कपास पंजीयन में पिछड़ी पांढुर्ना तहसील के किसानों को मिला मौका
कपास पंजीयन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तक बढ़ी
31 अक्टूबर 2025, (उमेश खोड़े, कृषक जगत, पांढुर्ना): कपास पंजीयन में पिछड़ी पांढुर्ना तहसील के किसानों को मिला मौका – भारतीय कपास निगम ( सीसीआई ) द्वारा चालू खरीफ सत्र में किसानों से समर्थन मूल्य पर कपास खरीदी के लिए मोबाइल पर कपास किसान एप डाऊनलोड कर निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से पंजीयन की व्यवस्था की गई है। लेकिन पांढुर्ना तहसील के कई किसान स्वयं पंजीयन करने में असमर्थ हैं, क्योंकि अधिकांश के पास साधारण मोबाइल है। इसके अलावा तकनीकी अज्ञानता एवं सर्वर डाउन की समस्या के कारण पांढुर्ना तहसील कपास पंजीयन में पिछड़ी हुई है। हालांकि ऑनलाइन केंद्रों पर जाकर सशुल्क पंजीयन कराया जा सकता है। कपास पंजीयन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर कर दी गई है। ऐसे में पांढुर्ना तहसील के शेष कपास उत्पादक किसानों को पंजीयन के लिए एक और मौका मिला है। उम्मीद है कि इस बढ़ी हुई अवधि में वे अपना पंजीयन करा लेंगे।
इस संबंध में पांढुर्ना / सौसर के सीसीआई केंद्र प्रभारी श्री के एल बघेल ने कृषक जगत को बताया कि सीसीआई द्वारा इस खरीफ सत्र में कपास किसान मोबाइल एप के माध्यम से पंजीयन की व्यवस्था की गई है। जिसमें किसान स्वयं भी पंजीयन कर सकता है। दो चरणों की इस प्रक्रिया में पहले चरण में किसान के आधार कार्ड और फोटो अपलोड की जाती है , जबकि दूसरे चरण में गिरदावरी , खसरा बी 2 की नकल और पावती को अपलोड किया जाता है। यह प्रक्रिया सफल होने पर किसानों को एक कोड दिया जाता है। जिसके माध्यम से खरीदी और भुगतान किया जाएगा । यह प्रक्रिया सरल है , लेकिन क्षेत्र के जो किसान स्वयं पंजीयन नहीं कर पा रहे हैं , वे ऑनलाइन केंद्र पर जाकर सशुल्क पंजीयन करा सकते हैं। दो दिन पूर्व तक पांढुर्ना तहसील में जहां मात्र 236 कपास उत्पादक किसानों ने पंजीयन कराया है , वहीं सौंसर तहसील में 1300 किसानों ने कपास का पंजीयन कराया है। पंजीयन की अंतिम तिथि बढ़ाकर अब 31 दिसंबर कर दी गई है। श्री बघेल ने जानकारी दी कि सीसीआई द्वारा राज्य शासन से प्राप्त वर्ष 2024 -25 ( अंतिम अनुमान ) में 7 जिलों के क्षेत्रच्छादन एवं उत्पादकता के आंकड़े जारी किए हैं , जिसमें पांढुर्ना जिले की उत्पादकता 7. 4 क्विंटल / एकड़ दर्शाई है , जबकि धार 6. 3 , आलीराजपुर 5. 4 ,खरगोन 5. 7 ,बड़वानी 7. 9 , खंडवा 7.0 और बुरहानपुर 7. 3 क्विंटल / एकड़ बताई गई है। इस उत्पादकता के आधार पर ही किसानों से कपास की खरीदी की जाएगी।
दूसरी ओर किसानों का कहना है कि जिस तरह सोसायटियों में सोयाबीन फसल के पंजीयन किए गए , उसी तरह कपास पंजीयन के लिए भी सीसीआई को कोई व्यवस्था करना चाहिए । इससे किसानों को आसानी होगी और पंजीयन संख्या भी बढ़ेगी। क्षेत्र के कई किसानों द्वारा साधारण फोन का इस्तेमाल करने और इसकी प्रक्रिया नहीं समझ पाने के कारण उन्हें कपास का पंजीयन करने में परेशानी आ रही है । सर्वर डाउन की भी समस्या है । पांढुर्ना ब्लॉक की कृषि विस्तार अधिकारी शिवानी उइके ने बताया कि गुरूवार को कई किसान कपास पंजीयन के लिए आए थे , लेकिन सर्वर डाउन होने से पंजीयन नहीं हो पाया। कपास पंजीयन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तक बढ़ने से किसानों को राहत मिल गई है। अब शेष किसान अपनी कपास फसल का पंजीयन करा पाएंगे।
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