राज्य कृषि समाचार (State News)

धान में घास-मोथा को कैसे करें खत्म? PAU कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया आसान तरीका

17 जुलाई 2025, भोपाल: धान में घास-मोथा को कैसे करें खत्म? PAU कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया आसान तरीका – पंजाब के किसान इन दिनों अपने खेतों में धान की सीधी बिजाई और रोपाई का काम पूरा कर चुके हैं। अब किसान खेतों में तेजी से बढ़ती घास और मोथा जैसी खरपतवार की समस्या से परेशान हैं। ऐसे में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने किसानों के लिए बेहद आसान और काम की जानकारी दी है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया है कि किस तरह किसान अपने खेत में मौजूद खरपतवार को पहचानकर सही दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सही पहचान से ही होगा असरदार इलाज

PAU के विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. मखन सिंह भुल्लर ने कहा कि धान की फसल में खरपतवार को सही समय पर सही दवा से खत्म करना बेहद जरूरी है। पहले यह देखना जरूरी है कि खेत में किस तरह के खरपतवार ज्यादा हैं। इसके बाद ही दवाई का सही छिड़काव करने से ही असर दिखेगा।

इन दवाओं से पक्का इलाज

डॉ. भुल्लर ने किसानों को सलाह दी कि यदि खेत में स्वांक और पड्डी मोथा, चीनी या घोड़ा घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार ज्यादा हैं तो नॉवलेक्ट 12 ईसी (फ्लॉरपाइरॉक्सीफेन-बेंजिल 2.13% + सायालोफॉप-ब्यूटाइल 10.64%) की 500 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से बुआई के 20 से 25 दिन बाद छिड़काव करें।

अगर खेत में सिर्फ स्वांक और पड्डी मोथा ही ज्यादा हैं तो किसान नॉमिनी गोल्ड 10 एससी (बिसपाइरिबैक सोडियम) की 100 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से दवा का छिड़काव करें।

अगर खेत में मधाना, चीनी घास, चिरी घास और तकरी घास जैसी घास वाली खरपतवार है तो राइसटार 6.7 ईसी (फेनॉक्साप्रॉप-पी-एथिल) की 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से बुआई के बाद छिड़काव करें।

कब करें दवा का छिड़काव?

वैज्ञानिकों ने बताया कि दवा का छिड़काव तब करें जब खरपतवार 2 से 4 पत्तियों की अवस्था में हो। अगर खरपतवार ज्यादा बड़े हो जाते हैं तो दवा का असर कम हो जाता है और फसल को नुकसान भी हो सकता है।

बिना सलाह दो दवाइयों को ना मिलाएं

PAU के कृषि विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. हरिराम ने किसानों को चेताया कि कुछ किसान बिना सलाह के दो या ज्यादा दवाइयां मिलाकर छिड़काव कर रहे हैं, जो नुकसानदायक हो सकता है। इससे फसल में फाइटोटॉक्सिसिटी (दवा का उल्टा असर) हो सकता है और पैदावार भी कम हो सकती है।

उन्होंने किसानों से कहा कि खेत में कौन सी घास ज्यादा है, उसे पहचानें और वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही दवा का इस्तेमाल करें। इससे लागत भी बचेगी और फसल भी अच्छी होगी।

किसानों के लिए सलाह

1. सबसे पहले खेत में किस प्रकार की घास या मोथा है, यह देखें।
2. वैज्ञानिकों की बताई गई दवा का ही इस्तेमाल करें।
3. सही मात्रा और समय का ध्यान रखें।
4. बिना सलाह के दवाइयों को ना मिलाएं।
5. सही समय पर छिड़काव करें ताकि फसल सुरक्षित रहे और उत्पादन अच्छा मिले।

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