मछली पालन से बदली किस्मत: छत्तीसगढ़ की महिला किसान कुलेश्वरी ने एक साल में कमाए ₹3 लाख
25 जुलाई 2025, भोपाल: मछली पालन से बदली किस्मत: छत्तीसगढ़ की महिला किसान कुलेश्वरी ने एक साल में कमाए ₹3 लाख – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) योजना ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का एक मजबूत जरिया बनती जा रही है। इस योजना के तहत स्व-सहायता समूहों को ऋण (लोन) उपलब्ध कराया जाता है और उन्हें आजीविका आधारित गतिविधियों से जोड़ा जाता है। इसी वजह से गांवों की महिलाएं अब तेजी से स्वावलंबन की ओर बढ़ रही हैं।
भालापुर की कुलेश्वरी साहू की बदलती कहानी
मुंगेली विकासखंड के ग्राम भालापुर की रहने वाली कुलेश्वरी साहू ने भी एनआरएलएम योजना की मदद से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। पहले वह पारंपरिक खेती और मजदूरी किया करती थीं, जो परिवार के जीविका चलाने का मुख्य साधन था। लेकिन सीमित आय के कारण उन्हें कई बार आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
स्व-सहायता समूह से जुड़कर शुरू किया मछली पालन
बदलाव की शुरुआत तब हुई जब कुलेश्वरी ने ‘मां शीतला स्व-सहायता समूह’ से जुड़कर ₹3 लाख का ऋण प्राप्त किया। इस राशि का उपयोग उन्होंने अपने निजी डबरी (तालाब) में मछली पालन शुरू करने में किया। इस कार्य को उन्होंने पूरी लगन और मेहनत से किया।
एक साल में ₹6 लाख की बिक्री, ₹3 लाख का शुद्ध लाभ
सिर्फ एक साल के भीतर, कुलेश्वरी ने ₹6 लाख की मछली बाजार में बेच दी और इससे उन्हें ₹3 लाख का शुद्ध लाभ हुआ। यह उनकी मेहनत और योजना का नतीजा था, जिसने उनकी आर्थिक दशा को पूरी तरह बदल दिया।
कुलेश्वरी साहू ने इस बदलाव के लिए शासन-प्रशासन के प्रति आभार जताया और कहा कि एनआरएलएम योजना ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि उनके जीवन और पूरे परिवार की दिशा भी बदल दी है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में वह मछली पालन के साथ-साथ अन्य आजीविका गतिविधियों को भी अपनाकर अपनी आय को और बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
ग्रामीण महिलाओं को दे रही आत्मनिर्भरता का अवसर
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) योजना से न केवल महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिल रही है, बल्कि गांवों में स्वरोजगार और आजीविका संवर्धन के नए अवसर भी बन रहे हैं। यह योजना ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जीने का मौका दे रही है।
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