयूडब्ल्यू मॉडल के अग्रणी दृष्टिकोण की सराहना की और कृषि में जल संसाधनों के कुशल उपयोग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जल के बहु-उपयोग की रणनीतियां जलवायु परिवर्तन और संसाधन प्रबंधन की बढ़ती चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

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इस अवसर पर एमयूडब्ल्यू पर एक एक्सटेंशन फोल्डर जारी किया गया और मॉडल का अवलोकन प्रस्तुत करने वाला एक लघु वीडियो दिखाया गया।

आईसीएआर-आरसीईआर पटना के निदेशक, डॉ. अनुप दास ने इस मॉडल की व्यापक दृष्टि पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मल्चिंग, एग्री-हॉर्टी सिस्टम, कंपोस्टिंग, सौर ऊर्जा का उपयोग और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी जैसे उन्नत उपाय इस मॉडल का अभिन्न हिस्सा हैं। यह मॉडल दीर्घकालिक स्थिरता और जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन को सुनिश्चित करता है। डॉ. दास ने यह भी बताया कि यह मॉडल कृषि क्षेत्र में जलवायु और संसाधन चुनौतियों का समाधान करते हुए खेती प्रणालियों में संसाधन अनुकूलन और स्थायित्व को बढ़ावा देगा।

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डिवीजन ऑफ लैंड एंड वॉटर मैनेजमेंट के प्रमुख, डॉ. अशुतोष उपाध्याय ने मॉडल का विस्तृत परिचय दिया। उन्होंने इसके प्रमुख घटकों को रेखांकित किया, जिसमें मिश्रित मछली पालन, बतख पालन, मशरूम उत्पादन, और निम्न भूमि क्षेत्रों के लिए संशोधित रेज्ड और सनकेन संरक्षण बेड तथा एग्रो-एक्वा लैंड कॉन्फ़िगरेशन के माध्यम से फसल विविधीकरण शामिल है। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि यह मॉडल जल संरक्षण की नवीनतम प्रथाओं को एकीकृत करता है, जिससे संसाधनों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित होता है और कृषि उत्पादकता और स्थिरता में वृद्धि होती है।

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इस अभिनव मॉडल का विकास डॉ. अनुप दास के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। इस टीम में डॉ. अशुतोष उपाध्याय, अजय कुमार, अकरम अहमद, आरती कुमारी, पवन जीत, सुरेंद्र अहिरवाल, शिवानी, तनमय कोले, एम.के. त्रिपाठी, वेद प्रकाश, रचना दुबे, अभिषेक कुमार और अभिषेक दुबे शामिल थे। उनकी विशेषज्ञता और समर्पण ने इस मॉडल को डिजाइन और कार्यान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कार्यक्रम के दौरान, डॉ. चौधरी ने फील्ड विजिट के तहत साउथ एशिया के लिए सीरियल सिस्टम्स इनिशिएटिव (सीएसआईएसए) और राइस फॉलो मैनेजमेंट पर चल रहे दीर्घकालिक प्रयोगों का निरीक्षण किया।

‘मल्टीपल यूज ऑफ वॉटर’ (एमयूडब्ल्यू) मॉडल सतत कृषि तीव्रता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मॉडल जल दक्षता वाले खेती प्रणालियों के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है, जो जलवायु स्थायित्व और संसाधन संरक्षण को संबोधित करते हुए निम्न भूमि क्षेत्रों के किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने में मदद करता है।

इस उद्घाटन कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित निदेशक उपस्थित रहे, जिनमें डॉ. मसूद अली (पूर्व निदेशक, आईसीएआर-आईआईपीआर), डॉ. सी.एल. आचार्य (पूर्व निदेशक, आईसीएआर-आईआईएसएस), डॉ. जे.एस. मिश्रा (आईसीएआर-डीडब्ल्यूआर, जबलपुर), डॉ. एन.जी. पाटिल (आईसीएआर-एनबीबीएस एलयूपी), डॉ. बिकास दास (आईसीएआर-एनआरसी लीची), डॉ. ए. सारंगी (आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूएम), डॉ. सुनील कुमार (आईसीएआर-आईआईएफएसआर, मोदीनगर), डॉ. प्रदीप डे (आईसीएआर-एटीएआरआई, कोलकाता), डॉ. बी.पी. भट्ट (एनआरएम डिवीजन, आईसीएआर, नई दिल्ली), डॉ. आर.के. जाट (बीआईएसए), और डॉ. एस.पी. पूनिया (सीआईएमएमवाईटी) आदि शामिल थे।

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