Niger Sowing: कैसे करें रामतिल की बुआई? आसान और असरदार तरीका
16 जून 2025, नई दिल्ली: Niger Sowing: कैसे करें रामतिल की बुआई? आसान और असरदार तरीका – रामतिल की अच्छी पैदावार पाने के लिए उसकी बुआई का सही तरीका अपनाना बेहद जरूरी है। समय पर और वैज्ञानिक तरीके से की गई बुआई न केवल अंकुरण बेहतर बनाती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों में वृद्धि करती है। इस लेख में हम जानेंगे रामतिल की बुआई की सही विधि, बीज की मात्रा, गहराई, दूरी और अन्य जरूरी बातों को आसान भाषा में, ताकि किसान भाई कम मेहनत में बेहतर परिणाम पा सकें।
जलवायु और मिट्टी
रामतिल को बारिश आधारित खेती के लिए 1000-1300 मिमी वर्षा आदर्श है। इसे खरीफ या रबी में अकेले या बाजरा, रागी, मूंगफली जैसी फसलों के साथ मिश्रित रूप में बो सकते हैं। यह फसल चिकनी दोमट, रेतीली दोमट, हल्की काली मिट्टी, या लैटेराइट मिट्टी में अच्छी तरह उगती है। यह थोड़ी क्षारीय और लवणीय मिट्टी को भी सहन कर लेती है।
बीज और बुआई
- बीज की मात्रा: अकेली फसल के लिए 5 किलो प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है।
- बीज उपचार: बुआई से पहले बीज को थिरम या कैप्टान (3 ग्राम/किलो बीज) से उपचार करें। साथ ही, 10 ग्राम/किलो एजाटोबैक्टर, 8 ग्राम/किलो ट्राइकोडर्मा, और 10 ग्राम/किलो पीएसबी से उपचार करने से उपज 20% तक बढ़ सकती है।
- बुआई का तरीका: खेत को 3-4 बार जोतकर तैयार करें, उसके बाद सीढ़ीनुमा तरीके से जुताई करके अच्छी तरह से मिट्टी तैयार की जानी चाहिए। फसल को बड़े पैमाने पर छिटककर बोया जाता है। बीजों को रेत/पीसा हुआ एफवाईएम/राख के साथ मिलाया जाता है, ताकि बीज का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए 20 गुना अधिक मात्रा में बीज डाला जा सके। 30 सेमी x 10 सेमी की दूरी पर लाइन में बोना लाभदायक पाया गया है। 25 सेमी की दूरी पर 5 सेमी गहराई के खांचे तैयार किए जाने चाहिए। बीजों को अधिमानतः 3-5 सेमी गहराई पर खांचे में रखा जाना चाहिए। फिर खांचे के साथ सीढ़ीनुमा तरीके से बीज को लगभग 3-5 सेमी की मिट्टी की परत से ढक दिया जाना चाहिए। इससे मिट्टी का संघनन सुनिश्चित होता है, जिसके परिणामस्वरूप त्वरित और समान अंकुरण होता है।
खाद और उर्वरक
- रामतिल ज्यादातर बिना उर्वरक के उगाई जाती है, लेकिन थोड़ा ध्यान देने से उपज बढ़ सकती है। कुछ राज्यों में अनुशंसित उर्वरक खुराक:
- सल्फर (20-30 किलो/हेक्टेयर) देने से बीज और तेल की मात्रा बढ़ती है।
- मध्य प्रदेश: बुआई के समय 10 किलो नाइट्रोजन + 20 किलो फॉस्फोरस, और 35 दिन बाद 10 किलो नाइट्रोजन।
- महाराष्ट्र: 4 टन गोबर की खाद + 20 किलो नाइट्रोजन बुआई के समय।
- ओडिशा: 20 किलो नाइट्रोजन + 40 किलो फॉस्फोरस बुआई के समय, और 30 दिन बाद 20 किलो नाइट्रोजन।
- झारखंड/बिहार: 20 किलो नाइट्रोजन + 20 किलो फॉस्फोरस + 20 किलो पोटाश + 15 किलो जिंक सल्फेट।
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