State News (राज्य कृषि समाचार)

राजस्थान में पांचवीं ब्रेसिका सम्मेलन का हुआ आयोजन; कृषि मंत्री ने सरसों उत्पादन बढ़ाने पर दिया जोर

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08 फरवरी 2024, जयपुर: राजस्थान में पांचवीं ब्रेसिका सम्मेलन का हुआ आयोजन; कृषि मंत्री ने सरसों उत्पादन बढ़ाने पर दिया जोर – राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पांचवें ब्रासिका सम्मेलन का सरसों अनुसंधान समिति के सहयोग से आयोजन शुरू हुआ। तीन दिवसीय सम्मेलन का शुभारम्भ कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने किया।

कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान सरसों उत्पादन में प्रथम स्थान पर है तथा राजस्थान के पूर्वी जिलों में सर्वाधिक सरसों उत्पादन होता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान उच्च गुणवत्ता की सरसों का उत्पादक राज्य है फिर भी इतनी पैदावार होने के बाद भी सरसों का आयात करना पड़ता है क्योंकि आईसीएआर के अनुसार पहले तेल की प्रति व्यक्ति उपभोग दर 8 किग्रा थी तथा वर्तमान में उपभोग दर बढ़ कर 19 किग्रा हो गई है इसलिए प्रति व्यक्ति उपभोग दर बढ़ने से कमी का सामना करना पड़ रहा हैं।

आत्मनिर्भरता के लिए हमें काम करने की आवश्यकता हैंः कृषि मंत्री

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रहे हैं इसलिए हमें आत्मनिर्भर होने के लिए काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से विचार विमर्श करते हुए कहा कि हमें सरसो में प्राकृतिक आपदा और चेपा जैसी समस्याओं के समाधान हेतु तकनीकी इजात करनी चाहिए।

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बलराज सिंह ने बताया कि राजस्थान सरसों उत्पादन का मुख्य राज्य है जिसमें पैदावार की अनंत संभावनाएं हैं जिस पर हमें कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि एफिड की समस्या के अतिरिक्त वातावरण परिवर्तन की अनेक समस्याओं के साथ-साथ बीमारियों की समस्याएं भी सरसों की पैदावार घटाने में मुख्य है जिस पर हमें कार्य करने की जरूरत है।

प्रदेश में शहद उत्पादन भी निभाता हैं मुख्य भूमिता

विवि के कुलपति ने बताया कि राजस्थान के कई जिले अन्य तिलहन फसलों के उत्पादक है। प्रदेश में सरसों व तारामीरा तेल उत्पादन के साथ-साथ शहद उत्पादन में भी मुख्य भूमिका निभाता हैं। साथ ही कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा में अखिल भारतीय गेहूं  सुधार परियोजना के तहत कई किस्में विकसित की गई है जिनमें राज 3077 सबसे पुरानी किस्म हैं तथा जौ में माल्टिंग प्रयोग, दोहरे प्रयोग की किस्में तथा चारे हेतू प्रयोग की किस्में  विकसित की गई हैं साथ ही खाद्य प्रयोग हेतु प्रयुक्त जौ पर कार्य किया जा रहा हैं जो मधुमेह रोगीयों के लिए लाभदायक होता हैं।

देशभर के 176 कृषि वैज्ञानिकों ने की शिरकत

इस दौरान सारांश पुस्तिका एवं डॉ. मनोहर राम एवम अन्य वैज्ञानिकों द्वारा लिखी गई सरसों एवं तारामीरा के इतिहास पुस्तिका का विमोचन किया गया। सम्मेलन में देशभर से आए लगभग 176 वैज्ञानिकों ने शिरकत की। सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि के तौर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र भी उपस्थित रहे।

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