राज्य कृषि समाचार (State News)

खेती में बढ़ती आधुनिकता से लाभान्वित हो रहे किसान 

25 मई 2024, मध्यप्रदेश: खेती में बढ़ती आधुनिकता से लाभान्वित हो रहे किसान – आज  हर क्षेत्र में आधुनिकता का बोलबाला है, तो कृषि क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। किसानों की नई पीढ़ी की सोच परंपरागत न होकर आधुनिक होने से वह नए – नए प्रयोग स्वयं कर नई तकनीक को खेती में अपना रहा है।  अब किसानों के कदम ऑटोमेशन और ड्रोन के प्रयोग की तरफ तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

श्री महेंद्र कुमार स्वामी ,सीनियर रीजनल मैनेजर ,सीड वर्क्स इंटरनेशनल प्रा.लि .

दो वर्षों  में विशेष परिवर्तन – मध्यप्रदेश में सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। म.प्र. सब्जी एवं मसाला फसलों में अपनी अलग पहचान बना चुका है। यहाँ का किसान इन दो वर्ग की फसलों की खेती आधुनिक तकनीक के प्रयोग के साथ करता है। इस क्षेत्र में गत दो वर्षों  में विशेष परिवर्तन हुआ है। पहले किसान मिर्च, टमाटर ,गोभी,करेला ,तरबूज आदि की खेती के लिए स्वयं बीज बोकर पौधे तैयार करता था , जिसके कारण बीज का खर्च कई गुना अधिक आता था और पौधे भी उतने स्वस्थ नहीं बनते थे। जबकि आज का आधुनिक किसान बीज की जगह  व्यावसायिक नर्सरी से तैयार पौधे खरीदता है, जिससे वह इस प्रक्रिया में लगने वाले खर्च का दो तिहाई हिस्सा बचा लेता है। साथ ही वह पहले एक माह में होने वाली किसी भी तरह की जोखिम से भी बच जाता है।

नर्सरी के क्षेत्र में अपार संभावनाएं  – वर्तमान में  म.प्र. में करीब 90 व्यावसायिक नर्सरी कार्यरत है, इनमें सर्वाधिक नर्सरी व्यवसाय खरगोन , खंडवा ,बड़वानी, धार, झाबुआ , इंदौर,रतलाम, मंदसौर, शाजापुर , उज्जैन , छिंदवाड़ा, जबलपुर, सागर, और शिवपुरी जिले हैं , जो विभिन्न फसलों के स्वस्थ पौधे उनकी चुनी हुई किस्मों के साथ समय पर उपलब्ध करवा रही हैं। इन  जिलों में संचालित नर्सरियों की क्षमता 35 -40 करोड़ पौधे एक सीजन में उपलब्ध कराने की है ,जबकि पौधों की मांग लगातार बढ़ रही है , जिससे इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। सरकार भी सब्सिडी के माध्यम से इस व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है और दो लाख पौधों की क्षमता वाली छोटी नर्सरी तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवा रही है।

किसानों के अनुसार नर्सरी से खरीदकर लगाए गए पौधों में रोगरोधिता , कीटों तथा बीमारियों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है , जिससे किसान स्वस्थ फसल के साथ गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त कर अपनी आय में वृद्धि कर रहा है।  समय के साथ इस बदलाव को अपनाकर ही किसान इस प्रतियोगी दौर में अपने अस्तित्व को बचाकर रख सकता है।

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