राज्य कृषि समाचार (State News)

पोषण वाटिका के द्वारा खाद्य एवं पोषण सुरक्षा

लेखक: डॉ. निधि जोशी”, श्री मेदनी प्रताप सिंह एवं डॉ. रंजय कुमार सिंह” ‘विषय वस्तु विशेषज्ञ, ‘सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी, ‘प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी ‘कृषि विज्ञान केन्द्र, भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल

04 फ़रवरी 2025, भोपाल: पोषण वाटिका के द्वारा खाद्य एवं पोषण सुरक्षा – संतुलित आहार प्रणाली में सब्जियों और फलों का महत्वपूर्ण स्थान है। सब्जी और फल हमारे आहार में खनिज, विटामिन एवं रेशा का महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के पादप रसायन भी सब्जी और फलों में पाए जाते हैं, जोकि स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं और बीमारियों से बचाते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान के अनुसार एक स्वस्थ व्यक्ति को नियमित रूप से अपने आहार में 400 ग्राम सब्जियों जिसमें हरी पत्तेदार सब्जियाँ (100 ग्राम), अन्य सब्जियाँ (250 ग्राम), जड़ एवं कंद मूल (50 ग्राम) एवं 100 ग्राम फल शामिल करने चाहिए।

बागवानी सांख्यिकी 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सब्जियों और फलों की दैनिक प्रति व्यक्ति उपलब्धता क्रमशः 285.04 ग्राम और 145.73 ग्राम है। भारत फल और सब्जी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। कृषि सांख्यिकी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-22 में बागवानी फसलों का उत्पादन 342.3 मिलियन टन दर्ज किया गया। विश्व फल एवं सब्जी उत्पादन में भारत की क्रमशः 11.89 और 11.88 प्रतिशत की भागीदारी है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद (2023) के सर्वेक्षण के अनुसार शहरी इलाकों में सब्जियों, जड़ एवं कंद मूल तथा फलों का दैनिक सेवन क्रमशः 94, 89 एवं 55 ग्राम, वहीं ग्रामीण इलाकों में सब्जियों, जड़ एवं कंद मूल तथा फलों का दैनिक सेवन क्रमशः 67, 64 एवं 27 ग्राम है। इस प्रकार शहरी इलाकों में सब्जियों तथा फलों का दैनिक सेवन निर्धारित मात्रा से 73 एवं 45 प्रतिशत कम एवं जड़ एवं कंद मूल का दैनिक सेवन निर्धारित मात्रा से 78 प्रतिशत अधिक है। te Window to Settings to actiste ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी इलाकों की तुलना में सब्जियों तथा फलों का दैनिक सेवन निर्धारित मात्रा से 81एवं 73 प्रतिशत कम एवं जड़ एवं कंद मूल का दैनिक सेवन निर्धारित मात्रा से 28 प्रतिशत अधिक है।

भारतीय प्रणाली में पर्याप्त मात्रा में सब्जियाँ एवं फल शामिल करने एवं आहार में विवधता लाने के लिए पोषण वाटिका एक कारगर कदम साबित हो सकता है। पोषण वाटिका की अवधारणा पीढ़ियों से विकसित और अपनाई जा रही है, परन्तु अभी भी पारंपरिक प्रथाओं का पालन किया जा रहा है। पोषण वाटिका में पारिवारिक आवासों के नज़दीक अपेक्षाकृत सीमित क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर फल एवं सब्जी उत्पादन इकाइयां शामिल होती हैं। पोषण वाटिका एक घरेलू उत्पादन प्रणाली है, जिसमें कम लागत वाली स्थानीय सामग्री का प्रयोग किया जाता है एवं यह पारंपरिक ज्ञान पर आधारित है। पोषण वाटिका का मुख्य उद्देश्य पारिवारिक उपयोग के लिए ताज़ी सब्जियों की नियमित आपूर्ति करना है।

पोषण वाटिका के फायदेः

  1. पोषण वाटिका पोषक तत्वों से भरपूर ताजे फल और सब्जियों की नियमित आपूर्ति दैनिक आहार में सुनिश्चित करता है।
  2. पोषण वाटिका के माध्यम से जहरीले रसायनों से मुक्त फलों और सब्जियों को प्राप्त कर सकते हैं।
  3. सब्जियों की खरीद पर होने वाले खर्च को कम करने में सहायक होता है।
  4. घर के बगीचे से प्राप्त सब्जियों का स्वाद बाजार से खरीदी गई सब्जियों की तुलना में बेहतर होता है।
  5. घरेलू अपशिष्ट का पोषण वाटिका में प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सकता है।
  6. बगीचे की उपज का एक हिस्सा बेचकर अतिरिक्त आय का स्रोत प्राप्त किया जा सकता है।

पोषण वाटिका के लिए स्थान का चयन

पोषण वाटिका का स्थान सब्जियों के सफल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घर का पूर्वी या दक्षिणी भाग पोषण वाटिका के लिए उपयुक्त स्थान होता है, ताकि सूर्य की अधिकतम रोशनी का उपयोग किया जा सके। यदि पूर्वी या दक्षिणी दिशा में कोई स्थान उपलब्ध नहीं है, तो पोषण वाटिका घर के आस-पास किसी खाली स्थान पर स्थापित की जा सकती है। पोषण वाटिका के लिए चयनित स्थान पर उचित सिंचाई एवं जल निकासी की सुविधा होनी चाहिए। चयनित स्थान जलजमाव की समस्या से मुक्त होना चाहिए। मवेशियों से सुरक्षा के लिए पोषण वाटिका के चारों ओर बाड़ लगाई जानी चाहिए।

पोषण वाटिका का आकार

पोषण वाटिका का आकर भूमि की उपलब्धता, परिवार के सदस्यों की संख्या, देखभाल के लिए अतिरिक्त समय पर निर्भर करता है। पाँच सदस्यीय परिवार के लिए लगभग 250 वर्ग मीटर भूमि साल भर सब्जियां उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त है। वर्गाकार भूखंड या भूमि की लंबी पट्टी की अपेक्षा आयताकार वाटिका को प्राथमिकता देनी चाहिए।

सब्जी फसलों के लिए चयन मानदंड

  1. ऐसी सब्जियों का चयन करें जो स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुकूल एवं उगाने में आसान हों।
  2. परिवार के सदस्यों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को पसंद आने वाली सब्जियों का चयन करें।
  3. विभिन्न प्रकार की सब्जियों का चयन करें, क्योंकि सभी में अलग-अलग पोषक तत्त्व पाए जाते हैं।
  4. सामान्य कीटों और बीमारियों के प्रति सहनशील सब्जियों की किस्मों का चयन करें।
  5. चयनित सब्जियों की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री (बीज, कटाई, अंकुर या कंद) का प्रयोग करें।
  6. स्थानीय रूप से उपलब्ध सब्जियों की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री का उपयोग करें।
  7. कृषि-जैव विविधता को बनाए रखने के लिए उन्नत किस्मों के साथ-साथ पारंपरिक किस्मों को भी शामिल करें।

पोषण वाटिका की योजना

चित्र 2 में पोषण वाटिका की योजना का एक उदहारण प्रस्तुत किया गया है।

  • कुल क्षेत्रफल 250 वर्ग मीटर (25 x 10 मीटर)
  • सब्जी उगाने के लिए प्लॉट्स की कुल संख्या = 10
  • एक प्लाट का क्षेत्रफल 18 वर्ग मीटर (4 x 4.5 वर्ग मीटर)
  • सब्जियों का क्षेत्रफल = 10×18 180 वर्ग मीटर
  • फलों का क्षेत्रफल = 10×2.5 = 25 वर्ग मीटर
  • पथ, मेड़ों का क्षेत्रफल = 45 वर्ग मीटर
 4 वर्ग मीटर 2 वर्ग मी. 4 वर्ग मीटर
 22.5 वर्ग मीटर1  6
2 7
3 8
4 9
 5 10
 2.5 वर्ग मीटर फलों के अंतर्गत क्षेिफल खाद

चित्र 2. पोषण वाटिका की योजना

  1. वर्ष भर सब्जी उगाने के लिए क्षेत्र को सामान आकार के भूखंडों में विभाजित करना चाहिए।
  2. फसल चक्रण के सिद्धांतों को लागू कर हर साल सब्जियों को एक प्लॉट से दूसरे प्लॉट में लगायें।
  3. फलदार पौधों जैसे केला, पपीता, आंवला, अमरूद, आम, लीची को बगीचे के पीछे के छोर पर लगाया जाना चाहिए, ताकि उनकी छाया अन्य फसलों पर ना पड़े।
  4. बीच की चलने की जगह के पास विभिन्न छोटी अवधि की पत्तेदार सब्जियां जैसे धनिया, चौलाई, मेथी, पालक, बथुआ, पुदीना उगाई जा सकती हैं।
  5. बगीचे के चारों ओर की बाड़ का उपयोग लौकी, तोरई, करेला, कद्दू उगाने के लिए किया जा सकता है।
  6. बगीचे के कोने में खाद के गड्ढे बनाने की योजना बनाई जानी चाहिए।
  7. सीधे बीज द्वारा बोई जाने वाली सब्जियाँ: भिन्डी, बीन्स, लोबिया, मूली, गाजर, चुकंदर, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, कट्टू, करेला, तोरई, लौकी, खीरा, लहसुन ।
  8. प्रतिरोपित सब्जियाँः टमाटर, हरी मिर्च, बैंगन, पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, शिमला मिर्च, प्याज़।

पोषण वाटिका के लिए मौसम अनुसार फसल चक्रण

विभिन्न फसल चक्न तालिका 1 में दिए गए हैं। किचन गार्डनर्स अपनी उपयुक्तता के अनुसार इन्हें ttings to actise Windows अपना सकते हैं।

तालिका 1: सब्जियों में मौजूद पोषक तत्त्व
प्लॉट क्रमांकखरीफरबीग्रीष्म ऋतु
1 अगेती फूलगोभी गाजर प्याज़
2 लोबिया पत्तागोभी प्याज़
3 फूलगोभी मिड-सीजन हरी मटरखीरा/ लाल भाजी/करेला
4 भिन्डी टमाटर खरबूज
5 जिमीकंद / तोरई फूलगोभी लेट/ मूलीसेमफली
6 टमाटर ब्रोकली/ चुकंदर स्वीट कॉर्न/ तरबूज
7 हरी मिर्च पत्तागोभी/ ब्रोकली लाल भाजी/ भिन्डी
8 खीरा आलूलोबिया
9 बैंगन शिमला मिर्च खीरा
10 करेला/ लौकी मेथी/पालक कद्दू / तोरई

सब्जियों से प्राप्त पोषक तत्त्व

संतुलित आहार का सब्ज़ियाँ महत्वपूर्ण भाग हैं, ताजी सब्ज़ियाँ खनिज, विटामिन और रेशे के साथ सुरक्षात्मक पादप रसायनों का उत्तम स्रोत होती हैं। तालिका 2 में सब्जियों से प्राप्त पोषक तत्त्वों की संक्षिप्त जानकारी दी गई है।

 तालिका 2: सब्जियों में मौजूद पोषक तत्त्व
 पोषक तत्त्व सब्जी
 ऊर्जा शकरकंद, आलू, अरबी, कटहल, कद्दू, कच्चा केला, मटर, जिमीकंद
 प्रोटीन मटर, लोबिया, सहजन, बीन्स
 विटामिन ए गाजर, पालक, सहजन, कट्टू, टमाटर, मूली, लाल चौलाई, मेथी, हरी मिर्च, कड़ी पत्ता
 बिटामिन बी काम्प्लेक्स हरी मिर्च, मटर, बीन्स, भिन्डी, शिमला मिर्च
 विटामिन सी हरी पत्तेदार सब्जी, टमाटर, निम्बू, मूली, लाल चौलाई, लौकी, तोरई, खीरा,
करेला, चिचिंडा, हरी मिर्च, सहजन, कड़ी पत्ता
 विटामिन के (K) टमाटर
कैल्शियम कड़ी पत्ता, सहजन, पालक, समस्त हरी पत्तेदार सब्जियाँ, तोरई, लाल
चौलाई, भिन्डी
लौह लवण करोंदा, सहजन
पोटैशियम टमाटर, लौकी, तोरई, खीरा, करेला, चिचिंडा, हरी मिर्च, सहजन, भिन्डीivate
  फॉस्फोरस लौकी, तोरई, खीरा, करेला, चिचिंडा, हरी मिर्च, सहजन
चित्र.3 कृषी विज्ञान केंद्र के पोषण वाटिका

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