Advertisement8
Advertisement
राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

हिमाचल कृषि विश्वविद्यालय ने टमाटर की दो नई विल्ट रोधी किस्में की तैयार, सिर्फ 75 दिन में देंगी बंपर फसल

24 सितम्बर 2025, भोपाल: हिमाचल कृषि विश्वविद्यालय ने टमाटर की दो नई विल्ट रोधी किस्में की तैयार, सिर्फ 75 दिन में देंगी बंपर फसल – पालमपुर स्थित चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने टमाटर किसानों के लिए एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग द्वारा टमाटर की दो नई किस्में  हिम पालम टमाटर-1 और हिम पालम टमाटर-2 विकसित की गई हैं, जो बैक्टीरियल विल्ट रोग के प्रति पूर्णतः प्रतिरोधी हैं। कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने जानकारी दी कि इन किस्मों को 4 मई 2024 को विश्वविद्यालय की एक कार्यशाला में अनुमोदन मिल चुका है और अब प्रस्ताव को राज्य किस्म विमोचन समिति (SVRC) को भेजा गया है।

ये दोनों किस्में केवल 70 से 75 दिनों में तैयार हो जाती हैं और हिमाचल प्रदेश के निचले और मध्यवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों के लिए विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध होंगी। यहां बैक्टीरियल विल्ट रोग लंबे समय से टमाटर की खेती के लिए एक बड़ी बाधा बना हुआ था।

Advertisement
Advertisement

क्या है बैक्टीरियल विल्ट और क्यों है यह खतरनाक?

बैक्टीरियल विल्ट एक घातक पौध रोग है, जो टमाटर, शिमला मिर्च और लाल मिर्च जैसी फसलों को 10–15 दिनों के भीतर पीला और मुरझाया बना देता है। यह रोग बीज और मिट्टी दोनों के माध्यम से फैलता है और गर्म तथा नम जलवायु में तेज़ी से फैलाव करता है। चूंकि इस रोग का कोई कारगर रासायनिक इलाज नहीं है, इसलिए इससे प्रभावित किसान टमाटर की खेती से पीछे हटने लगे थे। अब नई किस्मों के आने से उन्हें एक बार फिर व्यावसायिक खेती की ओर लौटने का अवसर मिलेगा।

जानिए नई किस्मों की विशेषताएं

1. हिम पालम टमाटर-1

– बैक्टीरियल विल्ट प्रतिरोधी
– लंबे पौधे, गहरे लाल रंग के गोल फल
– औसत वजन: 65–70 ग्राम
– परिपक्वता अवधि: 70–75 दिन
– औसत उपज: 250–275 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

Advertisement8
Advertisement

2. हिम पालम टमाटर-2

– बैक्टीरियल विल्ट प्रतिरोधी
– लंबे पौधे, हथेली के आकार के गहरे लाल फल
– मोटा छिलका, फल का वजन: 70–75 ग्राम
– परिपक्वता अवधि: 70–75 दिन
– औसत उपज: 240–260 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

Advertisement8
Advertisement

किसानों को मिलेगा सीधा फायदा

इन किस्मों के विकास से न केवल किसानों को फसल नुकसान से राहत मिलेगी, बल्कि उत्पादन लागत में भी कमी आएगी क्योंकि अब खाद और स्प्रे पर खर्च कम होगा। रोग-प्रतिरोधक क्षमता के चलते ये पौधे खेत में ज्यादा टिकाऊ रहेंगे और जल्द फसल देने की वजह से फसल चक्र भी तेज होगा। इन नई किस्मों के आने से हिमाचल जैसे क्षेत्रों में भी अब कमर्शियल टमाटर की खेती संभव हो सकेगी, जहां पहले बैक्टीरियल विल्ट एक बड़ी रुकावट थी।

वैज्ञानिकों को मिली सराहना

कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने इस सफलता के लिए सब्जी विज्ञान और पुष्प विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक टीम को बधाई दी और कहा कि यह लगभग दो दशक लंबे अनुसंधान कार्य का परिणाम है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ये किस्में न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाएंगी, बल्कि राज्य की सब्जी आधारित अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती प्रदान करेंगी।

आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture

Advertisements
Advertisement5
Advertisement