हरदा केवीके की गेहूं उत्पादक किसानों को सलाह
07 दिसंबर 2025, हरदा: हरदा केवीके की गेहूं उत्पादक किसानों को सलाह – कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. ओमप्रकाश भारती ने बताया कि गेहूं में अंकुर झुलसा रोग फ्यूजेरियम और माइक्रोडोकियम जैसे कवकों के कारण होता है, जो युवा अंकुरों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे फसल का विकास कम होता है और उपज में संभावित कमी आती है। उन्होने बताया कि कवकनाशी युक्त उपचारित बीजों का उपयोग करके और उच्च गुणवत्ता वाले, बिना क्षतिग्रस्त बीजों को बोकर इसका प्रबंधन किया जा सकता है, खासकर जब ठंडा, नम मौसम रोग के विकास के लिए अनुकूल हो।
डॉ. भारती ने बताया कि रोगजनक मुख्यतः फ्यूजेरियम प्रजाति और माइक्रोडोकियम प्रजाति के कारण, जो बीज या मिट्टी में मौजूद हो सकते हैं। कोक्लिओबोलस सैटिवस एक अन्य सामान्य कारण है, जिसे कभी-कभी सामान्य जड़ सड़न भी कहा जाता है। इसमें संक्रमित बीज अंकुरित नहीं हो सकते हैं, या अंकुर निकलकर मर सकते हैं। क्षतिग्रस्त पौधों के कारण पौधे पतले हो जाते हैं और उपज कम हो जाती है।
डॉ. भारती ने बताया कि कवकनाशी बीज उपचार बीज और युवा जड़ों की रक्षा करके अंकुर झुलसा को नियंत्रित करने में बहुत प्रभावी होते हैं। उच्च गुणवत्ता वाले बीज का प्रयोग करें और बोने से पहले रोग की जाँच करवा लें। फटे हुए बीज बोने से बचें, क्योंकि ये रोगाणुओं के लिए प्रवेश द्वार बन जाते हैं। उचित गहराई पर रोपण करने से रोग को रोकने में मदद मिल सकती है। फफूंदजनित अंगमारी पिछले वर्षों में फ्यूजेरियम हेड ब्लाइट (एफएचबी) की उपस्थिति से पौध में अंगमारी का खतरा बढ़ सकता है।
आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture


