छत्तीसगढ़ में मछली पालन को मिलेगा बूस्ट: 37 करोड़ से बनेगा पहला एक्वा पार्क, मछुआरों की बढ़ेगी कमाई
25 जुलाई 2025, भोपाल: छत्तीसगढ़ में मछली पालन को मिलेगा बूस्ट: 37 करोड़ से बनेगा पहला एक्वा पार्क, मछुआरों की बढ़ेगी कमाई – छत्तीसगढ़ में मछली पालन के क्षेत्र में एक नया युग शुरू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रयासों और केंद्र सरकार के सहयोग से कोरबा जिले के हसदेव बांगो डुबान जलाशय में राज्य का पहला एक्वा पार्क बनाया जाएगा। यह पार्क एतमा नगर और सतरेंगा क्षेत्र में फैले सैकड़ों एकड़ डुबान जलाशय में विकसित होगा। इसके लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत केंद्र सरकार से 37 करोड़ 10 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की जा चुकी है।
इस एक्वा पार्क के जरिए मछली उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग, विक्रय, निर्यात और एक्वा टूरिज्म तक की पूरी व्यवस्था एक ही जगह होगी। इससे ग्रामीणों की आय बढ़ेगी और मछली पालन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। मुख्यमंत्री साय ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार का आभार जताया है।
दो हिस्सों में बंटा होगा एक्वा पार्क: एतमा नगर और सतरेंगा
एतमा नगर में फिश प्रोसेसिंग प्लांट, फीड मिल, हेचरी और रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम तैयार किए जाएंगे। वहीं सतरेंगा क्षेत्र में एक्वा टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए म्यूजियम और अन्य सुविधाएं विकसित होंगी। एतमा नगर में मछली के बीज उत्पादन से लेकर पोषक आहार तैयार करने और मछलियों की सफाई, फिले बनाना और उच्च गुणवत्ता की पैकेजिंग कर विदेशों में निर्यात की पूरी व्यवस्था होगी।
सतरेंगा बनेगा टूरिज्म हब
सतरेंगा, जो पहले से ही पर्यटन का प्रमुख केंद्र है, अब एक्वा म्यूजियम, एंगलिंग डेस्क, कैफेटेरिया, फ्लोटिंग हाउस, मोटर बोट और वॉटर स्पोर्ट्स जैसी सुविधाओं के साथ और भी आकर्षक बनेगा। इससे न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और उनकी आय में सुधार होगा।
मुख्यमंत्री साय बोले – मछली व्यापार को मिलेगी नई दिशा
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस एक्वा पार्क से मछली पालन की नई तकनीकें लोगों तक पहुंचेंगी। छत्तीसगढ़ की तिलपिया मछली की विदेशों में बहुत मांग है और एक्वा पार्क के ज़रिए अब इसका उत्पादन और निर्यात बढ़ेगा। यह प्रोजेक्ट राज्य को मछली पालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा।
800 केज में हो रहा मछली उत्पादन
फिलहाल हसदेव बांगो जलाशय के डुबान क्षेत्र में करीब 800 केज लगे हुए हैं। यहां मछली पालन विभाग और तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में 9 मछुआरा समितियों के 160 सदस्य काम कर रहे हैं। इन्हें 5-5 केज दिए गए हैं और इनसे हर साल औसतन 90 हजार रुपए शुद्ध आमदनी हो रही है।
तिलपिया और पंगास मछली से हो रहा मुनाफा
मछुआ समिति के दीपक राम मांझीवार, अमर सिंह मांझीवार और देवमति उइके ने बताया कि केज कल्चर से उन्हें रोजगार मिला और आमदनी बढ़ी। हर साल करीब 1600 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हो रहा है। 70-80 लोग सीधे रोजगार में हैं, जबकि 20-25 स्थानीय विक्रेताओं को रोज मछली मिलती है।
तिलपिया मछली का बढ़ेगा निर्यात
यहां मुख्य रूप से तिलपिया और पंगास मछली का उत्पादन होता है। अमेरिका में तिलपिया की विशेष मांग है और सीमित मात्रा में इसका निर्यात शुरू हो चुका है। अब एक्वा पार्क बनने के बाद इसका उत्पादन बढ़ाकर अमेरिका और यूरोपीय देशों में निर्यात बढ़ाया जाएगा। इससे स्थानीय ग्रामीणों को मछली पालन से जोड़कर उनकी आय में बढ़ोतरी की जाएगी।
सतरेंगा में जब एक्वा पार्क और डिमॉन्स्ट्रेशन यूनिट पूरी तरह विकसित हो जाएंगे, तब देश-प्रदेश से पर्यटक यहां घूमने आएंगे। वे स्वादिष्ट मछली के विभिन्न व्यंजनों का आनंद उठाएंगे, जिससे स्थानीय लोगों को नए रोजगार के अवसर मिलेंगे और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
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